करवा चौथ का व्रत सुहागिन महिलाओं के लिए बेहद खास माना जाता है। हिंदू धर्म में आस्था रखने वाली महिलाएं हर साल करवा चौथ के दिन अपने पति की लंबी और और वैवाहिक जीवन में सुख-समृद्धि के लिए यह व्रत रखती हैं। यह निर्जला व्रत होता है और चंद्रमा के दर्शन के बाद ही इस व्रत को खोला जाता है। इसके साथ ही करवा चौथ का व्रत रखने वाली महिलाओं के व्रत के दिन, पूजा के दौरान करवा चौथ की व्रत कथा का पाठ भी अवश्य करना चाहिए। बिना करवा चौथ की व्रत कथा का पाठ किए यह व्रत पूर्ण नहीं माना जाता। वहीं व्रत के साथ ही कथा का पाठ करने से शुभ फलों की प्राप्ति होती है। आइए जानते हैं करवा चौथ की व्रत कथा।
करवा चौथ व्रत कथा
हिंदू धर्म की पौराणिक पुस्तकों में करवा चौथ की व्रत कथा का जिक्र मिलता है। इस कथा के अनुसार, बहुत समय पहले इद्रप्रस्थपुर नगर में वेदशर्मा नाम का एक ब्राह्मण अपनी पत्नी लीलावती के साथ रहा करता था। वेदशर्मा के सात पुत्र और एक पुत्री थी। पुत्री का नाम वीरावती था। वह अपने भाइयों और माता-पिता के साथ बहुत स्नेह से रहती थी, चूंकि वो सात बहनों की एकमात्र बहन थी इसलिए सभी भाई उससे बेहद स्नेह करते थे।
वीरावती का विवाह
वीरावती का जब विवाह हुआ, तो पति की लंबी आयु और वैवाहिक जीवन में सुख-समृद्धि के लिए उसने करवा चौथ का व्रत रखा। लेकिन वह पूरे दिन भूखी-प्यासी होने के कारण कमजोर हो गई और उसे चक्कर आने लगे। उसकी हालत को देखकर उसके भाई घबरा गए और उन्होंने वीरावती का व्रत तुड़वाने की योजना बनाई। भाइयों ने पीपल के पेड़ के पीछे एक अग्नि जलाकर यह दिखाया कि चंद्रमा उदय हो गया है। वीरावती भी अपने भाईयों की बातों में आ गई और उसने व्रत तोड़ दिया। लेकिन जैसे ही उसने भोजन किया, उसे बुरे संकेत मिलने लग गए। उसके पहले कौर में बाल आया, दूसरे कौर में छींक आयी और तीसरा कौर खाते ही वीरावती को पति की मृत्यु की सूचना मिली।
वीरावती ने रखा चौथ का व्रत
यह सुनकर वह अत्यधिक दुखी हो गई और उसने पूरे दिल से अपने पति की जान बचाने के लिए देवी-देवताओं से प्रार्थना की। उसकी भक्ति से प्रसन्न होकर देवी इन्द्राणी ने वीरावती को दर्शन दिए। इन्द्राणी ने वीरावती को बताया कि, तुमने चंद्रमा को देख बिना ही व्रत तोड़ दिया था इसलिए तुम्हारे पति की मृत्यु हो गई। इसके बाद इन्द्राणी ने वीरावती को हर माह की चौथ पर व्रत करने की सलाह दी। वीरावती ने नियम पूर्वक चौथ का व्रत रखा। माना जाता है कि, व्रत के प्रभाव के चलते, वीरावती का पति उसे पुन: प्राप्त हो गया।
तब से करवा चौथ का व्रत सौभाग्यवती स्त्रियां अपने पति की लंबी उम्र और अच्छे स्वास्थ्य के लिए करती आ रही हैं। करवा चौथ का व्रत रखने से अखंड सौभाग्य की प्राप्ति होती है, और वैवाहिक जीवन में हमेशा सुख-समृद्धि बनी रहती है।
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं। इसका कोई भी वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है। इंडिया टीवी एक भी बात की सत्यता का प्रमाण नहीं देता है।)
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