Thursday, January 09, 2025
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Mahakumbh 2025: खूनी नागा साधु कैसे बनते हैं? स्वभाव से होते हैं उग्र, धर्म रक्षा के लिए बहा देते हैं अपना रक्त

Mahakumbh 2025: आज हम आपको अपने इस लेख में जानकारी देंगे कि खूनी नागा साधु कौन होते हैं और कैसे इनको दीक्षा प्राप्त होती है।

Written By: Naveen Khantwal
Published : Jan 09, 2025 20:58 IST, Updated : Jan 09, 2025 20:58 IST
Mahakumbh 2025
Image Source : PTI महाकुंभ 2025

Kumbh Mela 2025: नागा साधुओं की रहस्यमयी दुनिया को देखकर हर कोई अचंभित होता है। इनके कड़े नियम कायदे, कठिन जीवन शैली हर व्यक्ति को हैरान करती है। दूर से भले ही हमें लगे की नागा और इनके अखाड़े अव्यवस्थित हैं, लेकिन ये हर कार्य को पूरी व्यवस्था के साथ करते हैं। नागा साधु बनने की प्रक्रिया शुरू से अंत तक नियमों के तहत ही होती है। बहुत कम ही लोग यह बात जानते होंगे कि, नागा साधुओं को दीक्षा देने के बाद उन्हें एक विशेष श्रेणी में रखा जाता है। इन्हीं में से एक हैं खूनी नागा साधु, आज हम आपको इन्हीं के बारे में जानकारी देंगे। 

नागा साधुओं का कठिन तप 

नागा साधु किस जगह हरिद्वार, उज्जैन कहा दीक्षा लेगा ये महंतों के द्वारा निश्चित किया जाता है। इसके बाद नागा साधु बनने से पहले किसी भी व्यक्ति को शुरुआत में तीन सालों तक महंत की सेवा करनी होती है। इस दौरान उनकी ब्रह्मचर्य की भी परीक्षा होती है। अगर ब्रह्मचर्य व्रत को साधु पूरा कर लेता है तो उसे आगे बढ़ने का मौका मिलता है। खूनी नागा साधुओं को उज्जैन में दीक्षा दी जाती है। खूनी नागा साधु बनने के लिए कई रातों तक एक साधु को 'ॐ नम: शिवाय' मंत्र का जप करना होता है।  इसके बाद अखाड़े के प्रमुख महामंडलेश्वर द्वारा विजया हवन करवाया जाता है।

हवन पूरा होने के बाद साधु को शिप्रा नदी में 108 बार फिर से डुबकी लगानी होती है। इसके बाद उज्जैन में कुंभ मेले के दौरान अखाड़े के ध्वज के नीचे नागा साधु को दंडी त्याग करवायी जाती है। यह प्रक्रिया पूरी होने के बाद ही एक नागा साधु पूर्ण रूप से खूनी नागा साधु बनता है। जिस तरह उज्जैन में दीक्षित होने वाले नागा साधु को खूनी कहा जाता है, इसी तरह हरिद्वार में दीक्षा ग्रहण करने वाले साधु को बर्फानी नागा साधु कहते हैं। 

खूनी नागा साधुओं का स्वभाव 

उज्जैन में दीक्षा लेने वाले साधुओं को बेहद उग्र माना जाता है। हालांकि छल-कपट और बैर किसी के प्रति इनके मन में नहीं होता। इन साधुओं को नागाओं की सेना कहा जाए तो गलत नहीं होगा। धर्म की रक्षा के लिए खूनी नागा साधु हमेशा आगे रहते हैं, धर्म रक्षा के लिए अपनी बलि देने और दूसरों का खून बहाने से भी ये पीछे नहीं हटते। यानि यह कहना गलत नहीं होगा कि खूनी नागा साधु योद्धाओं की तरह होते हैं। 

महाकुंभ 2025

महाकुंभ का मेला इस साल प्रयागराज में 13 जनवरी से शुरू होगा।  इस दौरान बड़ी संख्या में नागा साधु प्रयागराज पहुंचेंगे साथ ही आम लोगों की भी बड़ी संख्या कुंभ मेले में पहुंचेगी। 13 जनवरी से लेकर तक 26 फरवरी तक महाकुंभ का पावन पर्व प्रयागराज में मनाया जाएगा। 

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