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Kalashtami Vrat 2022: इस बार कालाष्टमी पर बनेंगे कई शुभ संयोग, जानें पूजा विधि, शुभ मुहूर्त और महत्व

Kalashtami Vrat 2022: हर महीने के कृष्ण पक्ष की अष्टमी को कालाष्टमी मनाई जाती है। जानिए कालाष्टमी व्रत की पूजा- विधि, शुभ मुहूर्त और महत्व के बारे में।

Written By: Sushma Kumari @ISushmaPandey
Updated on: September 17, 2022 16:33 IST
Kalashtami Vrat 2022- India TV Hindi
Image Source : INDIA TV Kalashtami Vrat 2022

Kalashtami Vrat 2022: हर महीने के कृष्ण पक्ष की अष्टमी को कालाष्टमी मनायी जाती है। कालाष्टमी के दिन भगवान शंकर के भैरव स्वरूप की उपासना की जाती है। दरअसल,  भैरव के तीन रूप हैं- काल भैरव, बटुक भैरव और रूरू भैरव। इस दिन इनमें से काल भैरव की उपासना की जाती है। कहा जाता है कि इस दिन भगवान शंकर के काल भैरव स्वरूप की उपासना करने से जीवन की सारी परेशानियां दूर होंगी और आपकी मनचाही मुरादें पूरी होंगी।

 साथ ही आज जीवित्पुत्रिका व्रत है। इसे जीउतिया के नाम से भी जाना जाता है। इस व्रत में महिलाएं अपनी संतान की रक्षा के लिए और उनकी मंगलकामना के लिए ये व्रत करती हैं। साथ ही संतान प्राप्ति की इच्छा रखने वाली महिलाएं भी इस व्रत को करती हैं। ये व्रत मुख्यतः यूपी, बिहार के क्षेत्रों में किया जाता है। इस दिन पूरा दिन व्रत करके शाम के समय व्रत का पारण किया जाता है और व्रत के पारण में कुछ मीठा भोजन किया जाता है।  जानिए कालाष्टमी व्रत की पूजा- विधि, शुभ मुहूर्त और  महत्व के बारे में। 

कब है कालाष्टमी?

इस बार कालाष्टमी 18 सितंबर को मनाई जाएगी। इस दिन काल भैरव की पूजा की जाती है। इसके साथ ही इस दिन जीवित्पुत्रिका व्रत है। इसे जीउतिया के नाम से भी जाना जाता है 

शुभ मुहूर्त
कालाष्टमी का शुभ मुहूर्त या अभिजीत मुहूर्त सुबह 11.55 बजे से दोपहर 12.51 बजे तक है। इस मुहूर्त में आप शुभ कार्य भी कर सकते हैं। 

कालाष्टमी पर बनेंगे शुभ संयोग
कालाष्टमी व्रत के दिन द्विपुष्कर योग, सर्वार्थ सिद्धि योग, अमृत सिद्धि योग, रवि योग बनेंगे ये योग बहुत शुभ माने जाते हैं।  इस समय पर शुभ कार्यों को करना उत्तम होता है। 

पूजा- विधि

  • कालाष्टमी के दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर नित्य कर्म से निवृत्त होकर स्नान करें।
  • उसके बाद भगवान भैरव की पूजा- अर्चना करें। 
  • इस दिन भगवान भोलेनाथ के साथ माता पार्वती औरभगवान गणेश की भी विधि- विधान से पूजा- अर्चना करनी चाहिए। 
  • फिर घर के मंदिर में दीपक जलाएं आरती करें और भगवान को भोग भी लगाएं। 
  • इस बात का ध्यान रखें भगवान को सिर्फ सात्विक चीजों का ही भोग लगाया जाता है।

कालाष्टमी व्रत का महत्व 
मान्यताओं के अनुसार, कालाष्टमी के दिन भगवान भैरव की पूजा करने से सभी तरह के भय से मुक्ति मिल जाती है। इस दिन व्रत करने से शुभ फल की प्राप्ति होती है साथ ही भैरव भगवान की कृपा से शत्रुओं से छुटकारा मिल जाता है।

कालाष्टमी व्रत मंत्र

शिवपुराण में कालभैरव की पूजा के दौरान इन मंत्रों का जप करना बेहद फलदायी माना गया है। 

अतिक्रूर महाकाय कल्पान्त दहनोपम्,
भैरव नमस्तुभ्यं अनुज्ञा दातुमर्हसि!!

अन्य मंत्र:
ओम भयहरणं च भैरव:।
ओम कालभैरवाय नम:।
ओम ह्रीं बं बटुकाय आपदुद्धारणाय कुरूकुरू बटुकाय ह्रीं।
ओम भ्रं कालभैरवाय फट्।

(आचार्य इंदु प्रकाश देश के जाने-माने ज्योतिषी हैं, जिन्हें वास्तु, सामुद्रिक शास्त्र और ज्योतिष शास्त्र का लंबा अनुभव है। इंडिया टीवी पर आप इन्हें हर सुबह 7.30 बजे भविष्यवाणी में देखते हैं)

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