Highlights
- 3 सितंबर से सोलह दिवसीय महालक्ष्मी व्रत की शुरुआत हो रही है।
- महालक्ष्मी व्रत की शुरुआत अष्टमी तिथि में या राधा अष्टमी के दिन से होती है।
Mahalakshmi Vrat 2022: 3 सितंबर से सोलह दिवसीय महालक्ष्मी व्रत की शुरुआत हो रही है जो 18 सितंबर तक चलेंगे। महालक्ष्मी व्रत की शुरुआत अष्टमी तिथि में या राधा अष्टमी के दिन से होती है और राधा अष्टमी आज ही है। आचार्य इंदु प्रकाश के अनुसार, जो व्यक्ति महालक्ष्मी के इन सोलह दिनों का व्रत करेगा, सोलह दिन तक मां लक्ष्मी की विधि विधान से पूजा-अर्चना करेगा और उनके मंत्रों का उच्चारण करेगा, उसे अखण्ड लक्ष्मी की प्राप्ति होगी। उसके घर में कभी भी पैसे की कमी नहीं होगी और हमेशा सुख-समृद्धि और खुशहाली बनी रहेगी। साथ ही व्यक्ति को अपने हर कार्य में सफलता प्राप्त होगी।
ऐसे में आप पर महालक्ष्मी की कृपा बनी रहे और आप जीवन में जो भी चाहे, वो पा सकें, इसके लिए सही पूजा-विधि से इन सोलह दिनों के दौरान माता महालक्ष्मी की आराधना जरूर करें। जानिए महालक्ष्मी व्रत की सही पूजा-विधि, शुभ मुहूर्त और मंत्र।
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महालक्ष्मी व्रत का शुभ मुहूर्त
अष्टमी तिथि 3 सितंबर दोपहर 3 बजकर 10 मिनट से शुरू होकर 8 बजकर 29 मिनट तक रहेगा।
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महालक्ष्मी व्रत की पूजा विधि
इस दिन उचित दिशा की अच्छे से साफ-सफाई करके, शुभ मुहूर्त में वहां पर कलश स्थापना कीजिये और स्थापना करने के बाद कलश पर एक लाल कपड़े में कच्चा नारियल लपेट कर रख दीजिये। कलश स्थापना के बाद माता महालक्ष्मी की स्थापना करनी है। देवी मां की स्थापना के लिए एक लकड़ी की चौकी लेकर उस पर सफेद रेशमी कपड़ा बिछाकर महालक्ष्मी की तस्वीर रख दें। अगर आप तस्वीर की जगह मूर्ति का प्रयोग कर रहे हैं, तो पाटे को आप लाल वस्त्र से सजाइए। यदि संभव हो तो कलश के साइड में एक अखण्ड ज्योति स्थापित कीजिये, जो पूरे सोलह दिनों तक लगातार जलती रहे। अन्यथा रोज़ सुबह-शाम देवी मां के आगे सघी का दीपक जलाइए। साथ ही मेवा-मिठाई का नित्य भोग लगाइए।
इस दिन जितने घर में सदस्य हैं, उतने लाल रेशमी धागे या कलावे के टुकड़े लेकर उसमें 16 गांठे लगाइए और पूजा के समय घर के सब सदस्य उन्हें अपने दाहिनी हाथ की बाजू या कलाई में बांध लें। पूजा के बाद इसे उतारकर लक्ष्मी जी के चरणों में रख दें। अब इसका पुनः प्रयोग महालक्ष्मी व्रत के अंतिम दिन संध्या पूजा के समय ही होगा।
महालक्ष्मी मंत्र
सोलह दिनों के दौरान इस मंत्र का जाप करके आप अपने किसी भी कार्यों में सफलता प्राप्त कर सकते हैं।
मंत्र - 'ऊं श्रीं ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद श्रीं ह्रीं श्रीं महालक्ष्म्यै नमः'
अगर आपको इस मंत्र को बोलने में परेशानी आए तो आप केवल ''श्रीं ह्रीं श्रीं'' मंत्र का जाप भी कर सकते हैं, क्योंकि लक्ष्मी का एकाक्षरी मंत्र तो “श्रीं” ही है। आपको बता दें, महालक्ष्मी के जप के लिए स्फटिक की माला को सर्वोत्तम कहा गया है। कमलगट्टे की माला को भी उत्तम बताया गया है। लेकिन ये दोनों न होने पर रूद्राक्ष की माला पर भी आप जप कर सकते हैं।
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इस मंत्र का पुरस्चरण एक लाख जप है, लेकिन इतना जप अगर आपके लिये संभव नहीं है तो आप रोज़ 16 दिनों तक इस मंत्र का एक माला जप कीजिये। आपको ये भी बता दूं कि कुल जितना जप किया जाता है, उसका 10 प्रतिशत हवन करना चाहिए, हवन का 10 प्रतिशत तर्पण करना, तर्पण का 10 प्रतिशत मार्जन करना चाहिए और उसका 10 प्रतिशत ब्राह्मणों को भोजन कराना चाहिए।
(आचार्य इंदु प्रकाश देश के जाने-माने ज्योतिषी हैं, जिन्हें वास्तु, सामुद्रिक शास्त्र और ज्योतिष शास्त्र का लंबा अनुभव है। इंडिया टीवी पर आप इन्हें हर सुबह 7.30 बजे भविष्यवाणी में देखते हैं)