Mahashivratri 2024: आज भोलेनाथ को समर्पित साल का सबसे बड़ा हिंदू पर्व महाशिवरात्रि का दिन है। आज 8 मार्च 2024 को महाशिवरात्रि की धूम पूरे देश में देखने को मिल रही है। सभी लोग आज शिवमय हैं। भगवान शिव की महिमा अपरंपार है अतः आज का दिन शिव भगवान के आशीर्वाद पाने के लिए बेहद खास है। इसलिए आज के दिन सभी शिव भक्त उनकी कृपा पाने के लिए विभिन्न प्रकार के अनुष्ठान और उपाय करते हैं।
आपने रुद्राक्ष के बारे में सुना ही होगा, मान्यता के अनुसार भगवान शिव का यह सबसे प्रिय श्रृंगार है, लेकिन क्या आप जानते हैं रुद्राक्ष की उत्पत्ति हुई कैसे और इसे पहनते समय किन बातों का पालन करना चाहिए? आइए महाशिवरात्रि के इस पावन पर्व पर रुद्राक्ष से जुड़ी इन सभी बातों को विस्तार से जानते हैं।
इस तरह हुई रुद्राक्ष की उत्पत्ति
पौराणिक कथा के अनुसार भगवान शिव एक बार गहरे ध्यान में थे, उन्होंने जब अपने नेत्र खोलें तो उसमें से आंसू गिरने लगे। वह आंसु धरती पर जहां-जहां गिरे वहां-वहां रुद्राक्ष के वृक्ष उतपन्न हो गए। उन वृक्षों में से जो फल प्रकट हुआ वही रुद्राक्ष कहलाया। रुद्राक्ष दो शब्दों से मिलकर बना है रुद्र अर्थात भगवान शिव और अक्ष जिसका मतलब हुआ भगवान शिव के नेत्र। रुद्राक्ष को महादेव के विशेष दिन पर विधिपूर्वक पहनने से जीवन में हर प्रकार के लाभ प्राप्त होते हैं।
रुद्राक्ष धारण करने का नियम
- पूजा पद्धति के अनुसार रुद्राक्ष धारण करने वाले व्यक्ति को पवित्रता का ध्यान देना चाहिए। अतः इसे धारण करने के बाद नित्य स्नान करना जरूरी है।
- रुद्राक्ष को गले या हाथ के बाजू में पहना जा सकता है।
- ध्यान रहे कि कभी खंडित यानी कि चटका हुआ या टूटा हुआ रुद्राक्ष धारण न करें, अन्यथा इसके अशुभ परिणाम मिल सकते हैं।
- अपनी जन्म राशि, ग्रहों की स्थिति, और मनोकामना के अनुसार रुद्राक्ष का चयन करें। इसे धारण करने से पहले किसी योग्य ज्योतिष से सलाह अवश्य लें।
- यदि हाथ के बाजू में रुद्राक्ष धारण कर रहे हैं तो इसे दाएं हाथ में पहनें।
- रुद्राक्ष पहन कर कभी भी तामिसक प्रकार की चीजें जैसे कि मांस-मदिरा, प्याज, लहसुन आदि बिल्कुल नहीं खाना चाहिए। जो लोग रुद्राक्ष धारण करने के बाद इन नियमों का पालन नहीं करते हैं, उनको इसका दुष्परिणाम भोगना पड़ सकता है।
- रुद्राक्ष सदैव चांदी, लाल, पीले या नीले रंग के धागे में पिरो कर ही पहना जाता है।
कैसे करें रुद्राक्ष को धारण
अगर आप रुद्राक्ष पहनना चाहते हैं तो पूजा पद्धति के अनुसार इसे सोमवार, प्रदोष काल के समय, महाशिवरात्रि या फिर सावन के दिनों में धारण कर सकते हैं। रुद्राक्ष को धारण करने से पहले उसे पंचामृत से स्नान करा दें। उसके बाद गंगाजल से धुल कर शिवलिंग से स्पर्श कराएं और धूप-दीप दिखा कर भगवान शिव के पंचाक्षर मंत्र ऊँ नमः शिवाय का जाप करते हुए ब्रह्म मुहूर्त या शिव पूजन के समय पहन लें। यदि जितने मिखी वाला रुद्राक्ष आप पहन रहे हैं और उसका मंत्र जानते हैं, तो रुद्राक्ष के मंत्र अनुसार उसका उच्चारण करते हुए धारण कर सकते हैं।
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं। इसका कोई भी वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है। इंडिया टीवी एक भी बात की सत्यता का प्रमाण नहीं देता है।)
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