Wednesday, September 25, 2024
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कल इतने बजे होगा जितिया व्रत का पारण, जान लें कब से कब तक रहेगा शुभ मुहूर्त

जितिया व्रत महिलाओं के द्वारा संतान की सुख-समृद्धि और लंबी आयु की कामना के साथ रखा जाता है। इस व्रत का पारण साल 2024 में कब किया जाएगा, आइए जानते हैं।

Written By: Naveen Khantwal
Published on: September 25, 2024 12:56 IST
Jitiya Vrat 2024- India TV Hindi
Image Source : INDIA TV Jitiya Vrat 2024

जितिया व्रत या जीवित्पुत्रिका व्रत का हिंदू धर्म में बड़ा महत्व है। यह व्रत मुख्य रूप से बिहार, उत्तर प्रदेश, झारखंड, और नेपाल के कुछ हिस्सों में महिलाओं के द्वारा लिया जाता है। इस दिन माताएं संतान की सुख-समृद्धि और लंबी उम्र की कामना करती हैं। हिंदू पंचांग के अनुसार, यह व्रत आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को रखा जाता है। साल 2024 में जिताया व्रत 25 सितंबर को रखा गया और इसका पारण 26 सितंबर को होगा। आइए ऐसे में जान लेते हैं कि, जितिया व्रत के पारण की विधि क्या है और पारण का शुभ मुहूर्त कब से कब तक रहेगा। 

जितिया व्रत के पारण का शुभ मुहूर्त 

जितिया व्रत आश्विन कृष्ण पक्ष की अष्टमी को रखा जाता है। वहीं इसका पारण नवमी तिथि को करने का विधान है। 25 सितंबर को दोपहर 12 बजकर 10 मिनट तक अष्टमी तिथि रहेगी और इसके बाद नवमी तिथि प्रारंभ हो जाएगी। हालांकि जितिया व्रत का पारण 26 तारीख की सुबह किया जाएगा। पारण के लिए शुभ मुहूर्त सुबह 4 बजकर 35 मिनट से 5 बजकर 23 मिनट तक होगा। 

पारण विधि

जितिया व्रत का पारण करने से पहले आपको स्नान-ध्यान कर लेना चाहिए। इसके बाद सूर्य देव को जल का अर्घ्य दिया जाता है, हालांकि इस साल पारण का शुभ मुहूर्त सूर्य के उदय होने से पहले का है इसलिए आप सूर्य देव का ध्यान कर सकते हैं। इसके बाद जीमूतवाहन के साथ ही अन्य देवी-देवताओं की आपको पूजा करने चाहिए। पूजा के बाद प्रसाद खाकर आप व्रत का पारण कर सकते हैं। पारण करने के बाद दान-दक्षिणा करने से भी आपको शुभ फलों की प्राप्त होती है। विधि-विधान से जितिया व्रत रखने से संतान की आयु बढ़ती है और उनके जीवन में सुख-समृद्धि आती है। 

जितिया व्रत से जुड़ी पौराणिक कथा

जितिया व्रत की कथा राजा जीमूतवाहन से जुड़ी है, इन्होंने अपने प्राणों का बलिदान देकर नागवंश की रक्षा की थी। उनके द्वारा किए गए इस महान कार्य के कारण ही उन्हें अमरता का आशीर्वाद मिला और उनके नाम पर ही यह व्रत जितिया कहलाया। राजा जीमूतवाहन ने अपने निःस्वार्थ भाव से जीवों की रक्षा की थी, उन्हीं से प्रेरणा प्राप्त करके महिलाएं भी अपनी संतान की सुरक्षा के लिए इस दिन व्रत रखती हैं।

जितिया व्रत का महत्व 

जितिया व्रत धार्मिक और आध्यात्मिक दृष्टि से बेहद महत्वपूर्ण माना जाता है। यह व्रत माताओं का अपनी संतान के प्रति प्रेम, स्नेह और त्याग को दर्शाता है। इसके साथ ही इस दिन व्रत रखने से महिलाओं के आध्यात्मिक ज्ञान में भी वृद्धि होती है और उनके अंदर धैर्य और सहनशीलता बढ़ती है। अपने बच्चों के प्रति अपार स्नेह और त्याग का प्रतीक भी है। इसे महिलाओं की सहनशक्ति, धैर्य और पुत्रों के प्रति उनके अटूट प्रेम के रूप में देखा जाता है।

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