Makar Sankranti 2024 Niyam: मकर संक्रांति नए साल का पहला सबसे बड़ा पर्व होता है। इस दिन जहां घर-घर में तिल के लड्डू या इससे बनी अन्य सामग्री बनाई जाती है। वहीं मकर संक्रांति के दिन पवित्र नदियों और तीर्थस्थलों पर स्नान करने के लिए श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ती है। आस्था की इस डूबकी पर ठंड का भी कोई असर नहीं पड़ता है। दरअसल, कहा जाता है कि संक्रांति के दिन स्नान के साथ दान करने से सौ गुना पुण्य फलों की प्राप्ति होती है। तो आइए जानते हैं कि मकर संक्रांति के दिन क्या करना चाहिए और क्या नहीं। साथ ही जानेंगे कि भारत के अलग-अलग राज्य में इस दिन को किस नाम से जाना जाता है।
मकर संक्रांति के दिन इन कामों को गलती से भी न करें
मकर संक्रांति के दिन दान, धर्म और पूजा-पाठ करने का विधान है। ऐसे में इस दिन इन कामों को करना पूरी तरह वर्जित माना जाता है। मकर संक्रांति के दिन तामसिक भोजन यानी मांस, मछली, शराब, लहुसन, प्याज और नशीली चीजों को छुएं भी नहीं। इसके अलावा मकर संक्रांति के दिन बड़े-बुजर्ग समेत किसी के लिए भी कोई अपशब्द का इस्तेमाल नहीं करें। साथ ही कहा जाता है कि मकर संक्रांति पर्व के दिन वृक्षों की कटाई-छटाई से भी नहीं करना चाहिए। इस पावन पर्व के दिन किसी जरूरतमंद को बिना कुछ दान दिए नहीं जाने दे क्षमतानुसार उसकी कोई मदद जरूर करें।
मकर संक्रांति के दिन करें ये काम
मकर संक्रांति के दिन किसी पवित्र नदी में स्नान करें। अगर ऐसा करना संभव नहीं है तो घर पर ही नहाने पानी में गंगाजल मिलाकर स्नान करें। इसके अलावा इस दिन भगवान सूर्य की उपासना जरूर करें। स्नान आदि के बाद भगवान सूर्य को अर्घ्य दें। मकर संक्रांति के दिन गरीब और जरूरतमंदों को अन्न, धन, तिल, कपड़ा, कंबल और चावल का दान जरूर करें। वहीं मकर संक्रांति के दिन स्नान के बाद ही अन्न और जल ग्रहण करें। मकर संक्रांति पर्व के दिन तिल का सेवन अवश्य करें।
मकर संक्रांति को अलग-अलग राज्यों में इन नामों से जाना जाता है
मकर संक्रांति को उत्तरायण के अलावा खिचड़ी, पोंगल और बिहू के नाम से भी जाना जाता है। पूरे देश में यह पर्व बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है। उत्तर भारत में मकर संक्रांति को खिचड़ी नाम से जाना जाता है और इस दिन घर-घर में खिचड़ी बनाई जाती है। वहीं बिहार में मकर संक्रांति के मौके पर दही-चूड़ा खाने की परंपरा है।
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं। इसका कोई भी वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है। इंडिया टीवी एक भी बात की सत्यता का प्रमाण नहीं देता है।)
ये भी पढ़ें-
एक गाय जो 20 सालों से कर रही तपस्या, रोज करती है रामलला की परिक्रमा, एकादशी पर उपवास भी रखती