Geeta Updesh: हिंदू धर्म में श्री राम और भगवान कृष्ण सनातन संस्कृति की प्राण वायु कहलाए जाते हैं। इन दोनों का प्रकाट्य ही मानव क्लयाण के उदेश्य से हुआ था। फिलहाल अभी हम बात कर रहे हैं भगवान श्री कृष्ण के गीता से जुड़ी हुई। जिसमें उन्होंने अर्जुन को कई सारे उपदेश दिए थे और अर्जुन को विजय दिलाने के लिए उनका मार्गदर्शन किया था। भगवान श्री कृष्ण ने महाभारत काल के दौरान कुरुक्षेत्र में अर्जुन को स्वयं अनमोल उपदेश दिए थे जिसका पालन कर के अर्जुन ने कौरवों से युद्ध जीता था। अब बात करते हैं उस श्लोक की जिस के बारे में हम आपको बताने जा रहे हैं। भगवान श्री कृष्ण ने अर्जुन को किसी की मृत्यु पर शोक न करने की सलाह क्यों दी थी, आइए जानत हैं इसका संपूर्ण कारण।
भगवान कृष्ण अर्जुन को मृत्यु का सत्य बताते हैं
जातस्य हि ध्रुवो मृत्युर्ध्रुवं जन्म मृतस्य च।
तस्मादपरिहार्येऽर्थे न त्वं शोचितुमर्हसि।।
भगवान श्री कृष्ण अर्जुन से कहते हैं कि है अर्जुन मृत्यु नश्चित है जिस किसी प्राणी ने जन्म लिया है उसकी मृत्यु होना स्वभाविक है और जिसकी मृत्यु होती है उसका जन्म लेना तय होता है। इस बात का शोक व्यक्ति को नहीं करना चाहिए। मनुष्य अपने कर्मों के अनुसार जन्म लेता है और अपने कर्मों का भोग करने के बाद उसकी समय अवधि पूर्ण होने के बाद मृत्यु होना भी तय है। जो विषय अटल सत्य का है उसे स्वीकार कर लेना चाहिए और इसका दुःख नहीं करना चाहिए।
श्री कृष्ण ने अर्जुन के दुःख के कारण दिया यह उपदेश
महाभारत की रणभूमि में अर्जुन ने अपने कई प्रिय जनों को खो दिया था जिस वजह से वह दुःखी थे। इसलिए श्री कृष्ण ने अर्जुन को यह मार्मिक विषय समझाते हुए उनका मार्गदर्शन किया था।
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं। इसका कोई भी वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है। इंडिया टीवी एक भी बात की सत्यता का प्रमाण नहीं देता है।)
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