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कितने दिनों तक होती है नागा साधुओं की ट्रेनिंग? जानें कितने अखाड़े बनाते हैं नागा

महाकुंभ का पहला अमृत स्नान हो चुका है, इस स्नान में नागा साधु सबसे ज्यादा चर्चा का विषय बने। नागा साधु कैसे बनते हैं, कितनी परीक्षाओं से उन्हें गुजरना पड़ता है।

Written By: Shailendra Tiwari @@Shailendra_jour
Published : Jan 16, 2025 13:29 IST, Updated : Jan 16, 2025 14:33 IST
नागा साधु
Image Source : INDIA TV नागा साधु

12 साल बाद महाकुंभ का आयोजन इस बार प्रयागराज शहर में हो रहा है। इस महाकुंभ में नागा साधु अपने तप और साधना से चार चांद लगा रहे हैं। 14 जनवरी को पहला अमृत स्नान भी हो गया है, इस दौरान नागा शरीर पर भस्म लगाए रेत लपेटे, नाचते-गाते, डमरू बजाते दिखे। जिसने भी यह दृश्य देखा वह मोहित हो गया। इस दौरान कई नागा साधु अस्त्र-शस्त्र से भी सुशोभित नजर आए। इसके बाद लोगों को जानने की इच्छा हुई नागा साधुओं की कितने दिनों तक ट्रेनिंग मिलती है और कुल कितने अखाड़े नागा साधु तैयार करते हैं?

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रहस्यमयी जीवन जीते हैं नागा साधु

नागा साधुओं का जीवन रहस्यमयी रहा है, लोगों को कभी नहीं पता चलता कि नागा महाकुंभ में कैसे आते हैं और महाकुंभ खत्म होने के बाद कहां गायब हो जाते हैं। हालांकि कुछ लोगों का मानना है कि नागा साधु रात के समय खेत-पगडंडियों का सहारा लेकर जाते हैं, लेकिन इसके कोई पुख्ता सबूत नहीं मिले। हालांकि महामंडलेश्वरों के मुताबिक, ये नागा प्रयागराज, काशी, उज्जैन, हिमालय के कंदराओं और हरिद्वार में कहीं दूर-दराज इलाकों में निवास करते हैं। जो ज्यादातर समय तप करते हुए बिताते हैं। 

कितने दिनों तक दी जाती है ट्रेनिंग?

कहा जाता है कि नागा साधुओं की ट्रेनिंग किसी कमांडो ट्रेनिंग से ज्यादा खतरनाक होती है। जो व्यक्ति नागा साधु बनना चाहता है उसकी महाकुंभ, अर्द्धकुंभ और सिहंस्थ कुंभ के दौरान साधु बनने की प्रक्रिया शुरू की जाती है। नागा साधुओं के कुल 13 अखाड़े हैं, जिनमें से कुल 7 अखाड़े ही ऐसे ही जो नागा संन्यासी की ट्रेनिंग देते हैं, जिनमें, जूना, महानिर्वाणी, निरंजनी, अटल, अग्नि, आनंद और आह्वान अखाड़ा हैं।

3 साल तक करनी होती है गुरु सेवा

नागा साधु बनने के लिए पहले शख्स को बह्मचर्य की दीक्षा दी जाती है। दीक्षा के बाद शख्स को 3 साल तक गुरुओं की सेवा करने होती है, यहां उसे धर्म, दर्शन और कर्मकांड आदि की जानकारी दी जाती है। इसे पास करने के बाद महापुरुष बनने की दीक्षा शुरू होती है। यहीं से उसकी कड़ी ट्रेनिंग शुरू होती है। कुंभ में पहले उसका मुंडन करवाया जाता है, फिर नदी में 108 डुबकी लगवाई जाती है, इसके बाद वह अखाड़े के 5 संन्यासियों को अपना गुरु बनाता है।

इसके बाद उसे अवधूत बनाने की प्रक्रिया शुरू होती है, अवधूत बनाने में साधु का जनेऊ संस्कार किया जाता है, उसे संन्यासी जीवन की शपथ दिलाई जाती है। साथ ही 17 पिंडदान भी करवाया जाता है। इसके बाद बारी आती है दंडी संस्कार की और फिर पूरी रात ॐ नमः शिवाय का जाप करना होता है। जाप के बाद प्रात: काल ही व्यक्ति को अखाड़े में ले जाकर विजया हवन करवाया जाता है, फिर 10 डुबकियां गंगा में लगवाई जाती है। फिर अखाड़े के ध्वज के साथ दंडी त्याग करवाया जाता है। इस संपूर्ण प्रक्रिया को बिजवान कहते हैं।

लगता है इतने दिनों का समय

अंतिम परीक्षा होती है दिगंबर और फिर श्रीदिगम्बर की। दिगम्बर नागा एक लंगोटी धारण कर सकता है, पर श्री दिगम्बर को बिना कपड़ों के ही रहना होता है। श्री दिगम्बर की इंद्री तोड़ दी जाती है। फिर नागा साधु बने गए शख्स को फिर वन, हिमालय, आश्रम और पहाड़ों में कठिन योग-साधना या तप करना होता है। इस दौरान कितनी भी ठंड क्यों न हो आप कपड़े धारण नहीं कर सकते। साधु को भस्म, चिमटा, धूनी, कमंडल और रुद्राक्ष की माना ही धारण करना होता है। इस ट्रेनिंग में करीबन 6 साल से 12 साल तक का यानी 2190 दिन से लेकर 4380 दिनों तक का समय लग जाता है।

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