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कार्तिक पूर्णिमा के दिन स्नान-दान का है खास महत्व, जानें इस दिन क्यों मनाई जाती है देव दीपावली

इस साल कार्तिक पूर्णिमा दो दिन मनाई जाएगी। ऐसे में देव दीपावली की तिथि 27 नवंबर रहेगी। इस देन काशी में घाटों को दीये से सजाया जाता है और भगवान शिव की विधिपूर्वक पूजा की जाती है।

Written By : Acharya Indu Prakash Edited By : Vineeta Mandal Published : Nov 25, 2023 12:48 IST, Updated : Nov 27, 2023 11:49 IST
Kartik Purnima 2023
Image Source : INDIA TV Kartik Purnima 2023

Kartik Purnima 2023: कार्तिक महीने की पूर्णिमा इस बार 2 दिनों की पड़ रही है। ऐसे में जब पूर्णिमा 2 दिनों की होती है तब पहले दिन व्रतादि की पूर्णिमा और दूसरे दिन स्नान-दान की पूर्णिमा मनाई जाती है। बता दें कि जिस दिन पूर्ण रूप से चंद्रमा उदय होता है उसी दिन व्रतादि की पूर्णिमा मनाई जाती है और आज आकाशमंडल में पूर्ण रूप से चंद्रमा उदयमान रहेगा। पूर्णिमा तिथि में सूर्योदय के समय स्नान-दान का महत्त्व बताया गया है और पूर्णिमा तिथि का सूर्योदय सोमवार को होगा। लिहाजा स्नान-दान की पूर्णिमा 27 नवंबर को मनाई जाएगी। 

पूर्णिमा के दिन स्नान-दान का महत्व

कहते हैं कि पूर्णिमा के दिन श्रीहरि विष्णु जी स्वयं गंगाजल में निवास करते हैं। माना जाता है कि पूर्णिमा पर दिए गए दान-दक्षिणा का फल कई गुना होकर हमें वापस मिलता है। पूर्णिमा के दिन स्नान के बाद तिल, गुड़, कपास, घी, फल, अन्न, कंबल, वस्त्र आदि का दान करना चाहिए। साथ ही किसी जरूरतमंद को भोजन कराना चाहिए। शास्त्रों में इस दिन सबसे अधिक प्रयागराज में स्नान-दान का महत्व बताया गया है, लेकिन अगर आप कहीं बाहर नहीं जा सकते तो घर पर ही नहाने के पानी में थोड़ा-सा गंगाजल डालकर, पवित्र नदियों का ध्यान करते हुए स्नान करें और गायत्री मंत्र का जाप करें।

देव दीपावली 2023 के दिन धरती पर होता है देवताओं का आगमन

26 नवंबर को त्रिपुरोत्सव भी मनाया जाएगा। इसे त्रिपुरारि पूर्णिमा भी कहते हैं। माना जाता है कि आज ही के दिन भगवान शिव ने देवताओं की प्रार्थना सुनकर त्रिपुरासुर नमक दैत्य के अत्याचार को समाप्त किया था, जिसकी खुशी में देवताओं ने दीप जलाकर उत्सव मनाया था, इसलिए इस उत्सव को देव दीपावली के नाम से भी जाना जाता है। देव दीपावली का ये त्यौहार अधिकतर उत्तर प्रदेश में बड़े ही हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। गंगा नदी और काशी के विभिन्न तटों पर आज के दिन मिट्टी के अनगिनत दीपों को जला कर पानी में प्रवाहित किया जाता है। कई नदियों के घाटों पर आज नौकाओं को सजाकर नदी में भी तैराते हैं।

कहते हैं आज देवताओं का पृथ्वी पर आगमन होता है और उनके स्वागत में धरती पर दीप जलाए जाते हैं। शास्त्रों के अनुसार आज संध्या के समय शिव-मंदिर में भी दीप जलाएं जाते हैं। शिव मंदिर के अलावा अन्य मंदिरों में, चौराहे पर और पीपल के पेड़ व तुलसी के पौधे के नीचे भी दीये जलाए जाते हैं। दीपक जलाने के साथ ही आज भगवान शिव के दर्शन करने और उनका अभिषेक करने की भी परंपरा है। ऐसा करने से व्यक्ति को ज्ञान और धन की प्राप्ति होती है। साथ ही स्वास्थ्य अच्छा रहता है और आयु में बढ़ोतरी होती है। 

देव दीपावली के दिन भोलेनाथ की पूजा से पूरी होती है हर कामना

इसके अलावा देव दीपावली के दिन विशेष रूप से काशी में बाबा विश्वनाथ का पंचोपचार विधि से पूजन किया जाता है और उनकी महा आरती की जाती है। इसे काशी विश्वनाथ प्रतिष्ठा दिवस का नाम दिया गया है। साथ ही आज के दिन तुलसी दल से नर्मदेश्वर शिवलिंग का पूजन भी किया जाता है। नर्मदा नदी से निकले शिवलिंग को नर्मदेश्वर शिवलिंग कहा जाता है। ऐसी मन्यता है कि जहां नर्मदेश्वर का वास होता है, वहां काल और यम का भय नहीं होता है। आज इनका पूजन करने से सुख-समृद्धि में बढ़ोतरी होती है, मन में सकारात्मक विचारों का समावेश होता है और जीवनसाथी के साथ आपके रिश्ते में शांति और प्रेम बना रहता है।

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