Kumbh Mela 2025 Snan Niyam: 13 जनवरी 2025, पौष पूर्णिमा के दिन से महाकुंभ का शुभारंभ हो रहा है। इस बार संगम नगरी प्रयागराज में महाकुंभ मेला का आयोजन हो रहा है। सोमवार को श्रद्धालु महाकुंभ का पहला स्नान करेंगे। कुंभ के दौरान लाखों की संख्या में तीर्थयात्री त्रिवेणी में डुबकी लगाएंगे। हिंदू धर्म में कुंभा मेला के दौरान स्नान का कुंभ में स्नान-दान का विशेष महत्व बताया गया है। लेकिन बता दें कि गृहस्थ लोगों के लिए महाकुंभ में स्नान के कुछ नियम होते हैं, जिनका पालन करना बेहद जरूरी होता है। तो आइए जानते हैं महाकुंभ में स्नान के नियम के बारे में।
महाकुंभ में स्नान के नियम
स्वच्छता का रखें ध्यान
महाकुंभ में स्नान करने के लिए जा रहे हैं तो स्वच्छता का ध्यान रखें। त्रिवेणी में स्नान के दौरान साबुन और शैंपू आदि का इस्तेमाल बिल्कुल भी न करें और न शरीर से गंदगी और मैल छुड़ाएं। साथ ही स्नान के बाद त्रिवेणी में कपड़े भी नहीं धुलना चाहिए वरना गंगा स्नान का पुण्य फल प्राप्त नहीं होता है।
इतनी बार लगाएं डुबकी
महाकुंभ में स्नान के दौरान गृहस्थ लोगों को कम से कम 5 बार डुबकी जरूर लगाना चाहिए। कहा जाता है कि 5 बार डुबकी नहीं लगाने से आपकी कुंभ की धार्मिक यात्रा अधूरी रह सकती है। स्नान के दौरान देवी-देवताओं का स्मरण करें। साथ ही हाथ जोड़कर त्रिवेणी-गंगा, सरस्वती और यमुना देवी के साथ ही सूर्य देव को प्रणाम करें।
कुंभ में इनके बाद ही स्नान करें
महाकुंभ में शाही स्नान का खास महत्व होता है। तो अगर आप शाही स्नान के दिन स्नान करने जा रहे हैं तो नागा बाबाओं और अन्य प्रमुख साधु-संतों के बाद स्नान करें। बता दें कि कुंभ में नागा बाबाओं को प्रथम स्नान का अधिकार मिला हुआ है।
स्नान के बाद करें इन मंदिरों के दर्शन
महाकुंभ में स्नान के बाद प्रयागराज के प्रमुख धार्मिक स्थलों के दर्शन भी जरूर करें। कुंभ स्नान के बाद संगम किनारे स्थित लेटे हनुमान जी, अक्षय वट,नागवासुकी मंदिर और अलोपी देवी मंदिर के दर्शन अवश्य करें।
महाकुंभ स्नान की प्रमुख तिथियां
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पौष पूर्णिमा- 13 जनवरी 2025
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मकर संक्रांति- 14 जनवरी 2025- पहला शाही स्नान
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मौनी अमावस्या- 29 जनवरी 2025- दूसरा शाही स्नान
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बसंत पंचमी- 3 फरवरी 2025- तीसरा शाही स्नान
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माघ पूर्णिमा- 12 फरवरी 2025
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महाशिविरात्रि- 26 फरवरी 2025- महाकुंभ का आखिरी स्नान
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं। इसका कोई भी वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है। इंडिया टीवी एक भी बात की सत्यता का प्रमाण नहीं देता है।)
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