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Nag Panchami 2023: सर्प दंश और काल सर्प दोष से मुक्ति पाने के लिए नाग पंचमी के दिन इस तरह से करें नागों की पूजा

Nag Panchami Upay: नाग पंचमी के दिन सर्प दंश से मुक्ति और कालसर्प दोष से छुटकारा पाने के लिए आपको किस प्रकार से और किस दिशा में नागों की पूजा करनी चाहिए जानिए आचार्य इंदु प्रकाश से।

Written By : Acharya Indu Prakash Edited By : Vineeta Mandal Published on: August 21, 2023 5:30 IST
Nag Panchami 2023- India TV Hindi
Image Source : INDIA TV Nag Panchami 2023

Nag Panchami 2023: आज यानी कि 21 अगस्त 2023 को नाग पंचमी मनाई जाएगी। नाग पंचमी का ये त्यौहार सर्प दंश के भय से मुक्ति और कालसर्प दोष से छुटकारा पाने के लिए मनाया जाता है। लिहाजा अगर आपको भी इस तरह का कोई भय है या आपकी कुंडली में कालसर्प दोष है तो उससे छुटकारा पाने के लिए आज आपको इन आठ नागों की पूजा करनी चाहिए- वासुकि, तक्षक, कालिय, मणिभद्र, ऐरावत, धृतराष्ट्र, कर्कोटक और धनंजय। 

प्रत्येक जन्म पत्रिका में राहु से केतु सातवें खाने में होता है और काल सर्प दोष का मतलब है सारे ग्रहों का राहु और केतु के एक ही तरफ होना। अतः आपकी जन्मपत्रिका में ऐसी स्थिति बन रही है तो आपको आज नाग पंचमी की पूजा जरूर करनी चाहिए। लेकिन यहां आपको एक और बात जरूर बता दूं कि अगर आपकी पत्रिका में कालसर्प दोष नहीं है, तब भी आपको आज दिशाओं के क्रम में नागों की पूजा जरूर करनी चाहिए।  क्योंकि राहु तो सभी की जन्मपत्रिका में होता है। लिहाजा कालसर्प दोष हो या न हो, राहु संबंधी समस्या की शांति के लिए दिशाओं के सही क्रम में पूजा करना सभी के लिए फायदेमंद साबित होगा। 

 राहु सर्प का मुख है और केतु सर्प की पूंछ है चूंकि पूजन मुख में करना उचित है लिहाजा आपको ये देखना है कि आपकी जन्म पत्रिका के किस

खाने में राहु बैठा हुआ है और फिर उसी के अनुसार सही दिशा में नाग पंचमी की पूजा करनी है। सबसे पहले आपको एक वर्ग बनाना हैं। इस वर्ग के अनुसार, ईशान कोण, यानि उत्तर-पूर्व दिशा में वासुकि नाग की पूजा करनी चाहिये, पूर्व में तक्षक की, दक्षिण-पूर्व में कालिय की, दक्षिण में मणिभद्र की, दक्षिण-पश्चिम में ऐरावत की, पश्चिम में ध्रतराष्ट्र की,  उतर-पश्चिम में कर्कोटक की और उत्तर में धनंजय नामक नाग की पूजा करनी चाहिए।

काल सर्प दोष से छुटकारा पाने के लिए इस तरह करें नाग पंचमी की पूजा

1. अगर आपकी जन्म कुण्डली में राहु लग्न में है, तो आप अपने घर की पूर्व दिशा में नाग पंचमी की पूजा कीजिए। लेकिन सबसे पहले वासुकि की पूजा ईशान कोण में कीजिए, फिर तक्षक, फिर कालिय और सबसे अन्त में धनंजय की पूजा कीजिए।

2. अगर आपकी जन्म पत्रिका में राहु दूसरे खाने में है, तो घर की पूर्व दिशा जहां उत्तरी दिशा से मिलती है, वहां नाग पूजा कीजिए। लेकिन सबसे पहले वासुकि से शुरू कर तक्षक, कालिय, मणिभद्र, ऐरावत, ध्रतराष्ट्र, ककोर्टक और फिर धनंजय की पूजा कीजिए। 

3. अगर राहु आपकी जन्म पत्रिका के तीसरे स्थान पर है, तो घर की उत्तरी दिशा जहां पूर्व दिशा को छूती है, वहां नाग पूजन कीजिए। लेकिन सबसे पहले वासुकि से शुरू करके क्रमश: तक्षक, कालिय, मणिभद्र, ऐरावत, ध्रतराष्ट्र और ककोर्टक और फिर धनंजय का पूजन करें।

4. अगर राहु चौथे घर में हो तो घर की उत्तर दिशा में नाग पूजन करें। लेकिन सबसे पहले वासुकि, फिर धनंजय, पुन: तक्षक, कालिय, मणिभद्र, ऐरावत, ध्रतराष्ट्र और उसके बाद ककोर्टक का पूजन करें।

5. अगर आपकी जन्म पत्रिका में राहु पांचवें स्थान पर हैं, तो घर की उत्तरी दिशा जहां पश्चिम को छूती हो वहां पर नाग पूजन करें। लेकिन सबसे पहले वासुकि का, उसके बाद ककोर्टक का पूजन करें, फिर धनंजय, तक्षत्र, कालिय, माणिभद्र, एरावत और आखिर में ध्रतराष्ट्र का पूजन करें।

6. अगर राहु आपकी जन्म पत्रिका के छठें घर में हो, तो घर की पश्चिम दिशा जहां पर उत्तर दिशा को छूती हो वहां पर नागपूजा करें। लेकिन सबसे पहले वासुकि, फिर ककोर्टक, फिर धनंजय, फिर तक्षक, कालिय, मणिभद्र व ऐरावत और ध्रतराष्ट्र का पूजन करें। 

7. अगर जन्म पत्रिका के सातवें खाने में राहु हो तो घर की पश्चिम दिशा में नागपूजा करें। लेकिन सबसे पहले वासुकि, फिर ध्रतराष्ट्र, ककोर्टक, धनंजय, कालिय, मणिभद्र व ऐरावत का पूजन करें। 

8. अगर राहु आपकी जन्म पत्रिका के आठवें खाने में हो तो, घर की पश्चिम दीवार जहां दक्षिणी दिशा को स्पर्श करती हो वहां पर नागपूजा करनी चाहिए। सबसे पहले वासुकि, फिर ऐरावत, तब ध्रतराष्ट्र, ककोर्टक, धनंजय, तक्षक, कालिय और मणिभद्र का पूजन करना चाहिए।

9. अगर राहु नवें खाने में हो तो दक्षिणी दिशा जहां पश्चिम को छूती हो वहां नागपूजा करें। सबसे पहले वासुकि, फिर ऐरावत, ध्रतराष्ट्र, ककोर्टक, धनंजय, तक्षक, कालिय और मणिभद्र का पूजन करें। 

10. अगर राहु जन्म पत्रिका के दसवें खाने में हो तो दक्षिण दिशा में नागपूजा करें। लेकिन सबसे पहले वासुकि, फिर मणिभद्र, ऐरावत, ध्रतराष्ट्र, ककोर्टक, धनंजय, तक्षक और फिर कालिय का पूजन करें।

11. अगर आपकी जन्म पत्रिका में राहु एकादश स्थान पर हो तो जहां दक्षिणी दिशा, पूर्वी दिशा को छूती हैं वहां पर नागपूजा करें। सबसे पहले वासुकि और उसके बाद कालिय, मणिभद्र, धर्तराष्ट्र, ककोर्टक, धनंजय और तक्षक की पूजा करें। 

12. अगर राहु आपकी जन्म पत्रिका के बारहवें खाने में हो तो आपके घर की पूर्वी दिशा जहां पर दक्षिणी दिशा को छूती हो उस जगह नागपूजा करें। सबसे पहले वासुकि का पूजा करें, फिर कालिय, ऐरावत, धर्तराष्ट्र, ककोर्टक, धनंजय और आखिर में तक्षक की पूजा करें। 

(आचार्य इंदु प्रकाश देश के जाने-माने ज्योतिषी हैं, जिन्हें वास्तु, सामुद्रिक शास्त्र और ज्योतिष शास्त्र का लंबा अनुभव है। इंडिया टीवी पर आप इन्हें हर सुबह 7.30 बजे भविष्यवाणी में देखते हैं।)

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