
महाशिवरात्रि का पावन पर्व नजदीक आ रहा है, यह दिन शिव परिवार के लिए समर्पित है। इस अवसर पर भक्त व्रत रखते हैं और विधि-विधान से भोले बाबा की पूजा करते हैं। शिव मंदिरों में इस दिन जलाभिषेक के लिए भीड़ लगी रहती है, पूरा दिन यह लंबी लाइन लगी रहती है। पर इस बार महाशिवरात्रि पर भद्रा का साया है। हिंदू धर्म में भद्रा को बेहद अशुभ माना गया है, इस दौरान किसी भी शुभ काम करने पर रोक रहती है।
कब है महाशिवरात्रि?
महाशिवरात्रि का पावन पर्व शिवजी की पूजा और उपासना का दिन है। इस अवसर पर शिव भक्त व्रत आदि रखते हैं और विधि-विधान से होती है। इस साल महाशिवरात्रि फाल्गुन कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को यानी 26 फरवरी की तारीख को पड़ रहा है। हिंदू पंचांग के अनुसार, फाल्गुन कृष्ण पक्ष चतुर्दशी 26 फरवरी की सुबह 11.08 बजे से आरंभ होगी और 27 फरवरी की सुबह 08.54 बजे समाप्त होगी।
कब लग रही भद्रा?
महाशिवरात्रि के दिन इस बार भद्रा का असर रहेगा। यह 26 फरवरी की सुबह 11.08 बजे से यानी चतुर्दशी तिथि के साथ ही लग रही है, जो रात 10.05 बजे तक रहेगी। इस बार भद्रा का वास पाताल लोक में है। शास्त्रों की मानें तो जब भद्रा में कोई भी शुभ कार्य नहीं करना चाहिए।
हिंदू धर्म ग्रंथों की मानें तो भद्रा शनि देव की बहन और सूर्य देव की पुत्री हैं। भद्रा को कष्ट देने वाली कारक कहा जाता है। ब्रह्मा ने स्वयं कहा था कि कोई भद्राकाल में शुभ कार्य करेगा तो भद्रा उसमें बाधा जरूर डालेंगी, पर पाताल लोक और स्वर्ग लोक की भद्रा को अशुभ फलदायी नहीं गिना जाता है। ऐसे में महाशिवरात्रि पर भद्रा पाताल लोक में वास करेंगी तो आपको डरने की जरूरत नहीं है। आप पूरे दिन भगवान शिव की पूजा आदि कर सकते हैं।
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं। इसका कोई भी वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है। इंडिया टीवी एक भी बात की सत्यता का प्रमाण नहीं देता है।)
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