भगवान गणेश को सुखकर्ता और दुखहर्ता माना जाता है। इनके पूजन से जीवन के सभी कष्टों से मुक्ति मिलती है। गणेश चतुर्थी के दौरान इनकी पूजा का बड़ा महत्व है और साल 2024 में 7 सितंबर को गणेश चतुर्थी का त्योहार मनाया जाएगा। गणेश पूजन में कई चीजों को अर्पित किया जाता है, लेकिन हिंदू धर्म में सबसे पवित्र माने जाने वाली तुलसी को गणेश पूजन में अर्पित करना वर्जित माना गया है। इसके पीछे एक रोचक कहानी है आज हम आपको इसी के बारे में अपने इस लेख में जानकारी देने वाले हैं।
गणेश जी की पूजा में इसलिए नहीं चढ़ाते तुलसी
शास्त्रों के अनुसार, भगवान गणेश की पूजा में तुलसी को अर्पित करना वर्जित बताया गया है। एक कथा के अनुसार माता तुलसी भगवान गणेश को प्रेम करती थी, अपनी इस इच्छा को उन्होंने भगवान गणेश को भी बताया। लेकिन गणेश जी तुलसी माता से शादी करने के लिए राजी नहीं हुए। इसके कारण माता तुलसी गणपति जी से नाराज हो गईं और उन्होंने गणेश जी को श्राप दिया कि, तुम्हारी दो शादियां होंगी। माना जाता है कि, इसके बाद गणेश जी ने भी माता तुलसी को श्राप दिया था कि, तुम्हारा विवाह एक राक्षस से होगा। इसी वजह से माता तुलसी और गणेश जी के बीच बैर भाव है। यही वजह है कि गणेश जी के पूजन में गलती से भी कभी तुलसी आपको नहीं चढ़ानी चाहिए। अगर आप गलती से भी गणेश जी की पूजा में तुलसी चढ़ा देते हैं तो इसकी वजह से परेशानियों का सामना आपको जीवन में करना पड़ सकता है।
गणेश जी के पूजन में जरूर चढ़ाएं ये चीजें
भगवान गणेश की पूजा में तुलसी नहीं चढ़ानी चाहिए लेकिन गणेश जी को दुर्वा, बेलपत्र अतिप्रिय हैं। इसलिए इन चीजों को गणेश पूजा में अर्पित अवश्य करें। इसके अलावा आप चंदन, सुपारी, पीले फूल मोदक, वस्त्र आदि भी गणेश पूजन में अर्पित कर सकते हैं। इन चीजों को अर्पित करने से गणेश जी की कृपा आपको प्राप्त होती है।
भगवान गणेश को इन मंत्रों के जप से करें प्रसन्न
गणेश जी की पूजा करने से आपको शुभ परिणाम मिलता है, लेकिन किसी कारणवश अगर आप गणेश पूजन करने में असमर्थ हैं, तो आपको कुछ समय के लिए एकांत स्थल पर बैठकर गणेश जी के मंत्रों का जप करना चाहिए। गणेश जी के मंत्रों का जप करके भी आप शुभ फल प्राप्त कर सकते हैं।
- महाकर्णाय विद्महे, वक्रतुण्डाय धीमहि, तन्नो दंती प्रचोदयात्।
- गजाननाय विद्महे, वक्रतुण्डाय धीमहि, तन्नो दंती प्रचोदयात्।
- ॐ श्रीं गं सौभ्याय गणपतये वर वरद सर्वजनं मे वशमानय स्वाहा।
- ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं ग्लौं गं गण्पत्ये वर वरदे नमः।
- ॐ वक्रतुण्डेक द्रष्टाय क्लींहीं श्रीं गं गणपतये।
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं। इसका कोई भी वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है। इंडिया टीवी एक भी बात की सत्यता का प्रमाण नहीं देता है।)
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