
Navratri 2025 Special Story: हिंदू धर्म में नवरात्रि बहुत ही महत्वपूर्ण पर्वों में से एक माना जाता है। नवरात्रि शक्ति के नौ रूपों की उपासना का समय होता है। मां दुर्गा के नौ अलग-अलग रूपों की पूजा करने से भक्तों पर माता रानी की विशेष कृपा बरसती है। नवरात्रि के दौरान देशभर के प्रसिद्ध देवी मंदिर, शक्तिपीठ और सिद्धिपीठ में दर्शन के लिए भक्तों की भारी भीड़ उमड़ती है। बता दें कि देवी दुर्गा के 51 शक्तिपीठ है। शक्तिपीठ के दर्शन मात्र से व्यक्ति के सभी कष्ट दूर हो जाते हैं। तो चलिए आज हम एक ऐसे ही शक्तिपीठ के बारे में जानेंगे जो उत्तराखंड में स्थित है।
कालीशिला मंदिर के बारे में
उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग में स्थित कालीशिला मंदिर वो शक्तिपीठ जो चमत्कारों और देवी शक्ति से भरा हुआ है। धर्म जानकारों के अनुसार, कालीशिला शक्तिपीठ की तुलना किसी से भी नहीं की जा सकती है। स्कंद पुराण के केदारखंड में भी कालीशिला मंदिर के बारे में बताया गया है। रुद्रप्रयाग जिले के उखीमठ क्षेत्र में स्थित कालीमठ मंदिर से करीब 8 किलोमीटर की खड़ी ऊंचाई पर एक दिव्य शिला है जिसे कालीशिला के नाम से जाना जाता है। मान्यताओं के अनुसार, इस शिला में आज भी देवी काली के पैरों के निशान मौजूद हैं।
कालीशिला मंदिर से जुड़ी मान्यताएं
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार,देवी दुर्गा ने असुर शुंभ-निशुंभ के वध के लिए कालीशिला में 12 साल की बालिका का रूप धारण किया था। इन दोनों दैत्यों का वध कर के मां काली इसी जगह पर अंतर्ध्यान हो गई थी। वहीं बताया जाता है कि कालीशिल में देवी 64 यंत्र हैं, इन्हीं यंत्रों से मां दुर्गा को शक्ति मिली थी। धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक, इस जगह पर आज भी 64 योगिनियां विचरण करती रहती हैं। कालीशिला मंदिर को देवी मां के सबसे ताकतवर और शक्तिशाली मंदिरों में से एक माना जाता है। ये मंदिर भारत के प्रमुख सिद्ध और शक्तिपीठों में एक है। कालीशिला मंदिर में नवरात्रि और चार धाम की यात्रा के दौरान देवी मां के दर्शने के लिए भक्तों की भाड़ी भीड़ उमड़ती है।
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं। इसका कोई भी वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है। इंडिया टीवी एक भी बात की सत्यता का प्रमाण नहीं देता है।)