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Mokshada Ekadashi 2022: कब है मोक्षदा एकादशी? इस दिन किए व्रत से पितरों को मिलता है मोक्ष

Mokshada Ekadashi 2022: मोक्षदा एकादशी का व्रत मार्गशीर्ष माह के शुक्ल एकादशी को रखा जाता है। इस दिन किए व्रत और पूजा से पूर्वजों को मोक्ष की प्राप्ति होती है। इस साल मोक्षदा एकादशी का व्रत 03 दिसंबर 2022 को रखा जाएगा।

Edited By: Sushma Kumari @ISushmaPandey
Published : Nov 28, 2022 20:41 IST, Updated : Nov 28, 2022 20:41 IST
मोक्षदा एकादशी 2022
Image Source : INSTAGRAM/ NANAJITILESBAZAAR मोक्षदा एकादशी 2022

Mokshada Ekadashi 2022: हिंदू पंचांग के अनुसार मोक्षदा एकादशी का व्रत मार्गशीर्ष या अगहन  माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को रखा जाता है। मोक्षदा एकादशी को शुक्लग्यारस के दिन मोक्षदायिनी एकादशी के रूप में मनाया जाता है। कहा जाता है कि इस व्रत को करने से पितरों को मोक्ष की प्राप्ति होती है। इसीलिए इस एकादशी को सांसारिक मोह के बंधन से मुक्ति और पितरों को मोक्ष दिलाने वाला व्रत माना जाता है। जो व्यक्ति मोक्षदा एकादशी का व्रत और पूजन विधिवत करते हैं उनके जीवन से जुड़ी तमाम परेशानियां भी दूर होती है। इस साल मोक्षदा एकादशी का व्रत शनिवार, 3 दिसंबर 2022 को रखा जाएगा। आइए जानते हैं मोक्षदा एकादशी व्रत के महत्व, पूजा विधि और शुभ मुहूर्त के बारे में।

मोक्षदा एकादशी व्रत महत्व

वैसे तो प्रत्येक माह के शुक्ल पक्ष और कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को एकादशी का व्रत रखा जाता है और भगवान विष्णु की पूजा की जाती है, लेकिन सभी एकादशी में अगहन माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी यानी मोक्षदा एकादशी को महत्वपूर्ण माना गया है। मान्यता है कि इस एकादशी व्रत से प्राणी सांसारिक बंधनों और मोह से मुक्त होकर मोक्ष को प्राप्त करता है। साथ ही इस व्रत के प्रभाव से नरक में गए पितरों को भी मुक्ति मिलती है। कहा जाता है कि द्वापर युग के समय इसी दिन भगवान श्रीकृषण द्वारा अर्जुन को गीता का उपदेश दिया गया था, इसलिए इस दिन को गीता जयंती के नाम से भी जाना जाता है।

मोक्षदा एकादशी तिथि व मुहूर्त

  • मोक्षदा एकादशी तिथि- शनिवार, 03 दिसंबर 2022
  • एकादशी तिथि आरंभ- शनिवार 03 दिसंबर सुबह 05:39 पर।
  • एकादशी तिथि समाप्त- रविवार 04 दिसंबर सुबह 05:34 पर।
  • पारण का मुहूर्त- रविवार 04 दिसंबर दोपहर 01:20 से दोपहर 03:27 तक।

मोक्षदा एकादशी पूजा विधि

इस दिन सुबह जल्दी उठें और स्नानादि कर पूजाघर की साफ-सफाई करें। इसके बाद पूरे घर पर गंगाजल से छिड़काव करें। भगवान विष्णु की पूजा के लिए एक चौकी तैयार करें और पीले रंग का कपड़ा बिछाकर भगवान की मूर्ति या तस्वीर को स्थापित करें। तुलसी दल, पील चंदन, रोली, अक्षत, पीले फूल, नैवेद्य, फल आदि अर्पित कर भगवान विष्णु की पूजा करें। साथ ही मां लक्ष्मी की पूजा करें। मोक्षदा एकादशी की व्रत कथा पढ़ें और आरती करें। इस दिन भगवतगीता का पाठ करना उत्तम होता है, इससे पूर्वजों को मोक्ष की प्राप्ति होती है।

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