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Mahakumbh 2025: महाकुंभ देवी-देवताओं के लिए भी है बेहद खास, इनका रूप बनाकर मेले में होते हैं शामिल

Mahakumbh 2025: महाकुंभ की शुरुआत हो चुकी है और यह पावन पर्व न केवल धरती वासियों अपितु देवी-देवताओं के लिए भी बेहद खास होता है। माना जाता है कि कुंभ में देवी-देवता भी शामिल होते हैं।

Written By: Naveen Khantwal
Published : Jan 14, 2025 8:26 IST, Updated : Jan 14, 2025 8:26 IST
Mahakumbh 2025
Image Source : SOCIAL महाकुंभ 2025

Kumbh Mela 2025: प्रयागराज में महाकुंभ का पहला शाही स्नान हो रहा है। इस दौरान नागा साधुओं के 13 अखाड़े सबसे पहले संगम में स्नान करेंगे। 144 साल बाद लगने वाले इस पवित्र महाकुंभ में न केवल देश से बल्कि विदेश से भी लाखों की संख्या में भक्त पहुंचे हैं। एक अनुमान के अनुसार 44 दिनों तक चलने वाले महाकुंभ मेले में लगभग 35 से 40 करोड़ लोग हिस्सा लेंगे। 13 जनवरी से शुरू हुआ महाकुंभ का उत्सव 26 फरवरी को समाप्त होगा। महाकुंभ को लेकर कहा जाता है कि इसमें न केवल मनुष्य अपितु देवी-देवता भी हिस्सा लेते हैं। 

देवी-देवता भी होते हैं महाकुंभ में शामिल

महाकुंभ में स्नान का बड़ा महत्व है। मान्यताओं के अनुसार, कुंभ स्नान से पाप का क्षय तो होता ही है, साथ ही भाग्य का उदय भी होता है। महाकुंभ में डुबकी लगाने से 100 वर्षों तक अन्न त्यागकर किए गए व्रत का फल भी व्यक्ति को मिलता है। इस दौरान ग्रह-नक्षत्रों का कुछ ऐसा संयोग होता है कि दिव्य आत्माएं और देवी देवता भी पवित्र स्नान करने के लिए महाकुंभ में रूप बदलकर पहुंचते हैं। 

इनका रूप धारण कर शामिल होते हैं देवी-देवता 

महाकुंभ के दौरान पवित्र डुबकी लगाने के लिए देवी-देवता और पुण्य आत्माएं नागा साधुओं और अघोरियों का रूप धारण करके धरती पर आती हैं। यानि न केवल मनुष्य अपितु देवी-देवता भी महाकुंभ में स्नान के लिए आतुर रहते हैं। धार्मिक जानकारों के अनुसार, प्रयागराज में चल रहा महाकुंभ का मेला 144 सालों के बाद लग रहा है, इस दुर्गम मौके पर भी देवी-देवता अवश्य डुबकी लगाने के लिए त्रिवेणी घाट पर रूप बदलकर पहुंचेंगे। 

आध्यात्मिक उन्नति के लिए महाकुंभ स्नान जरूर

महाकुंभ के दौरान आम लोग भले ही पुण्य की प्राप्ति और पाप से मुक्ति की कामना के साथ डुबकी लगाते हों, लेकिन साधु-संत आध्यात्मिक उन्नति के लिए कुंभ का स्नान करते हैं। ऐसा माना जाता है कि कुंभ में स्नान के बाद साधु-संतों को विवेक आध्यात्मिक ज्ञान की प्राप्ति होती है। इसीलिए नागा साधुओं की दीक्षा भी महाकुंभ के दौरान ही होती है। आम लोग जहां महाकुंभ में स्नान के बाद शुद्ध होते हैं वहीं नागा साधु शुद्धिकरण करने के बाद गंगा स्नान करते हैं और अपनी दीक्षा पूर्ण करते हैं। 

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं। इसका कोई भी वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है। इंडिया टीवी एक भी बात की सत्यता का प्रमाण नहीं देता है।)

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