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Janmashtami 2023: कब मनाई जाएगी जन्माष्टमी? डेट को लेकर अपना संशय करें दूर, जानें शुभ मुहूर्त और पूजा नियम

Krishna Janmashtami 2023: अगर आप भी जन्माष्टमी की तिथि को लेकर कंफ्यूजन की स्थिति में हैं तो यहां ज्योतिषि चिराग बेजान दारूवाला से जानिए श्री कृष्ण जन्माष्टमी की सही तिथि, मुहूर्त और पूजा विधि।

Written By : Chirag Bejan Daruwalla Edited By : Vineeta Mandal Updated on: September 04, 2023 14:21 IST
Krishna Janmashtami 2023- India TV Hindi
Image Source : INDIA TV Krishna Janmashtami 2023

हिंदू धर्म में श्री कृष्ण जन्माष्टमी पर्व का विशेष महत्व है। इस साल जन्माष्टमी का त्यौहार 6 सितंबर 2023, बुधवार को है। पंचांग के अनुसार भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को श्री कृष्ण जन्माष्टमी मनाई जाती है। मान्यता है कि जन्माष्टमी का व्रत रखने से भक्तों के जीवन से सभी कष्ट दूर हो जाते हैं। भगवान श्रीकृष्ण के आशीर्वाद से नि:संतान महिलाओं को संतान की प्राप्ति होती है। इस साल जन्माष्टमी पर कई सालों के बाद ऐसा संयोग बना है,जो बहुत दुर्लभ है। श्रीमद्भागवत पुराण के अनुसार, भगवान श्रीकृष्ण का जन्म भाद्र कृष्ण अष्टमी तिथि, बुधवार,आधी रात को रोहिणी नक्षत्र और वृषभ राशि में हुआ था।  भाद्रपद की अष्टमी तिथि 6 सितंबर, बुधवार को दोपहर 3 बजकर 28 मिनट पर शुरू हो रही है। वहीं अष्टमी तिथि का समापन अगले दिन 7 सितंबर गुरुवार की शाम 7 बजकर 15 मिनट पर होगा।

जानिए कब रखा जाएगा जन्माष्टमी व्रत

ज्योतिष चिराग दारूवाला के मुताबिक 6 सितंबर को ही जन्माष्टमी का व्रत रखा जाएगा। वहीं वैष्णव संप्रदाय के लोग 7 सितंबर को श्री कृष्ण जन्माष्टमी का त्यौहार मनाएंगे। मान्यता के अनुसार इस बार श्री कृष्ण की 5250वीं जन्माष्टमी मनाई जाएगी। कहते हैं कि शुभ मुहूर्त में लड्डू गोपाल की पूजा करने से कई गुना अधिक शुभ फलों की प्राप्ति होती है।

जनमाष्टमी 2023 शुभ मुहूर्त

  • जन्माष्टमी तिथि बुधवार, 6 सितंबर 2023 को दोपहर 03 बजकर 37 मिनट पर शुरू होगी
  • अष्टमी तिथि 7 सितंबर 2023 को शाम 04 बजकर 14 मिनट पर समाप्त होगी
  • जन्माष्टमी का शुभ मुहूर्त रात 12 बजकर 02 मिनट से 12 बजकर 48 मिनट तक रहेगा

जन्माष्टमी पूजा विधि और व्रत नियम

  • जन्माष्टमी व्रत में अष्टमी व्रत की पूजा और नवमी को पारण व्रत की सिद्धि होती है।
  • इस व्रत से एक दिन पहले यानी सप्तमी के दिन हल्का और सात्विक भोजन ही करना चाहिए।
  • व्रत वाले दिन सुबह स्नान आदि करने के बाद सभी देवताओं को प्रणाम करें।
  • फिर पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुख करके बैठें।
  • इसके बाद हाथ में जल, फल और फूल लेकर व्रत का संकल्प लें।
  • साथ ही दोपहर के समय जल में काले तिल छिड़कें और देवकी के लिए प्रसूति गृह तैयार करें।
  • अब इस सूतिका गृह में एक सुंदर पलंग बिछाएं और उस पर कलश स्थापित करें।
  • भगवान कृष्ण और माता देवकी की मूर्ति या सुंदर चित्र स्थापित करें।
  • देवकी, वासुदेव, बलदेव, नंद, यशोदा और लक्ष्मी का नाम लेकर उनकी पूजा करें।
  • यह व्रत रात 12 बजे के बाद ही खोला जाता है। इस व्रत में अनाज का प्रयोग नहीं किया जाता है।
  • फल के रूप में आप मावा बर्फी और सिंघाड़े के आटे का हलवा और फल खा सकते हैं।

(ज्योतिषी चिराग दारूवाला विशेषज्ञ ज्योतिषी बेजान दारूवाला के पुत्र हैं। उन्हें प्रेम, वित्त, करियर, स्वास्थ्य और व्यवसाय पर विस्तृत ज्योतिषीय भविष्यवाणियों के लिए जाना जाता है।)

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