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Guru Purnima 2023: गुरु पूर्णिमा पर क्या है स्नान-दान का महत्व, इस दिन जरूर करें इन मंत्रों का जाप

Guru Purnima 2023: गुरु पूर्णिमा का आषाढ़ पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन पूजा-पाठ और स्नान-दान का विशेष महत्व होता है। तो जानिए कि गुरु पूर्णिमा के दिन क्या-क्या करना चाहिए।

Written By: Vineeta Mandal
Updated on: June 29, 2023 13:42 IST
Guru Purnima 2023- India TV Hindi
Image Source : INDIA TV Guru Purnima 2023

Guru Purnima 2023: भारत में गुरु का दर्जा ईश्वर से भी ऊपर रखा गया है। यही वजह है हिंदू धर्म में गुरु पूर्णिमा का दिन अत्याधिक महत्वपूर्ण है। इस साल यह पावन दिन 3 जुलाई 2023 को पड़ रहा है। गुरु पूर्णिमा सभी गुरुओं को याद करने का और उन्हें नमन करने का दिन है। गुरु पूर्णिमा का आषाढ़ पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है। मान्यताओं के मुताबिक, इस दिन वेद व्यास जी का जन्म हुआ था, इसलिए इस दिन को व्यास पूर्णिमा या वेद व्याज जयंती के नाम से भी जाना जाता है। तो आइए जानते हैं कि गुरु पूर्णिमा के दिन क्या-क्या करने से शुभ फलों की प्राप्ति होगी। 

गुरु पूर्णिमा पर स्नान-दान का महत्व

गुरु पूर्णिमा के दिन स्नान-दान का विशेष महत्व बताया गया है। इस दिन गंगा या किसी पवित्र नदी में स्नान और दान करने से देवी-देवताओं की कृपा मिलती है। साथ ही ईश्वर के आशीर्वाद से घर में सुख-समृद्धि, सौभाग्य और धन-धान्य बना रहता है। गुरु पूर्णिमा के दिन किसी जरूरतमंद व्यक्ति या ब्राह्मण को पीले रंग की मिठाई, चावल या दाला का दान करें। ऐसा करने से जीवन की सारी बाधाएं दूर हो जाएंगे।

गुरु पूर्णिमा के दिन इन मंत्रों का करें जाप-

  1. गुरुर्देवो गुरुर्धर्मो, गुरौ निष्ठा परं तपः। गुरोः परतरं नास्ति, त्रिवारं कथयामि ते ।।
  2. गुरुर्ब्रह्मा गुरुर्विष्णुः गुरुर्देवो महेश्वरः। गुरुः साक्षात् परं ब्रह्म तस्मै श्री गुरवे नमः॥
  3. ॐ वेदाहि गुरु देवाय विद्महे परम गुरुवे धीमहि तन्नौ: गुरु: प्रचोदयात्।
  4. ॐ गुरुभ्यों नम:
  5. ॐ शिवरूपाय महत् गुरुदेवाय नमः
  6. ॐ परमतत्वाय नारायणाय गुरुभ्यो नम:

गुरु पूर्णिमा 2023 शुभ मुहूर्त 

  • गुरु पूर्णिमा प्रारंभ - रात 8 बजकर 21 मिनट पर ( 2 जुलाई 2023)
  • गुरु पूर्णिमा समाप्त- शाम 5 बजकर 8 मिनट पर (3 जुलाई 2023)
  • गुरु पूर्णिमा तिथि-  3 जुलाई 2023

गुरु पूर्णिमा का महत्व

'हरि रूठे गुरु ठौर है, गुरु रूठे नहिं ठौर'... अर्थात् भगवान के रूठने पर तो गुरु की शरण मिल जाती है लेकिन गुरु के रूठने पर कहीं भी शरण नहीं मिल पाती। एक गुरु आत्मज्ञानी, आत्मनियंत्रित, संयमी और अंतरदृष्टि से युक्त होता है, जो अपने शिष्य की कमजोरी, ताकत, उसकी बुद्धि को भली-भांति पहचानकर ही उसे शिक्षा प्रदान करता है ताकि अपने ज्ञान के क्षेत्र में उसे कोई पराजित न कर सके। कहते हैं कि गुरु पूर्णिमा से लेकर अगले चार महीने अध्ययन के लिये बड़े ही उपयुक्त माने जाते हैं। साधु-संत भी इस दौरान एक स्थान पर रहकर ध्यान लगाते हैं। लिहाजा आज के दिन अपने गुरुओं को प्रणाम कर उनका आशीर्वाद लेना चाहिए और हो सके तो उन्हें कुछ भेंट भी अवश्य करें। ऐसा करने से आपके ऊपर गुरु कृपा हमेशा बनी रहेगी।

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है। इंडियाटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है।) 

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