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हरियाली तीज के दिन जरूर करें ये उपाय, शादी में आ रही हर बाधा होगी दूर, घर में शीघ्र बजेगी शहनाई!

Hariyali Teej 2023: सावन माह के शुक्ल पक्ष की तृतिया तिथि को हरियाली तीज का व्रत करने का विधान है। इस व्रत को सुहागिन महिलाओं के अलावा कुंवारी कन्याएं भी कर सकती हैं।

Written By: Vineeta Mandal
Published : Aug 11, 2023 8:45 IST, Updated : Aug 11, 2023 8:45 IST
Hariyali Teej 2023
Image Source : FREEPIK Hariyali Teej 2023

Hariyali Teej Upay: इस साल हरियाली तीज का व्रत 19 अगस्त 2023 को रखा जाएगा। इस दिन भगवान शिव और माता गौरी की पूजा की जाती है।  पति की लंबी आयु की कामना और परिवार की खुशहाली के लिए महिलाएं इस दिन निर्जला उपवास रखती हैं। सुहागिनों के लिए यह पर्व विशेष महत्व रखता है। धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक, जो भी शादीशुदा महिलाएं हरियाली तीज का व्रत रखती हैं। उसे अखंड सौभाग्य का आशीर्वाद मिलता है। वहीं कुंवारी कन्याओं के लिए भी यह दिन खास महत्व रखता है। कहते हैं कि हरियाली तीज का व्रत रखने से मनचाहा जीवनसाथी की प्राप्ति होती है। इसके अलावा अगर आपकी शादी में कि तरह की बाधा या अड़चन आ रही है तो हरियाली तीज के दिन व्रत, पूजापाठ के अलावा इन उपायों को जरूर करें। 

शीघ्र विवाह के लिए अपनाएं ये उपाय

हरियाली तीज के दिन निर्जला उपवास रखकर विधि विधान के साथ भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करें। हरियाली तीज के दिन हरा रंग का कपड़ा पहनना काफी शुभ माना गया है। कुंवारी कन्याएं इस दिन हरा रंग का ही वस्त्र पहनें और शिव मंदिर जाकर मां पार्वती को लाल रंग की चुनरी अर्पित करें। साथ ही माता रानी के सामने घी का दीपक जलाकर हाथ जोड़कर अपनी मनोकामना पूर्ति की प्रार्थना करें। इसके अलावा हरियाली तीज के दिन केले का पौधा लगाकर उसकी पूजा जरूर करें। इन उपायों की मदद से शादी में आ रही हर बाधा दूर होगी और जल्द ही घर में शहनाई बजेगी।

हरियाली तीज 2023 शुभ मुहूर्त

  • तृतिया तिथि आरंभ- रात 8 बजकर 1 मिनट से (18 अगस्त 2023)
  • तृतिया तिथि समापन-  रात 10 बजकर 19 मिनट पर (19 अगस्त 2023)
  • हरियाली तीज व्रत तिथि- 19 अगस्त 2023

हरियाली तीज का महत्व-

पौराणिक कथा के मुताबिक, महादेव से विवाह करने के लिए माता पार्वती ने कठिन तपस्या किया था। इसके बाद ही भोलेनाथ ने मां गौरी को पत्नी के रूप में स्वीकार किया। कहते हैं कि वह पावन दिन सावन माह की शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि ही थी। इसके बाद से ही हरियाली तीज व्रत करने की परंपरा शुरू हुई।

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है। इंडिया टीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है।)

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