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मोक्षदा एकादशी पर इन चीजों को खाने से बचें, ऐसे मनाएं वैकुंठ का ग्यारहवां दिन

Mokshda ekadashi 2022: मोक्षदा एकादशी के दिन आपको बाल धोने और कुछ चीजों तो खाने से बचना चाहिए। भले ही आपने व्रत ना भी किया हो।

Written By: Pallavi Kumari
Published : Nov 25, 2022 12:37 IST, Updated : Nov 25, 2022 12:37 IST
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Image Source : ISKCON_PLANET mokshda_ekadashi

Mokshda ekadashi 2022: मोक्षदा एकादशी इस साल 03 दिसंबर को मनाया जाएगा। ये मार्गशीर्ष के शुक्ल पक्ष को मनाया जाता है और वैष्ण भक्त इसे वैकुंठ जाने का दिन समझते हैं। माना जाता है इस दिन व्रत रखने और विष्णु पूजन करने से आप अपने दुख और पाप से छुटकारा पा सकते हैं। साथ ही इस दिन दान-पुण्य करने से आप भगवान विष्णु के भक्त के रूप में  वैकुंठ जाने के लिए अपना एक द्वार बना सकते हैं। तो, मोक्षदा एकादशी के दिन आप कुछ चीजों का ध्यान रखें और व्रत बिना किए भी कुछ नियमों का पालन करें तो आपको नारायण का आशीर्वाद मिल सकता है। तो, आइए हम आपको बताते हैं कि इस दिन क्या करें और क्या ना करें। 

मोक्षदा एकादशी पर इन चीजों को खाने से बचें

मोक्षदा एकादशी पर उन चीजों को खाने से बचें जिसके लिए किसी जीव-जंतु की हत्या की गई है। यानी कि कंद वाली चीजों का सेवन करें, फल खाएं पर प्याज लहसुन जैसी तामसिक भोजन को करने से बचें। साथ ही मसूर की दाल, चावल और  बैंगन को खाने से बचें।

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विष्णु पुराण के अनुसार ऐसे मनाएं वैकुंठ का ग्यारहवां दिन

विष्णु पुराण के अनुसार अगर आपके अंदर विष्णु भक्ति है तो आप इस दिन को अपने लिए वैकुंठ का ग्यारहवां दिन बना सकते हैं। इसके लिए आपको इस दिन व्रत रखना है, बुराइयों से बचना है और भगवान विष्णु की पूजा करनी है। इसके अलावा आप इस एकादशी का व्रत वैसे ही कर सकते हैं जैसे कि आप बाकी एकादशी व्रत करते हैं। साथ ही इस दिन विष्णु की छवि को याद करते हुए उनके मंत्रों का जाप करें और कथा सुनें। 

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माना जाता है कि सच्चे मन से इस व्रत को करने वाले लोग खुद को वैकुंठ के द्वार पर देखते  हैं या उन्हें सपना आता है कि वे किसी सुंदर द्नार से निकल रहे हैं। इसलिए इस दिन वैष्णव मंदिर में भक्तों के चलने के लिए एक दरवाजे जैसी संरचना बनाया जाता है जो कि इस बात का प्रतीक है कि एक दिन हमें इस जीवन से उठ कर कहीं और जाना है और ऐसे में वैकुंठ जाना मोक्ष का द्वार है। 

 Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं। इंडिया टीवी इस बारे में किसी तरह की कोई पुष्टि नहीं करता है। इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है।

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