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Ekadashi Vrat Niyam: एकादशी का व्रत कितने प्रकार से रखा जा सकता है? जानें क्या होता है सही नियम

Ekadashi Vrat: अगर आप एकादशी का व्रत रखना चाहते हैं तो उससे पहले इस व्रत के नियम के बारे में जान लें। दरअसल, एकादशी का व्रत कई प्रकार से रखा जाता है। तो यहां जानिए एकादशी व्रत के बारे में पूरी जानकारी।

Written By: Vineeta Mandal
Updated on: July 15, 2024 12:35 IST
Ekadashi Vrat- India TV Hindi
Image Source : INDIA TV Ekadashi Vrat

Ekadashi Vrat: हिंदू धर्म में एकादशी तिथि का विशेष महत्व है। एकादशी का व्रत भगवान विष्णु को समर्पित है। इस दिन प्रभु नारायण की विधिवत पूजा-अर्चना की जाती है। प्रत्येक महीने में दो बार एकादशी का व्रत पड़ता है एक शुक्ल पक्ष में और एक कृष्ण पक्ष में। मान्यताओं के अनुसार, जो भी जातक एकादशी का व्रत रख विष्णु जी और मां लक्ष्मी की उपासना करता है उसका जीवन खुशहाल और समृद्ध बन जाता है।साथ ही घर में सुख-सौभाग्य बना रहता है। तो आइए जानते हैं कि एकादशी का व्रत कितने प्रकार से रखा जाता है और इसका सही नियम क्या है।

धार्मिक ग्रंथों के अनुसार एकादशी का व्रत चार प्रकार से रखा जाता है। इनमें से किसी भी तरह से एकादशी का व्रत कर सकते हैं। लेकिन जिस भी तरीके से व्रत का संकल्प लिया उसे पूरा अवश्य करें।

  1. जलाहर
  2. क्षीरभोजी
  3. फलाहारी
  4. नक्तभोजी

1. जलाहर

शास्त्रों के मुताबिक, जलाहर में सिर्फ पानी ग्रहण कर के एकादशी का व्रत रखा जाता है। एक बार जलाहरी व्रत का संकल्प लेने के बाद उसे पूरा किया जाता है। 

2. क्षीरभोजी

क्षीरभोजी एकादशी व्रत यानी दूध या दूध से बने उत्पादों का सेवन करके किया जाता है। एकादशी व्रत के दिन जातक दूध या दूध से बनी चीजों का ही सेवन करते हैं, इसे ही क्षीरभोजी एकादशी व्रत कहे हैं।

3. फलाहारी

फलाहारी का मतलब है कि केवल फल का सेवन करते हुए एकादशी का व्रत करना। इसमें व्रत रखने वाले लोग आम, अंगूर, बादाम, पिस्ता, केला आदि चीजें ग्रहण कर सकते हैं। पत्तेदार साग-सब्जियां, नमक और अन्न का सेवन बिल्कुल भी न करें।

4. नक्तभोजी

नक्तभोजी का अर्थ है कि सूर्यास्त से ठीक पहले दिन में एक समय फलाहार ग्रहण करना। एकादशी व्रत के समय नक्तभोजी के मुख्य आहार में साबूदाना, सिंघाड़ा, शकरकंदी, आलू और मूंगफली आदि चीजें शामिल है। एकल आहार में, सेम, गेहूं, चावल और दालों सहित ऐसा किसी भी प्रकार का अनाज का सेवन न करें जो एकादशी व्रत में वर्जित है।

देवशयनी एकादशी 2024

बता दें कि 17 जुलाई 2024 को देवशयनी एकादशी का व्रत रखा जाएगा। इस दिन से ही भगवान विष्णु पूरे चार महीने के लिए क्षीरसागर में योग निद्रा में चले जाते हैं। इसके बाद देवउठनी एकादशी के दिन ही जागते हैं। हर साल आषाढ़ शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को देशवयनी एकादशी का व्रत रखा जाता है। इसे हरिशयनी, पद्मनाभा और योगनिद्रा एकादशी के नाम से भी जाना जाता है।

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं। इसका कोई भी वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है। इंडिया टीवी एक भी बात की सत्यता का प्रमाण नहीं देता है।)

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