
हिंदू धर्म में होलाष्टक की अवधि के दौरान शुभ कार्य करने की मनाही होती है। होलाष्टक अवधि कुल 8 दिनों की होती है। हिंदू पंचांग की मानें तो होलाष्टक की शुरुआत फाल्गुन मास की शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि से हो जाती है। वहीं, समापना होलिका दहन के साथ होता है। इस अवधि के दौरान किसी भी व्यक्ति को गृह प्रवेश, विवाह, मुंडर संस्कार जैसे शुभ कामों को नहीं करना चाहिए। धार्मिक मान्यता है कि होलाष्टक के दौरान शुभ फलों का फल प्राप्त नहीं होता है।
ऐसे में होलाष्टक की अवधि के दौरान शुभ काम नहीं करने चाहिए, अगर कोई जातक शुभ कामों को इस दौरान करता है तो उसके जीवन में कई तरह की समस्याएं आ सकती हैं। होलाष्टक की अवधि में शुभ काम न करने के साथ ही नई चीजों की खरीदारी भी नहीं करनी चाहिए। माना जाता है कि इस दौरान इन चीजों के खरीद से जातक की मुश्किलें बढ़ सकती हैं।
कब लगेगा होलाष्टक?
वैदिक पंचांग की मानें तो इस फाल्गुन मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि 7 मार्च से शुरू हो रही है, यानी कि होलाष्टक 7 मार्च के आरंभ हो जाएगा और समापन 13 मार्च यानी होलिका दहन के दिन होगा। इसके बाद होली मनाई जाएगी।
होलाष्टक में क्या न खरीदें?
- होलाष्टक के दौरान नए कपड़े, नई गाड़ी, घरेलु उपयोग में आने वाली चीजें, सोना और चांदी भी नहीं खरीदनी चाहिए।
- इस अवधि के दौरान मकान न खरीदें और न ही बनवाएं।
- होलाष्टक में यज्ञ, हवन, या अन्य धार्मिक अनुष्ठान न करवाएं, सिर्फ पूजा और भजन कर सकते हैं।
- इस अवधि के दौरान किसी भी हाल में नया निवेश और लेनदेन न करें, इससे जीवन में आर्थिक परेशानी आ सकती है।
- होलाष्टक के दौरान बाजार से कोई भी नया सामान न खरीदकर घर लाएं, खाने वाली चीजों को छोड़कर।
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं। इसका कोई भी वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है। इंडिया टीवी एक भी बात की सत्यता का प्रमाण नहीं देता है।)
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