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Pradosh Vrat 2023: ज्येष्ठ माह का पहला प्रदोष व्रत आज, इस शुभ मुहूर्त में पूजा करने से महादेव हर लेंगे सारे दु:ख

Jyeshtha Pradosh Vrat 2023: प्रदोष व्रत के दिन शिवजी की पूजा करनी चाहिए। कहते हैं इस दिन दिन जो व्यक्ति भगवान शंकर की पूजा करता है और प्रदोष व्रत करता है, उसकी समस्त समस्यायें समाप्त होती है। इस बार बुध प्रदोष व्रत है साथ ही पंचक और भद्रा भी है।

Edited By: Sushma Kumari @ISushmaPandey
Published on: May 17, 2023 7:27 IST
Pradosh Vrat 2023- India TV Hindi
Image Source : PEXELS Pradosh Vrat 2023

Jyeshtha Pradosh Vrat 2023: प्रत्येक महीने की कृष्ण और शुक्ल दोनों पक्षों की त्रयोदशी तिथि को प्रदोष व्रत किया जाता है। प्रदोष व्रत के दिन भगवान शंकर की पूजा करनी चाहिए। कहते हैं इस दिन दिन जो व्यक्ति भगवान शंकर की पूजा करता है और प्रदोष व्रत करता है, उसकी समस्त समस्यायें समाप्त होती है। त्रयोदशी तिथि में रात्रि के प्रथम प्रहर, यानी सूर्योदय के बाद शाम के समय को प्रदोष काल कहते हैं। पुराणों में बताया गया है कि त्रयोदशी की रात के पहले प्रहर में जो व्यक्ति किसी भेंट के साथ शिव प्रतिमा के दर्शन करता है उस पर भगवान शिव की कृपा सदैव बनी रहती है। इस दिन रात्रि के पहले प्रहर में शिवजी को कुछ न कुछ भेंट जरूर करना चाहिए।

ज्येष्ठ का पहला प्रदोष व्रत आज (Budh Pradosh Vrat 2023 Date)

पंचांग के अनुसार, ज्येष्ठ का पहला प्रदोष आज यानी 17 मई 2023 दिन बुधवार को है। बुधवार​दिन को होने के कारण यह बुध प्रदोष व्रत है।

बुध प्रदोष व्रत शुभ मुहूर्त (Budh Pradosh Vrat Shubh Muhurat)

पंचांग के अनुसार 17 मई को बुध प्रदोष की पूजा का शुभ मुहूर्त शाम 07 बजकर 06 मिनट से शुरू होगी और रात 09 बजकर 10 मिनट तक रहेगी।  वहीं, प्रदोष पूजा का उत्तम शुभ मुहूर्त रात 08 बजकर 24 मिनट से लेकर रात 09 बजकर 10 मिनट तक है। 

बुध प्रदोष व्रत की पूजा विधि (Budh Pradosh Vrat Puja Vidhi)

  • इस दिन सूर्योदय से पूर्व उठकर सभी नित्य कर्मों से निवृत्त होकर स्नान करें। 
  • इसके बाद सूर्य भगवान को अर्ध्य दें और बाद में शिव जी की उपासना करनी चाहिए। 
  • इस दिन भगवान शिव को बेल पत्र, पुष्प, धूप-दीप और भोग आदि चढ़ाने के बाद शिव मंत्र का जाप, शिव चालीसा करना चाहिए। 
  • ऐसा करने से मनचाहे फल की प्राप्ति के साथ ही कर्ज की मुक्ति से जुड़े प्रयास सफल रहते हैं। 
  • सुबह पूजा आदि के बाद संध्या में, यानी प्रदोष काल के समय भी पुनः इसी प्रकार से भगवान शिव की पूजा करनी चाहिए। 
  • शाम में आरती अर्चना के बाद फलाहार करें। 
  • अगले दिन नित्य दिनों की तरह पूजा संपन्न कर व्रत खोल पहले ब्राह्मणों और गरीबों को दान दें। 
  • इसके बाद भोजन करें। 

(आचार्य इंदु प्रकाश देश के जाने-माने ज्योतिषी हैं, जिन्हें वास्तु, सामुद्रिक शास्त्र और ज्योतिष शास्त्र का लंबा अनुभव है। इंडिया टीवी पर आप इन्हें हर सुबह 7.30 बजे भविष्यवाणी में देखते हैं।)

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