चैत्र नवरात्रि का पावन पर्व साल 2024 में 9 अप्रैल से शुरू होगा। नवरात्रि के पहले दिन भक्त माता की पूजा-अराधना और व्रत रखने से पहले कलश स्थापित करते हैं। नवरात्रि की पूजा में कलश या घट स्थापना करना बेहद आवश्यक माना जाता है, खासकर तब जब आप नवरात्रि के दौरान व्रत लेने वाले हों। ऐसे में आज हम आपको बताएंगे कि नवरात्रि के पहले दिन कलश स्थापना का धार्मिक महत्व क्या है और इससे क्या लाभ भक्तों को प्राप्त होते हैं।
कलश स्थापना का महत्व
हिंदू धर्म में आस्था रखने वाले लोग किसी भी शुभ कार्य से पहले कलश स्थापित करते हैं। इसके पीछे वजह ये है कि कलश में सभी देवी-देवताओं के साथ ही समस्त तीर्थों का निवास भी माना गया है। कलश के मुख में भगवान विष्णु, कंठ में भोलेनाथ और मूल भाग में ब्रह्माजी विराजते हैं, साथ ही कलश के बीच वाले भाग में देवियां निवास करती हैं। साथ ही घट को ब्रह्मांड में मौजूद शक्ति का प्रतीक भी माना गया है। घट या कलश को स्थापित करने मात्र से घर में मौजूद वास्तु दोष दूर होते हैं और पूजा सफल होती है। इसलिए नवरात्रि के साथ ही किसी भी शुभ कार्य से पूर्व घट को स्थापित करने का विधान है। हर शुभ कार्य से पहले जो घट स्थापित किया जाता है उसे स्थापित करने की विधि अलग होती है। आज हम आपको बताएंगे कि अगर आप नवरात्रि के पहले दिन घट स्थापित करने वाले हैं तो किस विधि से आपको घट-स्थापना करनी चाहिए।
चैत्र नवरात्रि में कलश स्थापना की विधि
जो भी भक्त नवरात्रि में माता की विधि-विधान से पूजा करते हैं उन्हें नवरात्रि के पहले दिन कलश की स्थापना जरूर करनी चाहिए। कलश स्थापना से पहले स्वयं स्वच्छ होना चाहिए और उसके बाद जहां आप कलश स्थापित करने वाले हैं उस जगह को साफ करके सबसे पहले गंगाजल वहां छिड़कना चाहिए।
इसके बाद कलश में जल भरकर उसके मुख पर अशोक या आम के पत्ते लगाने चाहिए और उसके बाद नारियल पर लाल कपड़ा लपेटकर और उसे कलावे से बांधकर कलश के मुख पर रखना चाहिए। फिर कलश पर रोली से स्वास्तिक का चिह्न बनाया जाता है जिसे चार युगों का प्रतीक माना जाता है। कलश के मुख पर सुपारी, दुर्वा, अक्षत, सिक्का रखना भी शुभ माना जाता है। नवरात्रि के पहले दिन कलश को स्थापित करने से पूर्व बालू की एक वेदी भी बनाई जाती है जिस पर जौ बोए जाते हैं। ऐसा माना जाता है कि जौ बौने से माता अन्नपूर्णा की कृपा भक्त को प्राप्त होती है और उसके जीवन में धन-धान्य की कभी कमी नहीं आती।
जौ की वेदी को तैयार करने के बाद धूप दीप जलाकर कलश की पूजा की जाती है। भक्त कलश की पूजा के साथ ही नवरात्रि के व्रत का संकल्प भी लेते हैं और माता को अपने घर आमंत्रित करते हैं। इसके बाद माता दुर्गा की पूजा आराधना शुरू की जाती है। अगर विधि-विधान और पूरी श्रद्धा से कलश स्थापना की जाए और नवरात्रि के नौ दिनों तक माता की पूजा की जाए तो माता की असीम कृपा भक्त को प्राप्त होती है। नवरात्रि में कलश को स्थापित करने का महत्व ये भी है कि इससे आपकी पूजा अर्चना में किसी तरह की बाधा नहीं आती। अगर आप भी नवरात्रि में माता को प्रसन्न करना चाहते हैं, व्रत रखना चाहते हैं तो नवरात्रि के पहले दिन घटस्थापना अवश्य करें।
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं। इसका कोई भी वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है। इंडिया टीवी एक भी बात की सत्यता का प्रमाण नहीं देता है।)
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