
Kumbh Mela 2025: महाकुंभ का आखिरी अमृत स्नान 3 फरवरी को है। इस दिन साधु-संतों के स्नान के बाद आम लोग त्रिवेणी संगम में डुबकी लगाएंगे। इस दिन के बाद नागा साधु अपने अखाड़ों की ओर वापस लौटेंगे। महाकुंभ का यह अमृत स्नान बेहद खास है, क्योंकि ऐसा संयोग अब वर्षों के बाद बनेगा। ऐसे में महाकुंभ के अंतिम अमृत स्नान के दिन आपको सूर्य देव की स्तुति अवश्य करनी चाहिए। मान्यताओं के अनुसार इस दिन सूर्य देव की स्तुति करने से आपके जीवन के सब दुख दूर हो जाते हैं। आपका भाग्य जागता है और जीवन के हर क्षेत्र में आपको सफलता मिलने लगती है।
श्री सूर्य स्तुति
जय कश्यप-नन्दन, ॐ जय अदिति नन्दन ।।
त्रिभुवन-तिमिर-निकन्दन, भक्त-हृदय-चन्दन॥
जय कश्यप-नन्दन, ॐ जय अदिति नन्दन।।
सप्त-अश्वरथ राजित, एक चक्रधारी।
दु:खहारी, सुखकारी, मानस-मल-हारी॥
जय कश्यप-नन्दन, ॐ जय अदिति नन्दन।।
सुर-मुनि-भूसुर-वन्दित, विमल विभवशाली।
अघ-दल-दलन दिवाकर, दिव्य किरण माली॥
जय कश्यप-नन्दन, ॐ जय अदिति नन्दन।।
सकल-सुकर्म-प्रसविता, सविता शुभकारी।
विश्व-विलोचन मोचन, भव-बन्धन भारी॥
जय कश्यप-नन्दन, ॐ जय अदिति नन्दन।।
कमल-समूह विकासक, नाशक त्रय तापा।
सेवत साहज हरत अति मनसिज-संतापा॥
जय कश्यप-नन्दन, ॐ जय अदिति नन्दन।।
नेत्र-व्याधि हर सुरवर, भू-पीड़ा-हारी।
वृष्टि विमोचन संतत, परहित व्रतधारी॥
जय कश्यप-नन्दन, ॐ जय अदिति नन्दन।।
सूर्यदेव करुणाकर, अब करुणा कीजै।
हर अज्ञान-मोह सब, तत्वज्ञान दीजै॥
जय कश्यप-नन्दन, ॐ जय अदिति नन्दन।।
महाकुंभ अमृत स्नान के दिन सूर्य-स्तुति की विधि और लाभ
सूर्य स्तुति का पाठ करने से पहले आपको स्नान करना चाहिए। इसके बाद तांबे के लोटे में जल लेकर उसमें रोली और लाल फूल मिलाकर सूर्य को अर्घ्य देना चाहिए। इसके पश्चात सूर्य स्तुति का पाठ करना चाहिए। स्तुति करने के बाद सूर्य देव से अपनी मनोकामना कहें।
महाकुंभ का आयोजन में सूर्य की स्थिति को भी देखा जाता है। यानि सूर्य देव की कुछ विशेष स्थितियों में ही महाकुंभ का आयोजन होता है। ऐसे में अमृत स्नान के दिन सूर्य स्तुति करने से कई तरह के लाभ आपको प्राप्त हो सकते हैं। अमृत स्नान के दिन सूर्य स्तुति करने से आपको भाग्य का साथ मिलने लग जाता है। करियर के क्षेत्र में भी आपकी उन्नति होती है और साथ ही आत्मविश्वास भी बढ़ता है। पारिवारिक खुशियों और धन-धान्य की प्राप्ति भी आप सूर्य स्तुति करके पाते हैं। अगर आप सूर्य स्तुति न कर पाएं तो नीचे दिए गए सूर्य स्तोत्र का पाठ भी आप कर सकते हैं।
सूर्य स्त्रोत
प्रात: स्मरामि खलु तत्सवितुर्वरेण्यंरूपं हि मण्डलमृचोऽथ तनुर्यजूंषी।
सामानि यस्य किरणा: प्रभवादिहेतुं ब्रह्माहरात्मकमलक्ष्यचिन्त्यरूपम् ।।1।।
प्रातर्नमामि तरणिं तनुवाऽमनोभि ब्रह्मेन्द्रपूर्वकसुरैनतमर्चितं च।
वृष्टि प्रमोचन विनिग्रह हेतुभूतं त्रैलोक्य पालनपरंत्रिगुणात्मकं च।।2।।
प्रातर्भजामि सवितारमनन्तशक्तिं पापौघशत्रुभयरोगहरं परं चं।
तं सर्वलोककनाकात्मककालमूर्ति गोकण्ठबंधन विमोचनमादिदेवम् ।।3।।
ॐ चित्रं देवानामुदगादनीकं चक्षुर्मित्रस्य वरुणस्याग्ने:।
आप्रा धावाप्रथिवी अन्तरिक्षं सूर्य आत्मा जगतस्तस्थुषश्र्व ।।4।।
सूर्यो देवीमुषसं रोचमानां मत्योन योषामभ्येति पश्र्वात्।
यत्रा नरो देवयन्तो युगानि वितन्वते प्रति भद्राय भद्रम् ।।5।।
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं। इसका कोई भी वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है। इंडिया टीवी एक भी बात की सत्यता का प्रमाण नहीं देता है।)
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