Thursday, October 31, 2024
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Guruwar Aarti In Hindi: आज गुरुवार के दिन भगवान विष्णु के साथ करें बृहस्‍पति देव की भी आरती, धन-धान्य से भरा रहेगा घर का भंडार, गुरु ग्रह भी होगा मजबूत

Guruwar Puja Significance: गुरुवार के दिन भगवान विष्णु और बृहस्‍पति देव की पूजा का विधान है। अगर आपकी कोई कामना बहुत दिनों से अधूरी है तो गुरुवार के दिन विधिपूर्वक पूजा और आरती जरूर करें।

Written By: Vineeta Mandal
Published on: September 26, 2024 7:23 IST
Bhagwan Vishnu Mata Laxmi- India TV Hindi
Image Source : FILE IMAGE Bhagwan Vishnu Mata Laxmi

Guruwar Brihaspati Dev and Vishnu Ji Aarti In Hindi: गुरुवार का दिन भगवान विष्णु को समर्पित है। इस दिन प्रभु नारायण की माता लक्ष्मी के साथ पूजा करने से घर में सुख-समृद्धि आती है। इतना ही नहीं गुरुवार का व्रत रखने से भक्तों की सभी मनोकामनाएं भी पूरी होती हैं। वहीं गुरुवार के दिन बृहस्पति देव की पूजा का भी विधान है। गुरुवार के दिन बृहस्पति देव की आराधना करने से कुंडली में गुरु ग्रह मजबूत होता है। ज्योतिष शास्त्र में गुरु बृहस्पति को शुभ ग्रह बताया गया है जो धर्म, धन, सुख और परिवार में खुशहाली-समृद्धि प्रदान करते हैं। तो गुरुवार के दिन भगवान विष्णु साथ ही बृहस्पति देव की पूजा, आरती भी जरूर करें। ऐसा करने से आपको शुभकारी और मंगलकारी फलों की प्राप्ति होगी।

भगवान विष्णु जी की आरती 

ओम जय जगदीश हरे, स्वामी! जय जगदीश हरे।

भक्त जनों के संकट, क्षण में दूर करे॥ ओम जय जगदीश हरे।

जो ध्यावे फल पावे, दुःख विनसे मन का। स्वामी दुःख विनसे मन का।
सुख सम्पत्ति घर आवे, कष्ट मिटे तन का॥ ओम जय जगदीश हरे।

मात-पिता तुम मेरे, शरण गहूं मैं किसकी। स्वामी शरण गहूं मैं किसकी।
तुम बिन और न दूजा, आस करूं जिसकी॥ ओम जय जगदीश हरे।

तुम पूरण परमात्मा, तुम अन्तर्यामी।
स्वामी तुम अन्तर्यामी। पारब्रह्म परमेश्वर, तुम सबके स्वामी॥ ओम जय जगदीश हरे।

तुम करुणा के सागर, तुम पालन-कर्ता। स्वामी तुम पालन-कर्ता।
मैं मूरख खल कामी, कृपा करो भर्ता॥ ओम जय जगदीश हरे।

तुम हो एक अगोचर, सबके प्राणपति। स्वामी सबके प्राणपति।
किस विधि मिलूं दयामय, तुमको मैं कुमति॥ ॐ जय जगदीश हरे।

दीनबन्धु दुखहर्ता, तुम ठाकुर मेरे। स्वामी तुम ठाकुर मेरे।
अपने हाथ उठा‌ओ, द्वार पड़ा तेरे॥ ओम जय जगदीश हरे।

विषय-विकार मिटा‌ओ, पाप हरो देवा। स्वमी पाप हरो देवा।
श्रद्धा-भक्ति बढ़ा‌ओ, संतन की सेवा॥ ओम जय जगदीश हरे।

श्री जगदीशजी की आरती, जो कोई नर गावे। स्वामी जो कोई नर गावे।
कहत शिवानन्द स्वामी, सुख संपत्ति पावे॥ ओम जय जगदीश हरे।

बृहस्पति देव आरती

जय बृहस्पति देवा,
ऊँ जय बृहस्पति देवा ।
छिन छिन भोग लगा‌ऊँ,
कदली फल मेवा ॥

ऊँ जय बृहस्पति देवा,
जय बृहस्पति देवा ॥

तुम पूरण परमात्मा,
तुम अन्तर्यामी ।
जगतपिता जगदीश्वर,
तुम सबके स्वामी ॥

ऊँ जय बृहस्पति देवा,
जय बृहस्पति देवा ॥

चरणामृत निज निर्मल,
सब पातक हर्ता ।
सकल मनोरथ दायक,
कृपा करो भर्ता ॥

ऊँ जय बृहस्पति देवा,
जय बृहस्पति देवा ॥

तन, मन, धन अर्पण कर,
जो जन शरण पड़े ।
प्रभु प्रकट तब होकर,
आकर द्घार खड़े ॥

ऊँ जय बृहस्पति देवा,
जय बृहस्पति देवा ॥

दीनदयाल दयानिधि,
भक्तन हितकारी ।
पाप दोष सब हर्ता,
भव बंधन हारी ॥

ऊँ जय बृहस्पति देवा,
जय बृहस्पति देवा ॥

सकल मनोरथ दायक,
सब संशय हारो ।
विषय विकार मिटा‌ओ,
संतन सुखकारी ॥

ऊँ जय बृहस्पति देवा,
जय बृहस्पति देवा ॥

जो को‌ई आरती तेरी,
प्रेम सहित गावे ।
जेठानन्द आनन्दकर,
सो निश्चय पावे ॥

ऊँ जय बृहस्पति देवा,
जय बृहस्पति देवा ॥

सब बोलो विष्णु भगवान की जय ।
बोलो बृहस्पतिदेव भगवान की जय ॥

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं। इसका कोई भी वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है। इंडिया टीवी एक भी बात की सत्यता का प्रमाण नहीं देता है।)

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