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Mahakumbh 2025: नागा साधु करते हैं ये 17 श्रृंगार, उसके बाद बढ़ते हैं शाही स्नान के लिए आगे

Mahakumbh 2025: महाकुंभ के दौरान नागा साधुओं के सभी अखाड़े शाही स्नान में हिस्सा लेते हैं। इस दौरान श्रृंगार करके नागा साधु पवित्र डुबकी लगाएंगे। आज हम आपको बताएंगे कि, नागाओं के सत्रह श्रृंगार क्या-क्या हैं।

Written By: Naveen Khantwal
Published : Jan 09, 2025 19:32 IST, Updated : Jan 09, 2025 19:32 IST
Mahakumbh 2025
Image Source : INDIA TV महाकुंभ 2025

Kumbh Mela 2025: महाकुंभ का भव्य आयोजन प्रयागराज में इस साल लगने जा रहा है। कुंभ के मेले में नागा साधु आकर्षण का केंद्र होते हैं, इनकी जीवन शैली और पहनावा लोगों के लिए आश्चर्य का विषय होता है। दुनिया से विरक्त नागा साधु बड़ी संख्या में महाकुंभ मेले में शामिल होते हैं। ये संसार के मोहमाया के बंधनों को तोड़ चुके होते हैं लेकिन श्रृंगार का ये भी पूरा ध्यान रखते हैं। शाही स्नान में शामिल होने से पहले नागा साधु 17 श्रृंगार करते हैं। आज हम आपको इसी विषय में अपने इस लेख में जानकारी देने वाले हैं। आइए जान लेते हैं नागा साधुओं के इन 17 श्रृंगारों के बारे में।  

नागा साधु शाही स्नान से पहले करते हैं श्रृंगार 

महाकुंभ के दौरान नागा साधु सबसे पहले शाही स्नान करते हैं। धर्म के प्रति नागा साधुओं की निष्ठा को देखते हुए सम्मानपूर्वक नागा अखाड़ों को प्रथम स्नान की अनुमति दी जाती है। नागा साधु भी भव्य रूप से शाही स्नान की तैयारियां करते हैं। माना जाता है कि नागा साधु शाही स्नान से पहले 17 श्रृंगार करते हैं और उसके बाद ही पवित्र डुबकी लगाते हैं। आइए जान लेते हैं नागाओं के इन सत्रह श्रृंगारों के बारे में। 

नागाओं के 17 श्रृंगार

  1. भभूत
  2. लंगोट
  3. चंदन
  4. पैरों में कड़ा (चांदी या लोहे का) 
  5. पंचकेश
  6. अंगूठी
  7. फूलों की माला (कमर में बांधने के लिए)
  8. हाथों में चिमटा
  9. माथे पर रोली का लेप
  10. डमरू 
  11. कमंडल
  12. गुथी हुई जटा
  13. तिलक
  14. काजल 
  15. हाथों का कड़ा
  16. विभूति का लेप
  17. रुद्राक्ष

नागा साधुओं के लिए माहकुंभ का मेला बहुत अहमियत रखता है। इसलिए सत्रह श्रृंगार करके नागा साधु इस दौरान पवित्र नदी में डुबकी लगाते हैं। महाकुंभ के दौरान ही 12 साल के कड़े तप के बाद नागा साधुओं की दीक्षा भी पूर्ण होती है। नागा साधु महाकु्ंभ में तब डुबकी लगाते हैं जब उनकी साधना पूरी होती है और उनका शुद्धिकरण हो चुका होता है। इसके ठीक उलट आम लोग गंगा में डुबकी लगाने के बाद शुद्ध होते हैं। 

महाकुंभ 2025

महाकुंभ का मेला 2025 में 13 जनवरी से शुरू होगा। हालांकि पहला शाही स्नान 14 जनवरी को मकर संक्रांति के दिन किया जाएगा। इस दिन नागा साधु सबसे पहले पवित्र संगम में डुबकी लगाएंगे। इसके बाद ही आम लोग डबकी लगाएंगे। महाकुंभ का यह पावन पर्व लगभग 44 दिनों तक चलेगा। 26 फरवरी को महाशिवरात्रि के दिन अंतिम स्नान किया जाएगा। सूत्रों के अनुसार, 2025 में महाकुंभ के दौरान प्रयागराज में 35 से 40 करोड़ श्रद्धालु डुबकी लगाएंगे। 

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं। इसका कोई भी वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है। इंडिया टीवी एक भी बात की सत्यता का प्रमाण नहीं देता है।)

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