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Mangala Gauri Vrat 2023: मांगलिक दोष दूर करने के लिए रखें मंगला गौरी का व्रत, माता पार्वती देंगी सुखी दांपत्य जीवन का आशीर्वाद

Mangala Gauri Vrat Significance: धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक, जो विवाहित महिलाएं मंगला गौरी व्रत को विधि-विधान के साथ रखती हैं, उनकी सभी इच्छाएं पूरी होती हैं। इस व्रत को करने से महिलाओं को अखंड सौभाग्‍य की प्राप्ति होती है।

Written By : Acharya Indu Prakash Edited By : Vineeta Mandal Published on: August 08, 2023 5:00 IST
Mangala Gauri Vrat 2023- India TV Hindi
Image Source : FILE IMAGE Mangala Gauri Vrat 2023

Mangala Gauri Vrat 2023: सावन महीने में जितने भी मंगलवार पड़ते हैं, उन सभी को मंगला गौरी व्रत करने का विधान है। यह व्रत मंगलवार को पड़ता है और इस व्रत में माता गौरी अर्थात् पार्वती जी की पूजा की जाती है, जिसके कारण इस व्रत को मंगला गौरी व्रत कहते हैं। मंगला गौरी व्रत को मोराकत व्रत के नाम से भी जाना जाता है। पुराणों के अनुसार, भगवान शिव और माता पार्वती को श्रावण मास अति प्रिय है। इसीलिए श्रावण मास के सोमवार को शिव जी और मंगलवार को माता गौरी अर्थात् पार्वती जी की पूजा को शास्त्रों में बहुत ही शुभ व मंगलकारी बताया गया है।

मंगला गौरी व्रत के प्रभाव से विवाह में हो रहे विलंब समाप्त हो जाते हैं तथा जातक को मनचाहे जीवनसाथी की प्राप्ति होती है। साथ ही दांपत्य जीवन सुखी रहता है और तीनों लोकों में ख्याति मिलती है। इस व्रत को विवाहिता प्रथम सावन में पिता के घर और शेष चार वर्ष पति के घर यानि ससुराल में करने का विधान है। शास्त्रों के अनुसार जो स्त्रियां सावन महीने में मंगलवार के दिन व्रत रखकर मंगला गौरी की पूजा करती हैं, उनके पति पर आने वाला संकट टल जाता है और वह लंबे समय तक दांपत्य जीवन का आनंद प्राप्त करती हैं।

मंगला गौरी व्रत पूजा विधि

 इस दिन व्रती को नित्य कर्मों से निवृत्त होकर संकल्प करना चाहिए कि मैं संतान, सौभाग्य और सुख की प्राप्ति के लिए मंगला गौरी व्रत का अनुष्ठान कर रही हूं । तत्पश्चात आचमन एवं मार्जन कर चैकी पर लाल कपड़ा बिछाकर उस पर माता की प्रतिमा व चित्र के सामने उत्तराभिमुख बैठकर प्रसन्न भाव में एक आटे का दीपक बनाकर उसमें सोलह बातियां जलानी चाहिए । इसके बाद सोलह लड्डू, सोलह फल, सोलह पान, सोलह लौंग और इलायची के साथ सुहाग की सामग्री और मिठाई माता के सामने रखकर अष्ट गंध एवं चमेली की कलम से भोजपत्र पर लिखित मंगला गौरी यंत्र स्थापित कर विधिवत विनियोग, न्यास एवं ध्यान कर पंचोपचार से उस पर श्री मंगला गौरी का पूजन कर इस मंत्र का जप करना चाहिए। मंत्र है- 'कुंकुमागुरुलिप्तांगा सर्वाभरणभूषिताम्। नीलकण्ठप्रियां गौरीं वन्देहं मंगलाह्वयाम्।।' मंत्र का जप 64,000 बार करना चाहिए। 

मंत्र के जाप के बाद मंगला गौरी की कथा सुनें। इसके बाद मंगला गौरी का सोलह बत्तियों वाले दीपक से आरती करें । कथा सुनने के बाद सोलह लड्डू अपनी सास को तथा अन्य सामग्री ब्राह्मण को दान कर दें। पांच साल तक मंगला गौरी पूजन करने के बाद पांचवें वर्ष के सावन के अंतिम मंगलवार को इस व्रत का उद्यापन करना चाहिए। ज्योतिषशास्त्र के अनुसार जिन पुरुषों की कुंडली में मांगलिक योग है उन्हें इस दिन मंगलवार का व्रत रखकर भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करनी चाहिए। इससे उनकी कुंडली में मौजूद मंगल का अशुभ प्रभाव कम होगा और दांपत्य जीवन में खुशहाली आएगी।

(आचार्य इंदु प्रकाश देश के जाने-माने ज्योतिषी हैं, जिन्हें वास्तु, सामुद्रिक शास्त्र और ज्योतिष शास्त्र का लंबा अनुभव है। इंडिया टीवी पर आप इन्हें हर सुबह 7.30 बजे भविष्यवाणी में देखते हैं।)

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