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Makar Sankranti 2024: मकर संक्रांति के दिन इन बातों का जरूर रखें ध्यान, मिलेगा सौ गुना अधिक फल

Makar Sankranti 2024: मकर संक्रांति के दिन सूर्य की उपासना करने से विशेष लाभ मिलता है। इसके अलावा इस दिन दान करने से कई गुना अधिक शुभ फलों की प्राप्ति होती है।

Written By : Acharya Indu Prakash Edited By : Vineeta Mandal Published on: January 14, 2024 11:30 IST
Makar Sankranti 2024- India TV Hindi
Image Source : INDIA TV Makar Sankranti 2024

Makar Sankranti 2024 Date: इस बार सूर्य का मकर राशि में प्रवेश 14 जनवरी को देर रात होगा। ऐसे में मकर संक्रांति का पर्व 15 जनवरी को मनाया जाएगा। मकर संक्रांति को खिचड़ी भी कहा जाता है। मकर संक्रांति के दिन विशेष रूप से गंगा नदी में स्नान का महत्व है। साथ ही आज काशी में दशाश्वमेध घाट पर या प्रयागराज में स्नान करने से पुण्य फलों की प्राप्ति होती है बता दें कि वर्ष में कुल बारह संक्रांतियां होती हैं, जिनमें से सूर्य की मकर संक्रांति और कर्क संक्रांति बेहद खास हैं। इन दोनों ही संक्रांति पर सूर्य की गति में बदलाव होता है। जब सूर्य की कर्क संक्रांति होती है, तो सूर्य उत्तरायण से दक्षिणायन और जब सूर्य की मकर संक्रांति होती है तो सूर्य दक्षिणायन से उत्तरायण होता है। सीधे शब्दों में कहें तो सूर्य के उत्तरायण होने का उत्सव ही मकर संक्रांति कहलाता है इसलिए कहीं-कहीं पर मकर संक्रांति को उत्तरायणी भी कहते हैं।

मकर संक्रांति के दिन जरूर करें ये काम

सभी संक्रांति पर तीर्थस्थलों पर स्नान और दान का बड़ा ही महत्व है। मकर संक्रांति के दिन गंगा नदी में स्नान का विशेष महत्व है। लेकिन अगर आप वहां जाने में असमर्थ हैं तो इस दिन घर पर ही सामान्य पानी से स्नान करना चाहिए और हो सके तो, उस जल में थोड़ा–सा पवित्र नदियों का जल मिलाना चाहिए। ऐसा करने से व्यक्ति का स्वास्थ्य उत्तम बना रहता है और उसे धन की कोई कमी नहीं होती। 

कहते हैं कि संक्रांति से एक दिन पूर्व यानि आज व्यक्ति को केवल एक बार मध्याहन में भोजन करना चाहिए और संक्रांति के दिन दांतों को साफ करके जल में तिल मिलाकर स्नान करना चाहिए या स्नान से पहले तिल का तेल या तिल का उबटन लगाना चाहिए। मकर संक्रांति के दिन उड़द की दाल और चावल का दान किया जाता है। साथ ही तिल, चिड़वा, सोना, ऊनी वस्त्र, कम्बल आदि दान करने का भी महत्व है। दान के बाद बिना तेल वाला भोजन करना चाहिए और यथाशक्ति अन्य लोगों को भी भोजन देना चाहिए। शास्त्रों के अनुसार पुत्रवान गृहस्थ को संक्रांति पर, कृष्ण एकादशी पर और चंद्र और सूर्य ग्रहण पर उपवास नहीं करना चाहिए।

मकर संक्रांति के दिन दान का महत्व

संक्रांति के दिन दान दक्षिणा या धार्मिक कार्य का सौ गुना फल मिलता है। कहा भी गया है- माघे मासे महादेव: यो दास्यति घृतकम्बलम। स भुक्त्वा सकलान भोगान अन्ते मोक्षं प्राप्यति॥ इस दिन व्यक्ति को किसी गृहस्थ ब्राह्मण को भोजन या भोजन सामग्रियों से युक्त तीन पात्र देने चाहिए और संभव हो तो यम, रुद्र और धर्म के नाम पर गाय का दान करना चाहिए। यदि किसी के बस में ये सब दान करना नहीं है, तो वह

केवल फल का दान करें, लेकिन कुछ न कुछ दान जरूर करें। साथ ही यह श्लोक पढ़ना चाहिए। श्लोक इस प्रकार है-  'यथा भेदं न पश्यामि शिवविष्णवर्कपद्मजान्। तथा ममास्तु विश्वात्मा शंकरः शंकरः सदा।।' इसका अर्थ है- मैं शिव एवं विष्णु तथा सूर्य एवं ब्रह्मा में अंतर नहीं करता। वह शंकर, जो विश्वात्मा है, सदा कल्याण करने वाला हो। 

(आचार्य इंदु प्रकाश देश के जाने-माने ज्योतिषी हैं, जिन्हें वास्तु, सामुद्रिक शास्त्र और ज्योतिष शास्त्र का लंबा अनुभव है। इंडिया टीवी पर आप इन्हें हर सुबह 7.30 बजे भविष्यवाणी में देखते हैं।)

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