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Maha Shivratri 2023: इस साल महाशिवरात्रि पर बन रहा है दुर्लभ संयोग, आज ही नोट कर लें शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और महत्‍व

Maha Shivratri 2023: महाशिवरात्रि के दिन पूरे भक्ति भाव से की गई प्रार्थना जरूर स्‍वीकार होती है। इस दिन शिव भक्त पूरे दिन व्रत रखने के साथ जलाभिषेक करते हैं। आइए जानते हैं महाशिवरात्रि 2023 की तिथि, शुभ मुहूर्त और महत्व।

Written By: Sushma Kumari @ISushmaPandey
Updated on: January 08, 2023 8:21 IST
 महाशिवरात्रि 2023- India TV Hindi
Image Source : INDIA TV महाशिवरात्रि 2023

Maha Shivratri 2023:  हर साल फाल्गुन महीने के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को महाशिवरात्रि का व्रत किया जाता है। हिंदू धर्म में महाशिवरात्रि का अधिक महत्व होता है। इस दिन भक्त दिनभर उपवास रखने के साथ ही शिवलिंग का अभिषेक करते हैं। कहा जाता है कि इस दिन भगवान शिव की विधि विधान से पूजा करने से व्यक्ति को विशेष फलों की प्राप्ति होती है। शास्त्रों की मानें तो महाशिवरात्रि के दिन माता पार्वती और भगवान शिव का विवाह हुआ था। ऐसे में आइए जानते हैं महाशिवरात्रि 2023 की तिथि, शुभ मुहूर्त और महत्व।

कब है महाशिवरात्रि 2023 ?

पंचांग के अनुसार, इस साल महाशिवरात्रि 18 फरवरी दिन शनिवार को मनाई जाएगी। 

महाशिवरात्रि का शुभ मुहूर्त

  • फाल्‍गुन मास की चतुर्दशी तिथि- 17 फरवरी की रात 8 बजकर 2 मिनट से शुरू 
  • फाल्‍गुन मास की चतुर्दशी तिथि समाप्त - 18 फरवरी की शाम 4 बजकर 18 मिनट पर
  • निशीथ काल पूजा मुहूर्त - 19 फरवरी को तड़के 12 बजकर 16 मिनट से 1 बजकर 6 मिनट तक
  • महाशिवरात्रि पारण मुहूर्त - 19 फरवरी को सुबह 6 बजकर 57 मिनट से दोपहर 3 बजकर 33 मिनट तक

महाशिवरात्रि की पूजा विधि

महाशिवरात्र के दिन सुबह जल्‍दी उठकर स्‍नान कर लें। फिर साफ कपड़े पहनकर भगवान के सामने हाथ जोड़कर महाशिवरात्रि व्रत का संकल्‍प लें। शिवलिंग में चन्दन के लेप लगाकर पंचामृत से स्नान कराना चाहिए। इसके बाद ‘ऊँ नमः शिवाय’ मंत्र का जाप करना चाहिए। बेलपत्र, फूल, दीप और अक्षत से भगवान शिव की पूजा करें। फल और मिठाई का भोग लगाएं। साथ ही शिव पूजा के बाद गोबर के उपलों की अग्नि जलाकर तिल, चावल और घी की मिश्रित आहुति देनी चाहिए। इस तरह होम के बाद किसी भी एक साबुत फल की आहुति दें। सामान्यतया लोग सूखे नारियल की आहुति देते हैं। व्यक्ति यह व्रत करके, ब्राह्मणों को खाना खिलाकर और दीपदान करके स्वर्ग को प्राप्त कर सकता है।

महाशिवरात्रि 2023 का महत्व

महाशिवरात्रि के दिन पूरे भक्ति भाव से की गई प्रार्थना जरूर स्‍वीकार होती है। इस दिन शिव भक्त पूरे दिन व्रत रखने के साथ जलाभिषेक करते हैं। ऐसी मान्यता है कि भोलेनाथ की विधिवत पूजा करने के साथ जलाभिषेक करने से व्यक्ति को सभी दुखों से छुटकारा मिल जाता है।

महाशिवरात्रि पर बन रहा है दुर्लभ संयोग

इस साल महाशिवरात्रि पर पुत्र प्राप्ति का दुर्लभ संयोग बन रहा है। क्योंकि महाशिवरात्रि शनिवार के दिन पड़ रहा है। ऐसे में इस बार महाशिवरात्रि के साथ शनि प्रदोष व्रत भी है। आचार्य इंदु प्रकाश के अनुसार, शनि प्रदोष व्रत पुत्र प्राप्ति के लिए किया जाता है। ऐसी मान्यता है कि शनि प्रदोष व्रत रखने से भोलेनाथ प्रसन्न होकर पुत्र प्राप्ति का वरदान देते हैं। 

महाशिवरात्रि को लेकर है ये मान्यताएं

आचार्य इंदु प्रकाश के मुताबिक, माना जाता है कि इस दिन से ही सृष्टि का प्रारंभ हुआ था। वहीं ईशान संहिता में बताया गया है कि- फाल्गुन कृष्ण चतुर्दश्याम आदिदेवो महानिशि। शिवलिंग तयोद्भूत: कोटि सूर्य समप्रभ:॥ फाल्गुन कृष्ण चतुर्दशी को महानिशीथकाल में आदिदेव भगवान शिव करोड़ों सूर्यों के समान प्रभाव वाले लिंग रूप में प्रकट हुए थे।

जबकि कई मान्यताओं में माना जाता है कि इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती का विवाह हुआ है। गरुड़ पुराण, स्कन्द पुराण, पद्मपुराण और अग्निपुराण आदि में शिवरात्रि का वर्णन मिलता है। कहते हैं शिवरात्रि के दिन जो व्यक्ति बिल्व पत्तियों से शिव जी की पूजा करता है और रात के समय जागकर भगवान के मंत्रों का जाप करता है, उसे भगवान शिव आनन्द और मोक्ष प्रदान करते हैं।

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