Highlights
- इस बार 3 और 4 अक्टूबर को कन्या पूजन किया जाएगा।
- कई जगह कन्या पूजन का कंजक खिलाना भी कहते हैं।
- कन्या पूजन को हम बेटियों के सम्मान के रूप में भी देख सकते हैं।
Navratri 2022 Kanya Pujan Importance: नवरात्रि के दिनों में देवी दुर्गा की पूजा-अर्चना करने से विशेष फल की प्राप्ति होती है। इन पावन दिनों में भक्तगण जहां मंदिरों और घरों में मां का जगराता करवाते हैं। वहीं दूसरी तरफ जगह-जगह पर भंडारा का भी आयोजन करवाया जाता है। इसके अलावा नवरात्रि में कन्या पूजन का भी खास महत्व है। दरअसल, छोटी-छोटी बच्चियों को मां दुर्गा के स्वरप समान माना जाता है, इसलिए नवरात्रि में कन्या पूजन जरूर करना चाहिए। कई जगह कन्या पूजन का कंजक खिलाना भी कहते हैं। कन्या पूजन के लिए 9 कन्या या उससे ज्यादा भी रख सकते हैं।
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इस दिन करें कन्या पूजन
नवरात्रि में कुछ लोग सप्तमी को भी कन्या खिलाते हैं। लेकिन अधिकत्तर अष्टमी और नवमी के दिन ही कन्या पूजन किया जाता है। इस बार 3 और 4 अक्टूबर को कन्या पूजन किया जाएगा। अष्टमी और नवमी को कन्या खिलाना काफी शुभ माना जाता है। तो आप इनमें से किसी भी दिन कन्याओं को प्रसाद ग्रहण करवाकर पुण्य कमा सकते हैं।
कन्या पूजन अष्टमी शुभ मुहूर्त
- अष्टमी तिथि प्रारम्भ - अक्टूबर 02, 2022 को 06.47 PM
- अष्टमी तिथि समाप्त - अक्टूबर 03, 2022 को 04:37 PM
कन्या पूजन नवमी शुभ मुहूर्त
- नवमी तिथि प्रारम्भ - अक्टूबर 03, 2022 को 04:37 PM
- नवमी तिथि समाप्त - अक्टूबर 04, 2022 को 02:20 PM
कन्या पूजन का महत्व
छोटी बच्चियों को माता रानी का रूप माना है। ऐसे में नवरात्रि में उनकी पूजा करने से देवी मां काफी प्रसन्न होती है। इसके साथ ये भी मान्यता है कि कन्याओं को भोजन कराने से विवाहित महिलाओं की सूनी गोद भर जाती है यानी कि उन्हें स्वस्थ संतान की प्राप्ति होती है। धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक, कन्याओं के रूप में मां दुर्गा स्वंय अपने अलग-अलग रूपों में कन्या पूजन के लिए आती हैं। अगर आप भी मां भगवती से अपनी हर मुराद पूरी करवाना चाहते हैं तो कन्या पूजन जरूर करें। कन्या पूजन को हम बेटियों के सम्मान के रूप में भी देख सकते हैं।
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कन्या पूजन की विधि
सबसे पहले आप जिस दिन कन्या पूजन करने वाले हैं उसके एक दिन पहले सभी जरूरी तैयारी कर लें। जैसे- पूजा और खाने की सामाग्री साथ ही कन्याओं के देने के लिए चुनरी और उपहार। इसके बाद कन्या पूजन वाले दिन प्रात:काल उठकर स्नान कर साफ-सुथरे वस्त्र धारण कर लें। इसके बाद माता रानी का भोग तैयार कर लें, बाद में यही कन्याओं को भी खिलाया जाता है। खाना बिना लहसन प्याज के रहेगा। कन्याओं के साथ एक लड़का को पूजने की भी परंपरा है। लड़के को भैरव का रूप मानकर पूजा की जाती है। सभी कन्याओं और लड़के के पैरों को स्वच्छ पानी से धोएं और उन्हें साफ जगह पर आसन लगाकर उसपर बैठाएं। इसके बाद सभी की रोली और सिंदूर से तिलक करें। कन्याओं के पैरों को रंग से रंगकर उन्हें चुनरी ओढ़ाएं। आप चाहे तो सभी की आरती भी उतार सकते हैं। इसके बाद में सभी को भोजन परोसें। कन्या पूजन के भोग में खीर पूड़ी, चना, हलवा और फलों को रखा जाता है। भोजन करने के बाद सभी कन्याओं और भैरव को अपनी श्रद्धा अनुसार उपहार और पैसे दें। साथ ही प्रसाद के रूप में फल भी दे सकते हैं। अब सभी कन्याओं-भैरव के चरणों को स्पर्श करें और उनसे आशीर्वाद लें। उन्हें सम्मानपूर्वक विदा करें।
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है। INDIA TV इसकी पुष्टि नहीं करता है।)