Tuesday, January 14, 2025
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Mahakumbh 2025: नागा साधु ही आखिर क्यों करते हैं पहले अमृत स्नान आमजन क्यों नहीं? जानिए पौराणिक कारण

Mahakumbh: महाकुंभ में पहला अमृत स्नान यानी शाही स्नान आज हो रहा है, इस दौरान सबसे पहले नागा साधुओं को स्नान करने को मौका दिया जाता है। आइए जानते हैं इसका कारण....

Written By: Shailendra Tiwari @@Shailendra_jour
Published : Jan 14, 2025 7:01 IST, Updated : Jan 14, 2025 7:21 IST
नागा साधु
Image Source : PTI नागा साधु

Kumbh Mela 2025: महाकुंभ 2025 का आगाज हो चुका है। महाकुंभ का पहला अमृत स्नान आज मकर संक्रांति के शुभ अवसर पर शुरू हो रहा है। इस दौरान 13 अखाड़ों के साधु त्रिवेणी संगम में पवित्र डुबकी लगाएंगे। इसके बाद आमजन स्नान कर सकेंगे। महाकुंभ मेले का मुख्य आकर्षण शाही स्नान को ही माना जाता है। इसमें सबसे पहले स्नान का अवसर नागा साधुओं को दिया जाता है, आइए जानते हैं कि आखिर ऐसा क्यों किया जाता है?

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इस अखाड़े ने किया पहला स्नान

सालों से चली आ रही परंपरा को इस बार भी दोहराया गया है, अखाड़ों में भी पहले अखाड़ा महानिर्वाणी एवं शम्भू पंचायती अटल अखाड़ा को स्नान का पहला अवसर मिला है। ऐसे में आज सुबह 6.15 बजे पंचायती अखाड़ा महानिर्वाणी ने अमृत स्नान (शाही स्नान) कर लिया है। इसके पीछे अब निरंजनी अखाड़ा, अखाड़ा आनन्द, जूना अखाड़ा, दशनाम आवाहन अखाड़ा और पंचाग्नि अखाड़ा, पंच निर्मोही, पंच दिगंबर पंच निर्वाणी अनी अखाड़ा , नया उदासीन अखाड़ा बड़ा उदासीन व अन्य अखाड़े अमृत स्नान कर रहे हैं।

क्यों करते हैं पहले नागा स्नान?

धार्मिक मान्यताओं की मानें तो जब देवता और असुर समुद्र मंथन से निकले अमृत कलश की रक्षा के लिए एक-दूसरे से संघर्ष कर रहे थे, तो अमृत की 4 बूंदे कुंभ के 4 जगहों (प्रयागराज, उज्जैन, हरिद्वार और नाशिक) पर गिर गई। इसके बाद यहां महाकुंभ मेले की शुरुआत की गई। नागा साधु भोले बाबा के अनुयायी माने जाते हैं और वह भोले शंकर की तपस्या और साधना की वजह से इस स्नान को नागा साधु सबसे पहले करने के अधिकारी माने गए। तभी से यह परंपरा चली आ रही कि अमृत स्नान पर सबसे पहला हक नागा साधुओं का ही रहता है। नागा का स्नान धर्म और आध्यत्मिक ऊर्जा की केंद्र माना जाता है। 

एक अलग मान्यता के मुताबिक, ऐसा कहा जाता है कि आदि शंकराचार्य ने जब धर्म की रक्षा के लिए नागा साधुओं की टोली बनाई, तो अन्य संतों ने आगे आकर धर्म की रक्षा करने वाले नागा साधुओं को पहले स्नान करने को आमंत्रित किया। चूंकि नागा भोले शंकर के उपासक है, इस कारण भी इन्हें पहले हक दिया गया। तब से यह परंपरा निरंतर चली आ रही है।

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं। इसका कोई भी वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है। इंडिया टीवी एक भी बात की सत्यता का प्रमाण नहीं देता है।)

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