Saturday, December 21, 2024
Advertisement
  1. Hindi News
  2. धर्म
  3. त्योहार
  4. Navratri 2022: आज हर घर में होगी मां ब्रह्मचारिणी की पूजा, जानें पौराणिक कथा और मंत्र

Navratri 2022: आज हर घर में होगी मां ब्रह्मचारिणी की पूजा, जानें पौराणिक कथा और मंत्र

धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक, देवी ब्रह्मचारिणी ने भगवान शिव शंकर को अपने पति के रूप में पाने के लिए बेहद ही कठिन तपस्या की थी। अपने तप के दौरान उन्होंने केवल बेल पत्र का सेवन किया था। बाद में इसे भी खाना त्याग कर निर्जल और निराहार रहकर तप करती रहीं।

Written By: Vineeta Mandal
Published : Sep 27, 2022 7:30 IST, Updated : Sep 27, 2022 11:48 IST
नवरात्रि का दूसरा दिन: मां ब्रह्मचारिणी
Image Source : INDIA TV नवरात्रि का दूसरा दिन: मां ब्रह्मचारिणी

Highlights

  • मां ब्रह्मचारिणी की पूजा करने से मनुष्य में तप, त्याग, संयम और सदाचार की वृद्धि होती है।
  • कठोर साधना और ब्रह्म में लीन रहने के कारण मां के इस रूप को ब्रह्मचारिणी कहा गया है।

Navratri 2022: आज यानि कि मंगलवार को शारदीय नवरात्रि का दूसरा दिन है। इस दिन मां ब्रह्मचारिणी की पूजा-अर्चना की जाती है। ब्रह्म में लीन होकर तप करने के कारण इस महाशक्ति को ब्रह्मचारिणी की संज्ञा दी गई है। हिन्दू धर्म ग्रंथों में इन्हें मठ की देवी के रूप में दर्शाया गया है। सफेद साड़ी पहने हुए एक हाथ में रूद्राक्ष माला और एक में पवित्र कमंडल धारण करें देवी का यह रूप अत्यन्त धार्मिकता और भक्ति का है। आपको बता दें कि नवरात्रि के पूरे नौ दिन देवी दुर्गा के अलग-अलग स्वरुपों को विधिवत् उपासना की जाती है। मां के हर रूप के पीछे एक धार्मिक कथा है। तो आइए जानते हैं देवी ब्रह्मचारिणी के जन्म से जुड़ी पौराणिक मान्यता।

और पढ़ें : Navratri Upay: कमाई के बाद भी नहीं बच रहे हैं पैसे? नवरात्रि के दूसरे दिन करें फिटकरी का ये उपाय

मां ब्रह्मचारिणी से जुड़ी जन्म कथा-

धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक, देवी ब्रह्मचारिणी ने भगवान शिव शंकर को अपने पति के रूप में पाने के लिए बेहद ही कठिन तपस्या की थी। अपने तप के दौरान उन्होंने केवल बेल पत्र का सेवन किया था। बाद में इसे भी खाना त्याग कर निर्जल और निराहार रहकर तप करती रहीं। कई हजार वर्षों की घनघोर तपस्या के बाद भगवती ने अपने तप से भगवान शिव को प्रसन्न किया था। कठोर साधना और ब्रह्म में लीन रहने के कारण भी इनको ब्रह्मचारिणी कहा गया है। पौराणिक कथा के अनुसार, देवी की इस कठिन तपस्या को देखकर हर तरफ हाहाकरा मच गया। इसके बाद ब्रह्मा जी ने आकाशवाणी करते हुए देवी से कहा कि आजतक ऐसी तपस्या किसी ने नहीं की। तुम्हारी हर कामना पूरी होगी और शिव तुम्हें पति के रूप में जरूर मिलेंगे। 

देवी ब्रह्मचारिणी की पूजा से मिलता है ये फल

मां ब्रह्मचारिणी  की उपासना करने से मनुष्य में तप, त्याग, संयम और सदाचार आदि की वृद्धि होती है। भगवती का यह दूसरा रूप भक्तों एवं सिद्धों को अमोघ फल देने वाला है। देवी ब्रह्मचारिणी की कृपा से मनुष्य को सर्वत्र सिद्धि और विजय की प्राप्ति होती है। इसके साथ ही जीवन की सभी परेशानियों का नाश होता है। कठोर साधना और ब्रह्म में लीन रहने के कारण भी इनको ब्रह्मचारिणी कहा गया है। ब्रह्मचारिणी रूप की आराधना से आयु में वृद्धि होती है।

ये भी पढ़ें: Navratri Katha: जानिए सबसे पहले किसने रखा था नवरात्रि में 9 दिन का व्रत, जानिए पूरी कथा

मां ब्रह्मचारिणी की प्रसन्न करने के लिए इन मंत्रों का करें जाप

1. दधाना करपद्माभ्याम्, अक्षमालाकमण्डलू. देवी प्रसीदतु मयि, ब्रह्मचारिण्यनुत्तमा..

2. वन्दे वांछित लाभायचन्द्रार्घकृतशेखराम्।

जपमालाकमण्डलु धराब्रह्मचारिणी शुभाम्॥
गौरवर्णा स्वाधिष्ठानस्थिता द्वितीय दुर्गा त्रिनेत्राम।
धवल परिधाना ब्रह्मरूपा पुष्पालंकार भूषिताम्॥
परम वंदना पल्लवराधरां कांत कपोला पीन।
पयोधराम् कमनीया लावणयं स्मेरमुखी निम्ननाभि नितम्बनीम्॥

स्तुति मंत्र

या देवी सर्वभूतेषु माँ ब्रह्मचारिणी रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है। INDIA TV इसकी पुष्टि नहीं करता है।)

India TV पर हिंदी में ब्रेकिंग न्यूज़ Hindi News देश-विदेश की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट और स्‍पेशल स्‍टोरी पढ़ें और अपने आप को रखें अप-टू-डेट। Festivals News in Hindi के लिए क्लिक करें धर्म सेक्‍शन

Advertisement
Advertisement
Advertisement
detail