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Kartik Month 2023 : कार्तिक मास को क्यों कहते हैं दामोदर माह? पढ़ें श्री कृष्ण की लीला से जुड़ी यह पौराणिक कथा

कार्तिक का महीना हिंदू धर्म में बहुत पावन महीना होता है। इस पूरे महीने में भगवान विष्णु की पूजा करने से अक्षय पुण्य मिलता है। इस महीने को दामोदर मास भी कहते हैं। इसके पीछे श्री कृष्ण की एक बाल लीला हैं, आइये जानते हैं वो लीला जिसके कारण कार्तिक के महीने को दामोदर मास भी कहते हैं।

Written By: Aditya Mehrotra
Published : Nov 01, 2023 18:26 IST, Updated : Nov 01, 2023 18:51 IST
Kartik Month 2023
Image Source : INDIA TV Kartik Month 2023

Kartik Month 2023: हिंदू धर्म में कार्तिक का महीना अति पावन है। यह महीना भगवान विष्णु की अनंत लीलाओं की महिमा का गुणगान करता है। भगवान विष्णु को सभी महीनों में कार्तिक मास अति प्रिय है। मान्यता है कि इस महीने जो भी भगवान विष्णु की पूजा अर्चना करता है। उसे अक्षय फल की प्राप्ति होती है। कार्तिक के महीने की महीमा अनंत है। कहते हैं न हरि अनंत हरी कथा अनंता।

कार्तिक मास के चल रहे इस पावन पर्व पर आज हम आपको भगवान विष्णु के अवतार श्री कृष्ण की एक बाल लीला की कथा बताने जा रहे हैं। इसका वर्णन अनेक पुराणों में मिलता है। श्री कृष्ण की एक बाल लीला कथा इस कार्तिक मास से जुड़ी हुई है, जिस कारण कार्तिक मास को दामोदर माह के नाम से भी जाना जाता है। 

यशोदा मां ने जब कान्हा को रस्सी से बांधा

जैसा की हम सभी जानते हैं कि भगवान श्री कृष्ण को बचपन से ही माखन खाना बहुत पसंद था। जब भी वो यशोदा मैया से नजर बचाते सीधा माखन खाने के लिए मटकी में हाथ डाल देते थे। एक बार यशोदा मैया माखन बना कर रसोई घर से कुछ लेने चली गईं और श्री कृष्ण ने माखन की मटकी को ऊपर बंधा देख माखन खाने की एक तरकीब अपनाई। श्री कृष्ण उस समय बहुत छोटे थे और उनका हाथ ऊपर टंगी माखन की मटकी तक नहीं पहुंच पाया। तब उन्होनें माखन खाने के लिए पास में रखे ऊखल को रखा और उस पर चढ़ कर माखन की मटकी तोड़ माखन निकाल कर खाने लगे। इतने में मां यशोदा वहां पहुंची और उन्होनें देखा सारी मटकी टूटी पड़ी है। कान्हा की इस शेतानी पर मां यशोदा ने उन्हें उसी ऊखल से बांध दिया। श्री कृष्ण को यशोदा मां ने कमर पर रस्सी से कस कर उसी उखल से बांध दिया जिस पर वो चढ़ कर माखन की मटकी से माखन निकाल कर खा रहे थे।

श्री कृष्ण की ऊखल बंधन लीला

नारद मुनी ने कुबेर के दोनों पुत्रों नलकुवर और मणीग्रीव को श्राप देकर वृक्ष बना दिया था। वो दोनों लोग श्राप पाने के बाद वर्षों से तपस्या कर रहे थे कि कब श्री कृष्ण जन्म लेंगे और कब उन्हें देवर्षी नारद के इस श्राप से मुक्ति मिलेगी। जब श्री कृष्ण ने द्वापरयुग में जन्म लिया और वह गोकुल आए और जब यशोदा मैया ने उन्हें ऊखल से जिस समय बांधा था। तब उन्हें इन दोनों श्रापित नलकुवर और मणीग्रीव को श्राप से मुक्त भी करना था। यह दोनों श्री कृष्ण के नंदभवन के बाहर वृक्ष बन गए थे। जब श्री कृष्ण बाल रूप में ऊखल से बंधे हुए थे। तब पास में ये दोनों कुबरे के पुत्र एक श्रापित वृक्ष रूप में थे। श्री कृष्ण ने अपनी लीली से बंधे ऊखल को इन दोनों वृक्षों के बीच रखा और कस के ऊखल को आगे की और खींचा। जैसे ही श्री कृष्ण ने ऊखल को कस कर खींचा वह दोनों वृक्ष धड़ाम से गिरे और उसमें से दौ दिव्य पुरुष प्रकट होकर अपने असली रूप में पुनः आगए। उन्होनें श्री कृष्ण को होथ जोड़ कर प्रणाम किया और अपनी करनी की क्षमायाचना मांगी। श्री कृष्ण ने उन्हें क्षमा किया और वो दोनों फिर से अपने लोक चले गए। इस तरह यह लीला उखल बंधन लीला कहलाई और यह लीला कार्तिक मास में हुई थी।

कार्तिक के महीने को दामोदर मास इसलिए कहते हैं

श्रीमद्भागवत महापुराण में श्री कृष्ण की इस लाला को विस्तार से बताया गया है। जब दोनों वृक्ष गिरे तब यशोदा मैया श्री कृष्ण की चिंता करते हुए भागी चली आईं और उनके आंखो में आंसू आ गए थे। वह श्री कृष्ण से बोलीं लला अब में तुम्हें कभी भी सजा नहीं दूंगी और श्री कृष्ण अपनी बाल रूप की मंद मुस्कान लिए यशोदा मां के गले लग गए। दमोदर का अर्थ होता है पेट से किसी जीच को बांध देना श्री कृष्ण के ऊखल से बंधे होने के कारण उनका नाम दामोदर पड़ा और कार्तिक के महीने को दामोदर नाम से भी जाना जाने लगा।


(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं आधारित हैं। इसका कोई भी वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है। । इंडिया टीवी एक भी बात की सत्यता का प्रमाण नहीं देता है।) 

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