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Magh Purnima 2025: माघी पूर्णिमा के दिन बस करें इस एक चालीसा का पाठ, नारायण स्वयं बनाएंगे सभी बिगड़े काम

माघ पूर्णिमा के दिन भगवान विष्णु व मां लक्ष्मी की पूजा करने का विधान है। माना गया है कि इस दिन नारायण जल में वास करते हैं।

Written By: Shailendra Tiwari @@Shailendra_jour
Published : Feb 12, 2025 6:37 IST, Updated : Feb 12, 2025 6:37 IST
vishnu bhagwan
Image Source : SOCIAL MEDIA भगवान विष्णु

Magh Purnima Puja: माघ पूर्णिमा का सुबह से ही स्नान चल रहा है, लाखों की संख्या में श्रद्धालु संगम तट व अन्य नदियों के तट पर जमकर स्नान-दान करने में लगे हुए हैं। स्नान के बाद लोगों को भगवान सूर्य को अर्घ्य जरूर देना चाहिए। साथ ही भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की पूजा भी जरूर करनी चाहिए। साथ ही भगवान विष्णु की चालीसा का पाठ भी करना चाहिए क्योंकि नारायण को जगत का पालनहार कहा गया है। 

माना जाता है कि भगवान विष्णु की उपासना से भक्तों के सभी दुख-पीड़ा खत्म हो जाते हैं। साथ ही धन-धान्य की भी कोई कमी नहीं रहती है और सदैव भगवान की कृपा बनी रहती है। ऐसे में आइए पढ़ते हैं विष्णु चालीसा...

श्री विष्णु चालीसा 

दोहा

विष्णु सुनिए विनय सेवक की चितलाय।

कीरत कुछ वर्णन करूं दीजै ज्ञान बताय।।

नमो विष्णु भगवान खरारी। कष्ट नशावन अखिल बिहारी॥
प्रबल जगत में शक्ति तुम्हारी। त्रिभुवन फैल रही उजियारी॥
सुन्दर रूप मनोहर सूरत। सरल स्वभाव मोहनी मूरत॥
तन पर पीतांबर अति सोहत। बैजन्ती माला मन मोहत॥
शंख चक्र कर गदा बिराजे। देखत दैत्य असुर दल भाजे॥
सत्य धर्म मद लोभ न गाजे। काम क्रोध मद लोभ न छाजे॥
संतभक्त सज्जन मनरंजन। दनुज असुर दुष्टन दल गंजन॥
सुख उपजाय कष्ट सब भंजन। दोष मिटाय करत जन सज्जन॥
पाप काट भव सिंधु उतारण। कष्ट नाशकर भक्त उबारण॥
करत अनेक रूप प्रभु धारण। केवल आप भक्ति के कारण॥
धरणि धेनु बन तुमहिं पुकारा। तब तुम रूप राम का धारा॥
भार उतार असुर दल मारा। रावण आदिक को संहारा॥
आप वराह रूप बनाया। हरण्याक्ष को मार गिराया॥
धर मत्स्य तन सिंधु बनाया। चौदह रतनन को निकलाया॥
अमिलख असुरन द्वंद मचाया। रूप मोहनी आप दिखाया॥
देवन को अमृत पान कराया। असुरन को छवि से बहलाया॥
कूर्म रूप धर सिंधु मझाया। मंद्राचल गिरि तुरत उठाया॥
शंकर का तुम फन्द छुड़ाया। भस्मासुर को रूप दिखाया॥
वेदन को जब असुर डुबाया। कर प्रबंध उन्हें ढूंढवाया॥
मोहित बनकर खलहि नचाया। उसही कर से भस्म कराया॥
असुर जलंधर अति बलदाई। शंकर से उन कीन्ह लडाई॥
हार पार शिव सकल बनाई। कीन सती से छल खल जाई॥
सुमिरन कीन तुम्हें शिवरानी। बतलाई सब विपत कहानी॥
तब तुम बने मुनीश्वर ज्ञानी। वृन्दा की सब सुरति भुलानी॥
देखत तीन दनुज शैतानी। वृन्दा आए तुम्हें लपटानी॥
हो स्पर्श धर्म क्षति मानी। हना असुर उर शिव शैतानी॥
तुमने ध्रुव प्रहलाद उबारे। हिरणाकुश आदिक खल मारे॥
गणिका और अजामिल तारे। बहुत भक्त भव सिन्धु उतारे॥
हरहु सकल संताप हमारे। कृपा करहु हरि सिरजन हारे॥
देखहुं मैं निज दरश तुम्हारे। दीन बन्धु भक्तन हितकारे॥

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं। इसका कोई भी वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है। इंडिया टीवी एक भी बात की सत्यता का प्रमाण नहीं देता है।)

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