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हनुमान भक्तों के लिए बहुत खास हैं ये स्थान, जुड़े हैं कई रोचक रहस्य

हनुमानजी भगवान शिव के रूप माने जाते हैं। माता अंजना के गर्भ से जन्म लेने के कारण अंजनीपुत्र कहलाए। सिंदूर से लिपटने पर हनुमान जी बजरंगबली कहलाए। भक्ति का सबसे बड़ा उदाहरण हनुमान हैं। आज हनुमान भक्तों की संख्या असंख्य है।

Edited By: Sushma Kumari @ISushmaPandey
Published : Oct 21, 2022 20:52 IST, Updated : Oct 21, 2022 21:01 IST
Lord Hanuman
Image Source : FREEPIK Lord Hanuman

श्रीराम भक्त हनुमानजी को अजर-अमर माना जाता है। उन्‍होंने त्रेतायुग में जन्‍म लेकर भगवान श्रीराम की सेवा की, उसके बाद द्वापर युग में भी उन्‍होंने भगवान श्रीकृष्ण के दर्शन किए। वो हर युग में मौजूद रहे हैं। भक्‍तजन उन्हें अनेकों नामों से जानते हैं। वायु देवता की कृपा से जन्म लेने के कारण उन्हें पवनपुत्र कहा जाता है। सूर्य को फल समझकर खाने के चक्कर में उनका हनु यानी जबड़ा विकृत हुआ था इसलिए वे हनुमान कहलाए। सीता माता को सिंदूर लगाते देख हनुमान जी ने कारण जानना चाहा, उन्हें मालूम हुआ कि इससे श्रीराम स्वस्थ रहते हैं।

हनुमान जी को लगा कि दो चुटकी सिंदूर से श्रीराम इतने स्वस्थ हैं, क्यों न मैं इसे पूरे शरीर में लपेट लूं! जब हनुमानजी ने सिंदूर का लेप पूरे शरीर पर किया तब वह बजरंगबली कहलाए। श्रीराम पर आईं तमाम बाधाओं को दूर करने के लिए वे हमेशा तैयार रहे। इसलिए संकट मोचक के नाम से भी उन्हें जाना जाता है। हनुमान चालीसा और रामायण में उन्हें संकट मोचक कहा गया है। हनुमान जी का एक अन्य नाम भी भक्तों के बीच प्रचलित है- पंचमुखी।

कैथल  

माता-पिता के कारण हनुमानजी को आंजनेय और केसरीनंदन कहा जाता है। केसरीजी कपि क्षेत्र के राजा थे। माना जाता है कि हरियाणा का कैथल पहले करनाल जिले का भाग था। यह कैथल ही पहले कपिस्थल था। कुछ शास्त्रों में कहा गया है कि कैथल ही हनुमानजी का जन्म स्थान है।

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आंजन गांव  
एक अन्य मान्यता के अनुसार हनुमानजी का जन्म झारखंड राज्य के गुमला जिले के आंजन गांव की एक गुफा में हुआ था। आंजन गांव में ही माता अंजनी निवास करती थीं और इसी गांव की एक पहाड़ी पर स्थित गुफा में हनुमानजी का जन्म हुआ था। इसी विश्वास के साथ यहां की जनजाति हनुमानजी की पूजा करती है।

अंजनी पर्वत  
गुजरात स्थित डांग जिला रामायण काल में दंडकारण्य के रूप में जाना जाता था। यहीं भगवान राम और लक्ष्मण को शबरी ने बेर खिलाए थे। वर्तमान में यह स्थल शबरीधाम नाम से जाना जाता है। डांग जिले के आदिवासियों की मान्‍यता यह है कि जिले के अंजनी पर्वत में स्थित अंजनी गुफा में ही हनुमानजी का जन्म हुआ था। अंजनी माता ने अंजनी पर्वत पर कठोर तपस्या की थी और इसी तपस्या के कारण उन्हें पुत्र रत्न हनुमान की प्राप्ति हुई थी।  

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परितला गांव 
यह गांव आंध्र प्रदेश में है। यहां हनुमानजी की सबसे ऊंची मूर्ति है। इस मूर्ति को 'वीर अभय अंजनी हनुमान स्वामी' के नाम से जाना जाता है। यह मूर्ति साल 2003 में स्थापित की गई थी। इस मूर्ति की ऊंचाई 135 फीट है। यह ब्राजील के 'क्राइस्ट द रिडीमर' स्टैच्यू से भी ऊंची है। परिताल गांव में हनुमान भक्तों की खूब भीड़ लगती है।

दमनजोड़ी
ओड़िशा में कोरापुट के दमनजोड़ी में हनुमानजी की दूसरी सबसे ऊंची मूर्ति है। इसकी ऊंचाई 108 फीट है। साल 2017 में इस मूर्ति को स्थापित की गई थी। दमनजोड़ी हनुमान भक्ति के पर्यटन के हब के रूप में विकसित हो रहा है।

शिमला
हिमाचल प्रदेश के शिमला में हनुमानजी की 108 फीट ऊंची मूर्ति है। साल 2010 में इस मूर्ति का लोकार्पण हुआ था। शिमला में यह जाखू पहाड़ी पर स्थित है। जाखू पहाड़ी को पर्यटक भी आस्था की नजर देखते हैं।

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