Narak Nivaran Chaturdashi: आज यानी शुक्रवार को नरक निवारण चतुर्दशी का व्रत रखा जाएगा। हर साल यह पावन दिन माघ मास की कृष्ण पक्ष की तिथि को पड़ता है। धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक, जो भी व्यक्ति आज व्रत और भगवान भोलेनाथ की पूजा-अर्चना करता है, उसे सभी बुरे कर्मों से मुक्ति मिल जाती है। इसके साथ ही शिवजी उसे नरक की यातना से भी छुटकारा दिला देते हैं। हिंदू धर्म में नरक निवारण चतुर्दशी का काफी अधिक महत्व है। तो चलिए आज जानते हैं इस व्रत के महत्व और पूजा विधि के बारे में।
नरक निवारण चतुर्दशी व्रत पूजा विधि
- आज के दिन स्नान कर साफ सुथरे वस्त्र धारण कर लें।
- शिवजी का अभिषेक गंगाजल, दूध, शहद, घी और दूध से करें।
- अक्षत, चंदन, पुष्प, पुष्प माला, दूर्वा शिवलिंग पर अर्पित करें।
- भगवान भोलेनाथ को बेलपत्र, बेर, सेम और तिल भी चढ़ाएं।
- शिव पुराण की कथा का पाठ भी करें।
- शिव चालीसा और रुद्राष्टक का पाठ भी करें।
- शिवजी की आरती करें।
- संध्या के समय अपना व्रत खोलें और अन्न ग्रहण करें।
नरक निवारण चतुर्दशी व्रत का महत्व
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, नरक की यातना और नरक जाने से बचने के लिए यह व्रत रखा जाता है।निवारण चतुर्दशी व्रत रखने वालों के सभी पाप दूर हो जाते हैं। पूरा दिन निराहार रहकर नरक निवारण चतुर्दशी का व्रत किया जाता है। शाम के समय ही इस व्रत का पारण करते हैं। इस व्रत को करने से जीवन में सुख-समृद्धि की प्राप्ति भी होती है। साथ ही शिवजी व्रत रखने वालों की हर मनोकामना पूर्ण करते हैं। साथ ही नरक निवारण चतुर्दशी के दिन शिवजी की विधिवत् पूजा करनी चाहिए और उन्हें बेलपत्र भी जरूर अर्पित करें। बेलपत्र के बिना भोलेनाथ की पूजा अधूरी मानी जाती है।
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है। INDIA TV इसकी पुष्टि नहीं करता है।)
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