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Mohini Ekadashi 2023: आज है मोहिनी एकादशी व्रत, विष्णु भगवान को ऐसे करें प्रसन्न, पूरी होंगी सभी मुरादें

Mohini Ekadashi 2023: मोहिनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु के निमित्त व्रत रखने से व्यक्ति को हर तरह के मोह बंधन से मुक्ति मिलती है, साथ ही जीवन में तरक्की मिलती है।

Edited By: Sushma Kumari @ISushmaPandey
Published : May 01, 2023 10:44 IST, Updated : May 01, 2023 10:44 IST
Mohini Ekadashi 2023
Image Source : INDIA TV Mohini Ekadashi 2023

Mohini Ekadashi 2023: आज (1 मई 2023)  मोहिनी एकादशी का व्रत रखा जाएगा।  आज के दिन भगवान विष्णु के निमित्त व्रत रखने से व्यक्ति को हर तरह के मोह बंधन से मुक्ति मिलती है, साथ ही जीवन में तरक्की मिलती है। कहते हैं समुद्र मंथन के बाद जब देव-दानवों में अमृत से भरा कलश पाने के लिए विवाद हो गया था, तब वैशाख शुक्ल पक्ष की एकादशी को ही भगवान विष्णु ने मोहिनी नामक स्त्री का रूप धारण करके दानवों को मोहित कर लिया था और उनसे अमृत भरा कलश लेकर देवताओं के हवाले कर दिया था, जिसे पीकर सभी देवता अमर हो गये थे। तभी से इस वैशाख शुक्ल पक्ष की एकादशी को मोहिनी एकादशी के नाम से जाना जाता है।

मोहिनी एकादशी शुभ मुहूर्त

30 अप्रैल को रात 8 बजकर 28 मिनट से एकादशी तिथि प्रारंभ होगी। आज (1 मई 2023) वैशाख शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि और सोमवार का दिन है। एकादशी तिथि 1 मई को रात 10 बजकर 10 मिनट तक रहेगी। ऐसे में उदय तिथि के अनुसार, 1 मई को ही मोहिनी एकादशी का व्रत रखा जाएगा। 

मोहिनी एकादशी व्रत पूजा विधि

  • इस दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर भगवान का ध्यान करते हुए सबसे पहले व्रत का संकल्प करें। 
  • इसके बाद सभी कामों से निवृत्त होकर स्नान करें।
  • इसके बाद पूजा स्थल में जाकर भगवान श्री कृष्ण की पूजा विधि-विधान से करें। 
  • इसके लिए धूप, दीप, नैवेद्य आदि सोलह चीजों से करने के साथ रात को दीपदान करें। इस दिन रात को सोए नहीं।
  • सारी रात जगकर भगवान का भजन-कीर्तन करें। इसी साथ भगवान से किसी प्रकार हुआ गलती के लिए क्षमा भी मांगे। 
  • अगले दूसरे दिन यानी की 2 मई को ब्राह्मणों को भोजन कराएं और अपने अनुसार उन्हें भेट और दक्षिणा दें। 
  • इसके बाद सभी को प्रसाद देने के बाद खुद भोजन करें।

मोहिनी एकादशी व्रत कथा

सरस्वती नदी के किनारे भद्रावती नाम का नगर था। वहां धृतिमान नाम का राजा राज्य करता था। उसी नगर में एक बनिया रहता था, उसका नाम था धनपाल। वह भगवान विष्णु का परम भक्त था और सदा पुण्यकर्म में ही लगा रहता था। उसके पांच पुत्र थे- सुमना, द्युतिमान, मेधावी, सुकृत तथा धृष्टबुद्धि। धृष्टबुद्धि सदा पाप कर्म में लिप्त रहता था। अन्याय के मार्ग पर चलकर वह अपने पिता का धन बरबाद किया करता था।

एक दिन उसके पिता ने तंग आकर उसे घर से निकाल दिया और वह दर-दर भटकने लगा। भटकते हुए भूख-प्यास से व्याकुल वह महर्षि कौंडिन्य के आश्रम जा पहुंचा और हाथ जोड़ कर बोला कि मुझ पर दया करके कोई ऐसा व्रत बताइये, जिसके पुण्य प्रभाव से मेरी मुक्ति हो। तब महर्षि कौंडिन्य ने उसे वैशाख शुक्ल पक्ष की मोहिनी एकादशी के बारे में बताया। मोहिनी एकादशी के महत्व को सुनकर धृष्टबुद्धि ने विधिपूर्वक मोहिनी एकादशी का व्रत किया।

इस व्रत को करने से वह निष्पाप हो गया और दिव्य देह धारण कर गरुड़ पर बैठकर श्री विष्णुधाम को चला गया। इस प्रकार यह मोहिनी एकादशी का व्रत बहुत उत्तम है।

(आचार्य इंदु प्रकाश देश के जाने-माने ज्योतिषी हैं, जिन्हें वास्तु, सामुद्रिक शास्त्र और ज्योतिष शास्त्र का लंबा अनुभव है। इंडिया टीवी पर आप इन्हें हर सुबह 7.30 बजे भविष्यवाणी में देखते हैं।)

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