Thursday, January 16, 2025
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कितने त्याग के बाद बनती हैं साध्वी, कैसी होती है यहां महिलाओं की जिंदगी? साक्षी गिरी ने बताया

महंत साक्षी गिरी जी महाराज ने इंडिया टीवी से खास बातचीत की जिसमें उन्होंने अपने जीवन के साथ-साथ बताया कि साध्वी की जिंदगी कैसी होती है?

Reported By : Abhay Parashar Written By : Shailendra Tiwari Published : Jan 16, 2025 11:10 IST, Updated : Jan 16, 2025 13:32 IST
Mahakumbh 2025
Image Source : INDIA TV महंत साक्षी गिरी जी महाराज

एक तरफ मॉडलिंग से साध्वी बनने का दावा करने वाली मेघा है तो दूसरी तरफ 5 साल की उम्र में दीक्षा लेने वाली और 14 साल की उम्र में घर त्यागने वाली श्री महंत साक्षी गिरी जी महाराज। महंत साक्षी गिरी ने बताया कि कैसे साध्वी बना जाता है। साथ ही यह भी बताया कि साध्वी बनने के बाद की जिंदगी कैसी होती है।

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सवालों के जवाब देते हुए महंत साक्षी गिरी ने कहा कि बाल्यकाल से मेरा रुझान परमात्मा की ओर था, 5 साल की उम्र में ही मैंने दीक्षा ले ली थी। मेरे पिता, दादा और परदादा भी संत थे तो ऐसे घर में धार्मिक माहौल रहता था तो बचपन से ही महादेव के प्रति रुझान था। 14 साल की उम्र में जब मां का देहांत हुआ तो एहसास हुआ जीवन में जिसको सबसे ज्यादा प्यार करते है वो छोड़कर चला जाता है तो ये सब मोह माया है। मैंने जाना कि सच्चा प्रेम परमात्मा ही है। उस दिन के बाद घर त्याग दिया, घर में पिता, दादा भी संत थे, संस्कार वही थे तो परमात्मा की भक्ति में लीन हो गई। 20 साल हो गए मुझे संन्यास लिए हुए।

साध्वी कैसे बनते है?

श्री महंत साक्षी गिरी जी महाराज ने कहा कि साध्वी बनना शब्द नहीं है, इसके लिए आपके मन में भगवान के प्रति प्रेम, श्रद्धा, भाव होना चाहिए साथ ही वैराग्य होना चाहिए। बिना वैराग्य के आप संन्यास धारण नहीं कर सकते। आपके अंदर त्याग भी होना चाहिए अगर ये नहीं है तो आप साध्वी नहीं बन सकते। मेरी हर कोई ये भगवा वस्त्र धारण नहीं कर सकता, इस वस्त्र को अग्नि वस्त्र कहा गया है।

दीक्षा के बाद मैं जूना अखाड़ा से जुड़ी, यहां गुरुओं ने मुझे सेवा भाव, संस्कार सिखाया, जैसे कैसे अखाड़े में रहते है, यहां के नियम, बड़ों का आदर, गुरु सेवा, परमात्मा सेवा क्या होती है। महात्मा भी यहां अलग-अलग हैं, यहां कुछ लोग तप करते हैं, कोई भजन करने वाले, कोई योग करने वाले हैं, कोई जल धारा, कोई अग्नि तपस्या करते और कोई साधना करते हैं। मैं बचपन से साधना और भक्ति करती हूं। मैं मां भगवती की साधना करती हूं।

साधना किस तरीके से होती है?

साधना 41 दिन, 3 माह, 6 माह, 7 माह तक की जाती है। मैं 41 दिन का अनुष्ठान करती हूं, उस समय हम अखंड जलाते हैं क्योंकि अग्नि साक्षी होती हैं। उस दौरान हम आश्रम से बाहर नहीं जाती, जमीन पर सोना, स्वयं का फलाहार तैयार करना आदि होता है। इस दौरान अन्न का त्याग कर दिया जाता है। आम दिनों में भक्तों को टाइम देते हैं, आश्रम के कार्य करते हैं, मेडिटेशन, योग और समाज के साथ बैठते हैं।

गंगा में स्नान से क्यों दूर हो जाते हैं रोग?

कुंभ में करोड़ों लोग त्रिवेणी में आते है, तो कहा जाता है कि रोग दूर हो जाते है, पाप कट जाते है, इसके पीछे क्या शक्ति है, इस पर साध्वी ने कहा कि जब माँ गंगा धरती पर आईं तो शिव जी से कहा कि मेरे अंदर करोड़ों लोग स्नान करेंगे और मुझे दूषित करेंगे। इस पर शिव जी ने मां गंगा को आशीर्वाद दिया था कि कुंभ में अमृत स्नान में करोड़ों संत महात्मा स्नान करेंगे वो इतना तप करते है उनके स्नान से आप पवित्र हो जाएंगी। यही कारण है कि लोगों के रोग दूर हो जाते हैं।

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