Tuesday, November 05, 2024
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Guru Gobind Singh Jayanti 2024: गुरु गोबिंद सिंह जी के वो उपदेश जो बदल देंगे आपका जीवन

17 जनवरी 2024 को गुरु गोबिंद सिंह की जयंती मनाई जाएगी। गुरु गोबिंद सिंह साहिब सिख धर्म के 10वें गुरु थे। बुधवार को उनकी जयंती है इस मौके पर जानिए उनके द्वारा दिए गए कुछ उपदेश जिन्हें जानकर आपका जीवन बदल जाएगा।

Written By: Aditya Mehrotra
Updated on: January 19, 2024 21:54 IST
Guru Govind Singh Jayanti 2024- India TV Hindi
Image Source : INDIA TV Guru Govind Singh Jayanti 2024

Guru Gobind Singh Jayanti 2024: 17 जनवरी 2024 को गुरु गोबिंद सिंह साहिब की जयंती मनाई जाएगी। यह दिन सिख धर्म के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण होता है। इस दिन देश के सभी गुरुद्वारों में भव्य लंगर का आयोजन होता है। लोग आज के दिन गुरुद्वारे जाकर माथा टेकते हैं।

गुरु गोबिंद सिंह जी की सिख धर्म में बहुत बड़ी उपाधि है। कल उनकी जयंती है ऐसे मौके पर आज हम आपको उनके जीवन से जुड़ी कुछ प्रमुख बाते बताने जा रहे हैं और उनके दिए हुए उपदेशों पर भी एक झलक जरूर डालेंगे।

गुरु गोबिंद सिंह जी का जीवन परिचय

गुरु गोबिंद सिंह जी का  जन्म 22 दिसंबर 1666 को बिहार राज्य के पटना शहर में हुआ था। उनका निधन 7 अक्टूबर 1708 को आनंदपुर साहिब में हुआ था। यह सिख धर्म के दसवें गुरु थे। इनके पिता का नाम गुर तेग बहादुर था और वह सिख धर्म के नौवें गुरु थे। गुरु गोबिंद सिंह साहिब बचपन से ही बुद्धिमान और साहसी थे। उन्हें हिंदी, संस्कृत, फारसी और उर्दू भाषाएं भी आती थीं। उन्होंने कई ग्रंथों की रचना भी की थी। जिनमें जफरनामा और चंडी दी वार जैसे सिख धर्म ग्रंथ शामिल हैं।

खालसा पंथ के संस्थापक

गुरु गोबिंद सिंह जी ने 1699 में बैसाखी वाले दिन खालसा पंथ की स्थापना की थी। गुरु गोबिंद साहिब ने खालसा पंथ के सदस्यों को पंज ककार (पांच प्रतीक) धारण करने के लिए कहा था।

यह पंज ककार इस प्रकार से-

  1. केश 
  2. कंघा 
  3. कड़ा 
  4. कच्छा
  5. कृपाण

गुरु गोबिंद सिंह जी के उपदेश

  • बचन करकै पालना- गुरु गोबिंद सिंह जी का कहना है कि जीवन में अगर आप किसी को वचन देते हैं। तो उस पर खरे उतरिए और उस वचन का पालन करिए।
  • परदेसी, लोरवान, दुखी, मानुख दि यथाशक्त सेवा करनी-  इसका मतलब है कि किसी भी बाहरी नागरिक, परेशान व्यक्ति, विकलांग और जरूरमंद लोगों की मदद करने से पीछे नहीं हटना चाहिए। इनकी सेवा सबसे पहले करें।
  • धन, जवानी, तै कुल जात दा अभिमान नहीं करना- वह कहेत हैं कि जवानी, जाति, धन और कुल धर्म का कभी भी जीवन में अहंकार नहीं करना चाहिए।
  • गुरुबानी कंठ करनी- गुरु साहिब कहते हैं कि गुरुबानी को कंठस्थ करना सबसे जरूरी है। इसका मतलब है सिख धर्म की गुरुबानी को जरूर याद कर लें और उसी के अनुसार हमेशा अच्छे कर्म जीवन में करें।

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं। इसका कोई भी वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है। इंडिया टीवी एक भी बात की सत्यता का प्रमाण नहीं देता है।)

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