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Guru Purnima 2023: गुरु पूर्णिमा क्यों मनाई जाती है? जानिए इसका महत्व और आषाढ़ पूर्णिमा की तिथि

Guru Purnima 2023: हर व्यक्ति का जीवन बिना गुरु के अधूरा होता है। गुरु ही होते हैं जो हमें सही और गलत मार्ग का अंतर बताते हैं। गुरु पूर्णिमा का दिन उन्हीं गुरुओं को नमन करने का दिन होता है। तो आइए जानते हैं गुरु पूर्णिमा की तारीख और महत्व के बारे में।

Written By : Acharya Indu Prakash Edited By : Vineeta Mandal Updated on: June 25, 2023 14:52 IST
Guru Purnima 2023- India TV Hindi
Image Source : FREEPIK Guru Purnima 2023

Guru Purnima 2023:  आषाढ़ महीने की पूर्णिमा को गुरु पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है। हमारा भारत देश अनेक परंपराओं का साक्षी रहा है। इन्हीं परंपराओं में से एक है गुरु-शिष्य परंपरा। प्राचीनकाल से ही भारत देश महान गुरु और उनके शिष्यों की जन्मस्थली रहा है। गुरु भारतीय संस्कृति का एक अहम हिस्सा हैं और उस संस्कृति को याद रखने के लिए ही आषाढ़ महीने की पूर्णिमा को गुरु पूर्णिमा का नाम दिया गया है। गुरु पूर्णिमा के सापेक्ष में यह भी माना जाता है कि इसी दिन वेद व्यास जी ने वेदों का संकलन किया था और कई पुराणों, उपपुराणों व महाभारत की रचना भी इसी दिन पूर्ण हुई थी। इसलिए इस दिन को व्यास पूर्णिमा भी कहा जाता है। 

 गुरु पूर्णिमा का महत्व

शास्त्रों में गुरु को भगवान से भी ऊंचा दर्जा दिया गया है। गुरुओं के बारे में स्वयं भगवान शिवजी कहते हैं- गुरुर्देवो गुरुर्धर्मो, गुरौ निष्ठा परं तपः। गुरोः परतरं नास्ति, त्रिवारं कथयामि ते।। अर्थात् गुरु ही देव हैं, गुरु ही धर्म हैं, गुरु में निष्ठा ही परम धर्म है। गुरु से अधिक और कुछ नहीं है। आपको ज्ञात होगा भगवान शिव भी किसी न किसी के ध्यान में लगे रहते हैं, यानी उनसे भी बड़ा कोई है जो उन्हें मार्गदर्शन देता है और जिनकी शरण में वे अपना मस्तक झुकाते हैं। यानि कि गुरु की आवश्यकता सिर्फ मनुष्यों को ही नहीं बल्कि स्वयं भगवान को भी होती है। यह बात गुरु सांदीपनि और कृष्ण जी पर अच्छे से लागू होती है। 

गुरु सांदीपनि भगवान कृष्ण और बलराम दोनों के गुरु थे। उनके गुरुकुल में कई महान राजाओं के पुत्र पढ़ते थे, लेकिन गुरु सांदीपनि ने कृष्ण जी

को पूरी 64 कलाओं की शिक्षा दी थी। भगवान विष्णु के अवतार होने के बाद भी कृष्ण जी ने गुरु सांदीपनि से शिक्षा ग्रहण की। गुरु-शिष्य के इस अनोखे रिश्ते से यह साबित होता है कि कोई भी चाहे कितना ही ज्ञानी हो, फिर भी उसे एक गुरु की आवश्यकता तो होती ही है। यहां पर एक बात यह भी सामने आती है कि जब कृष्ण जी की शिक्षा पूरी हो गई तो गुरु सांदीपनि ने उनसे गुरु दीक्षा के रूप में यमलोक से अपने पुत्र को वापस लाने को कहा और कृष्ण जी ने भी उनके पुत्र को वापस धरती पर लाकर अपनी गुरु दीक्षा दी। यानि गुरुत्व प्राणियों का आधार है।

कहते हैं कि 'हरि रूठे गुरु ठौर है, गुरु रूठे नहिं ठौर' अर्थात् भगवान के रूठने पर तो गुरु की शरण मिल जाती है, परंतु गुरु के रूठने पर कहीं भी शरण नहीं मिल पाती। एक गुरु आत्मज्ञानी, आत्मनियंत्रित, संयमी और अंतरदृष्टि से युक्त होता है जो अपने शिष्य की कमजोरी, ताकत, उसकी बुद्धि को भली-भांति पहचानकर ही उसे शिक्षा प्रदान करता है ताकि अपने ज्ञान के क्षेत्र में उसे कोई पराजित न कर सके।

कहते हैं गुरु पूर्णिमा से लेकर अगले चार महीने अध्ययन के लिये बड़े ही उपयुक्त माने जाते हैं । साधु-संत भी इस दौरान एक स्थान पर रहकर ध्यान लगाते हैं । लिहाजा आज के दिन अपने गुरुओं को प्रणाम करना चाहिए, उनका आशीर्वाद लेना चाहिए और हो सके तो उन्हें कुछ भेंट करना चाहिए। आज ऐसा करने से आपके ऊपर गुरु कृपा हमेशा बनी रहेगी। 

गुरु पूर्णिमा 2023 शुभ मुहूर्त और तिथि

  • गुरु पूर्णिमा आरंभ - रात 8 बजकर 21 मिनट पर ( 2 जुलाई 2023)
  • गुरु पूर्णिमा समापन- शाम 5 बजकर 8 मिनट पर (3 जुलाई 2023)
  • गुरु पूर्णिमा तिथि-  3 जुलाई 2023

(आचार्य इंदु प्रकाश देश के जाने-माने ज्योतिषी हैं, जिन्हें वास्तु, सामुद्रिक शास्त्र और ज्योतिष शास्त्र का लंबा अनुभव है। इंडिया टीवी पर आप इन्हें हर सुबह 7.30 बजे भविष्यवाणी में देखते हैं।)

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