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मंगल ग्रह की उत्पत्ति आखिर कैसे हुई? यहां पढ़ें इससे जुड़ी पौराणिक कथा

ज्योतिष शास्त्र में 9 ग्रहों में से एक ग्रह आता है मंगल। जिसे ग्रहों का सेनापति भी कहते हैं। अब बात करें आज के दिन मंगलवार कि तो इसका संबंध ग्रहों में मंगल से है। आखिर इस ग्रह के प्रकट होने के पीछे कौन सी पौराणिक घटना है। आइए आज हम आपको इस ग्रह कि उत्पत्ति से जुड़ी एक रोचक कथा बताने जा रहे हैं।

Written By: Aditya Mehrotra
Updated on: December 05, 2023 16:14 IST
Mangal Grah- India TV Hindi
Image Source : INDIA TV Mangal Grah

Mangal Grah: हिंदू धर्म में हर दिन का अपना एक विशेष धार्मिक महत्व होता है। इसी प्रकार आज मंगलवार के दिन का भी अपना एक अलग महत्व है। ज्यादातर आज के दिन लोग बजरंगबली की पूजा तो करते ही हैं साथ ही साथ यह दिन मंगल देव को भी समर्पित होता है। जी हां, यदि ज्योतिष शास्त्र की बात करें तो नव ग्रहों में मंगल ग्रह सेनापति हैं। इन्हें मंगल देव, भौम पुत्र, अंगारक आदि नामों से संबोधित किया जाता है। आइए आज हम आपको मंगल ग्रह के प्रकट होने की पौराणिक कथा बताने जा रहे हैं। जिसका सीधा संबंध भगवान शिव से है।

शिव के ललाट से गिरी बूंद से हुई मंगल ग्रह की उत्पत्ति

स्कंद पुराण के अवंतिका खंड में यह वर्णन मिलता है कि एक बार अंधकासुर ने देव लोक में अपना अधिकार जमा लिया था। उसे शिव जी से वरदान प्राप्त होने के कारण कोई भी उसका वध नहीं कर पा रहा था। यहां तक की देवताओं के राजा इंद्र को भी उसने परेशान कर के रख दिया था। तब सारे देवता भगवान शिव के पास पहुंचे और उनसे आग्रह किया कि है भोलेनाथ इस दैत्य का कुछ करें नहीं तो सृष्टि में देवताओं का अधिकार नहीं बचेगा। तब भगवान शिव ने सभी देवताओं को आश्वासन दिया कि आप सभी निश्चिंत रहें। भगवान शिव ने फिर अंधकासुर से युद्ध लड़ा, यह युद्ध बड़ा भयानक चला। युद्ध के तेज से इस दौरान भगवान शिव के ललाट से पसीने की बूंद धरती पर गिरी और वह बूंद जैसे ही धरती में समाई। उस धरती की कोख में से अंगार के समान लाल रंग वाले मंगल ग्रह की उत्पत्ति हुई। महादेव के ललाट से पसीने की बूंद जिस जगह गिरी थी वह महाकाल की नगरी उज्जैन है।

मंगल ग्रह दोष से मुक्ति पाने के लिए करते हैं लोग दर्शन

पौराणिक कथा के अनुसार जिस जगह मंगल ग्रह प्रकट हुए वह स्थान उज्जैन है और उस जगह आज वर्तमान समय में मंगलनाथ मंदिर है। मान्यता है कि यहां मंगलेश्वर शिवलिंग ब्रह्मा जी द्वारा स्थापित है। ऐसा भी माना जाता है कि जो लोग मंगल दोष से पीड़ित हैं। वो एक बार भी यदि यहां आकर मंगलेश्वर शिवलिंग के दर्शन पूजन करते हैं। तो उन्हें मंगल दोष से शीघ्र मुक्ति मिल जाती है और मंगल दोष का प्रभाव भी खत्म हो जाता है।

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं। इसका कोई भी वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है। इंडिया टीवी एक भी बात की सत्यता का प्रमाण नहीं देता है।)

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