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Shardiya Navratri 2022: क्या है 51 शक्तिपीठों की कथा, माता के इन मंदिरों में दर्शन मात्र से पूरी होती है हर मुराद

देवी पुराण में 51 शक्तिपीठों के बारे में बताया गया है। इनमें से 42 शक्तिपीठ भारत में हैं, जबकि 4 बांग्लादेश, 2 नेपाल बाकी1-1 पाकिस्तान, तिब्बत और श्रीलंका में हैं। सभी शक्तिपीठों की अलग मान्यता और महत्व है।

Written By: Vineeta Mandal
Published : Sep 27, 2022 11:37 IST, Updated : Sep 27, 2022 11:49 IST
नवरात्रि 2022
Image Source : INDIA TV देवी पुराण में 51 शक्तिपीठों के बारे में बताया गया है।

Highlights

  • 42 शक्तिपीठ भारत में हैं, जबकि 4 बांग्लादेश, 2 नेपाल बाकी1-1 पाकिस्तान, तिब्बत और श्रीलंका में है।
  • भगवान विष्णु ने अपने सुदर्शन चक्र से माता सती के शरीर के टुकड़े-टुकड़े कर दिए थे।
  • देवी पुराण में 51 शक्तिपीठों के बारे में बताया गया है।

Navratri 2022 Devi ShaktiPeeth: देशभर में नवरात्रि का पावन पर्व बड़ी धूमधाम से मनाया जा रहा है। मंदिरों से लेकर हर घरों में माता रानी के जयकारे लगाए जा रहे हैं। दरअसल, नवरात्रि में दुर्गा जी की उपासना करने से भक्तों की हर मनोकामना पूर्ण होती है। इसके साथ ही देवी मां के शक्तिपीठ दर्शन का भी काफी महत्व है। ऐसे में आज हम आपको माता रानी के 51 शक्तिपीठों के स्थापना की कथा  बताने जा रहे हैं। इन मंदिरों में माथा टेकने से माता रानी प्रसन्न होती है साथ ही भक्तगणों की मनचाही मुराद पूरी करती हैं। देवी पुराण में 51 शक्तिपीठों के बारे में बताया गया है। इनमें से 42 शक्तिपीठ भारत में हैं, जबकि 4 बांग्लादेश, 2 नेपाल बाकी1-1 पाकिस्तान, तिब्बत और श्रीलंका में है। सभी शक्तिपीठों की अलग मान्यता और महत्व है।

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शक्तिपीठ से जुड़ी पौराणिक कथा

धार्मिक कथाओं के मुताबिक, एक बार माता सती के पिता दक्ष प्रजापति ने कनखल (हरिद्वार) में महायज्ञ का आयोजन करवाया। इस यज्ञ में शामिल होने के लिए दक्ष ने सभी देवी-देवताओं को आमंत्रण किया लेकिन भगवान शिव को निमंत्रण नहीं भेजा। दरअसल, सती ने पिता दक्ष की मर्जी के खिलाफ जाकर भगवान शिवजी से विवाह किया था। वे इस बात को लेकर शिव और सती से काफी क्रोधित थे। नतीजतन, उन्होंने ब्रह्मा, विष्णु और इंद्र समेत सभी देवताओं को बुलाया लेकिन महादेव को नहीं। इस बात की जानकारी जब माता सती को लगी तो वह अपने पिता से मिलने के लिए बिन बुलाए उस महायज्ञ आयोजन में पहुंच गई। 

 यज्ञ-स्थल पर सती ने अपने पिता से भगवान शिव को आमंत्रित नहीं करने का कारण पूछा और अपनी नाराजगी प्रकट कीं। जवाब देने की जगह दक्ष ने भगवान शिव का अपमान किया और उनके लिए अपशब्द कहे। अपने पति के अपमान से दुखी और क्रोधित माता सती ने उसी अग्निकुंड में कूद कर अपने प्राणों की आहूति दे दी। इस घटना की खबर जब महादेव भोलेनाथ को लगी तो उन्होंने क्रोध में अपनी तीसरी नेत्र खोल ली और तांडव करने लगे। इसके बाद वो दक्ष के महल पहुंचे और माता सती का शव कंधे पर लेकर कैलाश की ओर जाने लगे। प्रथ्वी पर बढ़ते खतरे के काल को देखते हुए भगवान विष्णु ने अपने सुदर्शन चक्र से माता सती के शरीर के टुकड़े-टुकड़े कर दिए। इस तरह मां सती के शरीर के हिस्से जिन-जिन जगहों पर गिरे वहां शक्तिपीठों की स्थापना हुई।

और पढ़ें: Navratri 2022: आज हर घर में होगी मां ब्रह्मचारिणी की पूजा, जानें पौराणिक कथा और मंत्र

51 शक्तिपीठों के नाम-

1. ज्वाला देवी

2. कामख्या देवी मंदिर
3. कालीघाट मंदिर
4.  हरसिद्धि माता मंदिर 
5. नैना देवी  मंदिर
6. मनसा शक्तिपीठ
7. मुक्तिधाम मंदिर
8. मणिकर्णिका 
9. कालीपीठ (कालिका)
10. तारा तेरणी मंदिर
11.किरीट 
12. गोदावरी तट 
13. शुचीन्द्रम 
14. श्री शैल
15. कांची मंदिर
16.कण्यकाश्रम कन्याकुमारी 
17. नन्दीपुर 
18. वक्रेश्वर
19.नलहटी
20.युगाद्या 
21.बहुला
22. पटनेश्वरी शक्तिपीठ
23.उज्जयिनी 
24.शोण 
25. लंका 
26.रामगिरि शक्तिपीठ 
27.कालमाधव शक्तिपीठ 
28.रत्नावली शक्तिपीठ
29.मिथिला शक्तिपीठ
30.भैरव पर्वत शक्तिपीठ
31.पंच सागर शक्तिपीठ
31.  श्री पर्वत शक्तिपीठ
32. यशोर
33. सुगंध
34. गुह्येश्वरी
35. त्रिपुरसुन्दरी
36.जयन्ती
37. विरजाक्षेत्र, उत्कल 
38.त्रिस्तोता 
39. विभाष 
40.शुचीन्द्रम
41.कांची 
42.कश्मीर या अमरनाथ 
43.मणिवेदिका 
44. विराट का अम्बिका
45.ज्वालामुखी
46.प्रयाग 
47.कात्यायनी 
48.देवीकूप पीठ कुरुक्षेत्र
49.अम्बाजी
50.जनस्थान 
51. विशालाक्षी 

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है। INDIA TV इसकी पुष्टि नहीं करता है।)

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