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Navratri 2023: कैसे हुई देवी मां के शक्तिपीठों की उत्पत्ति? पढ़ें शिव-शक्ति से जुड़ी पौराणिक कथा

Navratri 2023 Shakti Peeth Story: क्या आप जानते हैं देवी मां के शक्तिपीठों की उत्पत्ति कैसे हुई और क्या है इसके पीछे की पौराणिक कथा। आज हम आपको बताने जा रहे हैं 52 शक्तिपीठों की स्थापना से जुड़ी पौराणिक मान्यता।

Written By: Aditya Mehrotra
Updated on: October 17, 2023 15:22 IST
Navratri 2023- India TV Hindi
Image Source : INDIA TV Navratri 2023

Navratri Special 2023 : इन दिनों शारदीय नवरात्रि का पर्व चल रहा है। देवी मां के सभी भक्त इन दिनों उनकी पूजा-अर्चना करने के लिए देवी मां के मंदिरों में जा रहे हैं। उनमें से कुछ प्रसिद्ध देवी मां के मंदिर भी हैं जिन्हें, शक्तिपीठ कहा जाता है। हिंदू धर्म ग्रंथों के अनुसार देवी मां के कई शक्तिपीठों के बारे में बताया गया है, लेकिन मुख्य तौर पर लगभग 52 शक्तिपीठ सबसे लोक प्रसिद्ध हैं। देवी मां के भक्त जनों में अक्सर यह जानने की उत्सुकता रहती है कि देवी मां के 52 शक्ति पीठों की उत्पत्ति आखिर कैसे हुई, तो आइये आज हम आपको बताते हैं कि यह 52 शक्तिपीठ कैसे प्रकट हुए।

देवी शक्तिपीठ से जुड़ी पौराणिक कथा

हिंदू धर्म ग्रंथों की पौराणिक मान्यता के अनुसार देवी मां का जन्म सती के रूप में हुआ था, जो राजा दक्ष की पुत्री और भगवान शिव की अर्धांगिनी थीं। एक समय की बात है जब राजा दक्ष ने अपने भवन में विशाल यज्ञ का आयोजन करवाया और उसमें सभी देवी एवं देवताओं को आमंत्रित किया। परंतु भगवान शिव और माता सती को आने का निमंत्रण नहीं दिया। सती जी उस यज्ञ में जाने के लिए व्याकुल थीं और उन्होंने भगवान शिव से कहा कि हमें भी यज्ञ में जाना चाहिए। तब शिव जी ने कहा कि वहां हमें निमंत्रित नहीं किया गया है। इस कारण हम दोनों का जाना यज्ञ स्थल पर उचित नहीं है। माता सती यज्ञ में जाने की जिद्द लगा बैठीं थीं और वह शिव जी की बात को न मानकर कर अपने पिता दक्ष द्वारा आयोजित भव्य यज्ञ स्थल में पहुंच गईं।

यज्ञ स्थल पर राजा दक्ष ने भरी सभा में भगवान शिव का अपमान किया। राजा दक्ष द्वारा अपने पति के प्रति भरी सभा में अपमानित शब्दों को सुनकर मां सती यह सह ना सकीं और उन्होंने ने यज्ञ स्थल की यज्ञ वैदी में अपने आपको अग्नि में भस्म कर लिया । शिव जी को जब इस बात का पता चला तब वह क्रोधित हो गए और यज्ञ स्थल पर पहुंच कर मां सती के शव को अपने हाथों से उठा कर तांडव करने लगे। शिव जी के तांडव से सृष्टि का संचालन डगमगाने लगा तब भगवान विष्णु जी ने अपने सुदर्शन चक्र से मां सती के शव पर प्रहार किया और प्रहार करते ही मां सती का शव खंड-खंड हो कर जहां-जहां गिरा वह स्थान शक्तिपीठों के रूप में पूजनीय हो गया। 

शास्त्रों के अनुसार देवी मां के शक्तिपीठों की संख्या

देवी मां से जुड़े अनेक धर्म ग्रंथों में भिन्न भिन्न शक्तिपीठों के बारे में बताया गया है। अगर धर्म ग्रंथों की बात करें तो भागवत पुराण के अनुसार 108, शिवचरित्र के अनुसार 51, दुर्गा सप्तशती के अनुसार 52 , कालिका पुराण के अनुसार 26 और तंत्र चूड़ामणि के अनुसार कुल 52 शक्तिपीठ बताए गएं हैं। लेकिन साधारण तौर पर 52 शक्तिपीठों को अधिक महत्व दिया जाता है और देवी का के भक्तिों की आस्था भी 52 शक्तिपीठों को लेकर अटूट है। 

देवी मां के कुछ प्रमुख शक्तिपीठ मंदिर

  1. मां कामाख्या देवी मंदिर -  गुवाहाटी, आसाम
  2. देवी पाटन मंदिर - बलरामपुर, उत्तर प्रदेश
  3. नैना देवी मंदिर - बिलासपुर, हिमाचल प्रदेश
  4. ज्वाला जी मंदिर - कांगड़ा, हिमाचल प्रदेश
  5. अंबाजी मंदिर - बनासकांठा, गुजरात
  6. कालीघाट मंदिर - आदि गंगा नहर के तट के समीप, कोलकाता
  7. मां विंध्यवासिनी मंदिर -  मिर्ज़ापुर, उत्तर प्रदेश
  8. अवंतिका देवी मंदिर - उज्जेन, मध्य प्रदेश
  9. त्रिपुरा सुंदरी मंदिर - उदयपुर, त्रिपुरा

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं। इसका कोई भी वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है। । इंडिया टीवी एक भी बात की सत्यता का प्रमाण नहीं देता है।)  

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