Geeta Jayanti 2023: मार्गशीर्ष शुक्ल पक्ष के दिन मोक्षदा एकादशी व्रत रखने का विधान है। शास्त्रों में एकादशी का विशेष महत्व बताया गया है। वहीं आज एकादशी के साथ ही गीता जयंती भी मनाई जा रही है। कहते हैं कि मार्गशीर्ष महीने के शुक्ल पक्ष की एकादशी को ही कुरुक्षेत्र की भूमि पर भगवान श्री कृष्ण ने अर्जुन को गीता का उपदेश दिया था। इसी कारण आज गीता जयंती भी मनाई जाती है। तो आइए आज जानते हैं कि घर में गीता रखने के क्या नियम और लाभ हैं।
घर में गीता रखने से क्या होता है?
हिंदू धर्म में श्रीमदभागवत गीता को सबसे पवित्र ग्रंथ माना जाता है। इस ग्रंथ को घर में रखने से सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। वहीं हर दिन गीता का पाठ करने से परिवार में एकता, सुख-समृद्धि और खुशहाली आती है। आपको बता दें कि गीता में धर्म, कर्म, नीति, सुख और सफलता सभी का रहस्य छिपा हुआ है। कहते हैं कि श्रीमदभागवत गीता का पाठ करने से जीवन के सभी सवालों के जवाब मिल जाते हैं। इतना ही नहीं जिस घर में नियम-निष्ठा के साथ गीता का पाठ किया जाता है वहां मां लक्ष्मी और भगवान कृष्ण का वास रहता है। साथ ही गीता जयंती के दिन गीता का पाठ और हवन करने से घर से हर तरह के वास्तु दोष दूर हो जाते हैं।
श्रीमद्भागवत गीता से जुड़े जरूरी नियम
- अगर आपके घर में श्रीमद्भागवत गीता है तो ध्यान रखें कि उसके आसपास गंदगी न हो। गीता सबसे पवित्र ग्रंथ माना जाता है इसलिए इसे साफ जगह पर ही रखें।
- श्रीमद्भागवत गीता को कभी भी जमीन पर या हाथ में रखकर न पढ़ें बल्कि उसे लकड़ी से बनी पूजा चौकी या काठ पर ही रखें।
- गीता को हमेशा लाल कपड़े में ही लपेटकर रखें। पाठ करते समय ही उसे खोलें।
- श्रीमद्भागवत गीता का पाठ स्नान आदि कर साफ-सुथरे कपड़े पहनकर ही करें।
- गंदे हाथों से, बिना नहाएं या मासिक धर्म में गीता को कभी स्पर्श न करें।
- श्रीमद्भागवत गीता का पाठ करने के लिए अपने ही आसन का इस्तेमाल करना चाहिए।
- श्रीमद्भागवत गीता का पाठ दिन में किसी भी समय किया जा सकता है बस आप शुद्धता का ख्याल रखें।
- भगवत गीता का अध्याय बीच में अधूरा न छोड़ें पूरा अध्याय पढ़कर ही गीता बंद करें।
- गीता का पाठ का करने से पहले भगवान गणेश और कृष्ण जी की ध्यान करना चाहिए।
- श्रीमद्भागवत गीता के हर अध्याय को आरंभ करने से पहले और बाद में भगवान श्रीकृष्ण और गीता के चरण कमलों को स्पर्श करना चाहिए।
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं। इसका कोई भी वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है। इंडिया टीवी एक भी बात की सत्यता का प्रमाण नहीं देता है।)
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