Mangla Gauri Vrat 2023: सावन महीने में जितने भी मंगलवार पड़ते हैं उन सभी को मंगला गौरी व्रत करने का विधान है। यह व्रत मंगलवार को पड़ता है और इस व्रत में माता गौरी अर्थात् पार्वती जी की पूजा की जाती है, जिसके कारण इस व्रत को मंगला गौरी व्रत कहते हैं। मंगला गौरी व्रत को मोराकत व्रत के नाम से भी जाना जाता है। पुराणों के अनुसार, भगवान शिव और माता पार्वती को सावन महीना अति प्रिय है। इसीलिए श्रावण मास के सोमवार को शिव जी और मंगलवार को माता गौरी अर्थात् पार्वती जी की पूजा को शास्त्रों में बहुत ही शुभ व मंगलकारी बताया गया है।
मंगला गौरी व्रत के प्रभाव से विवाह में हो रहे विलंब समाप्त हो जाते हैं और जातक को मनचाहे जीवन-साथी की प्राप्ति होती हैं। इसके अलावा दांपत्य जीवन सुखी रहता है और जीवनसाथी के प्राणों की रक्षा होती है। इस व्रत को रखने से पुत्र की प्राप्ति और सुखमय जीवन मिलता है। मंगला गौरी व्रत रखने जातक को तीनों लोकों में ख्याति मिलती है, सुख - सौभाग्य में वृद्धि होती है।
इस व्रत को नवविवाहिता पहले सावन में पिता के घर में और शेष चार वर्ष पति के घर यानि ससुराल में करने का विधान है। शास्त्रों के अनुसार जो स्त्रियां सावन महीने में मंगलवार के दिन व्रत रखकर मंगला गौरी की पूजा करती हैं, उनके पति पर आने वाला संकट टल जाता है और वह लंबे समय तक दांपत्य जीवन का आनंद प्राप्त करती हैं।
मंगला गौरी पूजा विधि
इस दिन व्रती को नित्य कर्मों से निवृत्त होकर संकल्प करना चाहिए कि मैं संतान, सौभाग्य और सुख की प्राप्ति के लिए मंगला गौरी व्रत का अनुष्ठान कर रही हूं। तत्पश्चात आचमन एवं मार्जन कर चैकी पर लाल कपड़ा बिछाकर उस पर माता की प्रतिमा व चित्र के सामने उत्तराभिमुख बैठकर प्रसन्न भाव में एक आटे का दीपक बनाकर उसमें सोलह बातियां जलानी चाहिए।
इसके बाद सोलह लड्डू, सोलह फल, सोलह पान, सोलह लौंग और इलायची के साथ सुहाग की सामग्री और मिठाई माता के सामने रख दें। फिर अष्ट गंध एवं चमेली की कलम से भोजपत्र पर लिखित मंगला गौरी यंत्र स्थापित करें। इसके बाद विधिवत विनियोग, न्यास एवं ध्यान कर पंचोपचार से उस पर श्री मंगला गौरी का पूजन कर उक्त मंत्र- 'कुंकुमागुरुलिप्तांगा सर्वाभरणभूषिताम् । नीलकण्ठप्रियां गौरीं वन्देहं मंगलाह्वयाम्।।' का जप 64,000 बार करना चाहिए। उसके बाद मंगला गौरी की कथा सुनें। इसके बाद मंगला गौरी का सोलह बत्तियों वाले दीपक से आरती करें।
कथा सुनने के बाद सोलह लड्डू अपनी सास को और अन्य सामग्री ब्राह्मण को दान कर दें। पांच साल तक मंगला गौरी पूजन करने के बाद पांचवें वर्ष सावन के अंतिम मंगलवार को इस व्रत का उद्यापन करना चाहिए। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, जिन पुरुषों की कुंडली में मांगलिक योग है, उन्हें इस दिन मंगलवार का व्रत रखकर भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करनी चाहिए। इससे उनकी कुंडली में मौजूद मंगल का अशुभ प्रभाव कम होगा और दांपत्य जीवन में खुशहाली आएगी।
(आचार्य इंदु प्रकाश देश के जाने-माने ज्योतिषी हैं, जिन्हें वास्तु, सामुद्रिक शास्त्र और ज्योतिष शास्त्र का लंबा अनुभव है। इंडिया टीवी पर आप इन्हें हर सुबह 7.30 बजे भविष्यवाणी में देखते हैं।)
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