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Ekadashi Vrat 2025: साल 2025 में कितनी बार एकादशी का व्रत रखा जाएगा? यहां जानिए पूरे वर्ष की एकादशी की डेट लिस्ट और महत्व

Ekadashi Vrat 2025 Date: साल 2025 की पहली एकादशी पौष पुत्रदा एकादशी है, जो 10 जनवरी को मनाई जाएगी। तो आइए जानते हैं कि इस वर्ष एकादशी का व्रत कब-कब पड़ेगा और हर एकादशी का क्या महत्व है।

Written By: Vineeta Mandal
Published : Jan 09, 2025 11:48 IST, Updated : Jan 09, 2025 11:48 IST
एकादशी व्रत 2025
Image Source : INDIA TV एकादशी व्रत 2025

Ekadashi Vrat 2025 Date and Significance: हिंदू धर्म में एकादशी व्रत का विशेष महत्व है। एकादशी का व्रत भगवान विष्णु को समर्पित है। इस दिन उपवास रखकर श्री हरि विष्णु की माता लक्ष्मी के साथ विधिपूर्वक पूजा-अर्चना की जाती है। एकादशी का व्रत करने से सभी दुख-तकलीफों से छुटकारा मिलता है। इसके साथ ही जातक के घर में सुख-समृद्धि और खुशहाली बनी रहती है। बता दें कि प्रत्येक महीने में कृष्ण और शुक्ल पक्ष को एकादशी का व्रत रखा जाता है। तो आइए जानते हैं कि वर्ष 2025 में एकादशी का व्रत कब-कब रखा जाएगा। साथ ही जानेंगे एकादशी व्रत के महत्व के बारे में।

पौष पुत्रदा एकादशी

पौष पुत्रदा एकादशी का व्रत 10 जनवरी 2025 को रखा जाएगा। शास्त्रों में इस एकादशी का बड़ा ही महत्व बताया गया है। पुत्रदा एकादशी के दिन जो व्यक्ति भगवान श्री विष्णु के निमित्त व्रत कर, उनकी

उपासना करता है, तो उसकी सुंदर और स्वस्थ संतान प्राप्ति की कामना पूरी होती है। जो व्यक्ति ऐश्वर्य, संतति, स्वर्ग, मोक्ष, सब कुछ पाना चाहता है, उसे भी यह व्रत करना चाहिए।

षट्तिला एकादशी

इस वर्ष षट्तिला एकादशी 25 जनवरी, दिन शनिवार को पड़ेगी। इस दिन तिल का बड़ा ही महत्व होता है। इस दिन तिल मिश्रित जल से स्नान करने तिल का उबटन लगाने, तिल से हवन करने, तिल मिश्रित जल का सेवन करने, तिल का भोजन करने और तिल का दान करने का विधान है। यानि इस दिन तिल का छ: तरीकों से प्रयोग किया जाता है। षट्तिला एकादशी दिन भगवान विष्णु की पूजा करने से व्यक्ति की हर मनोकामना पूरी होती है और उसे जीवन में वैभव प्राप्त होता है। साथ ही सुख-सौभाग्य, धन-धान्य में वृद्धि होती है और आरोग्यता की प्राप्ति होती है।

जया एकादशी 

वहीं माघ शुक्ल पक्ष की एकादशी को जया एकादशी कहते हैं। इसे भौमी एकादशी के नाम से भी जाना जाता है। पुराणों के अनुसार इस एकादशी का व्रत करने से व्यक्ति को भूत-प्रेत और भय आदि से
छुटकारा मिलता है। जया एकादशी इस वर्ष 8 फरवरी, दिन शनिवार को पड़ रही है। 

विजया एकादशी

फाल्गुन कृष्ण पक्ष में पड़ने वाली विजया एकादशी इस वर्ष 24 फरवरी को पड़ेगी। यह एकादशी विजय दिलाने वाली होती है। इस दिन व्रत करने से व्यक्ति को हर क्षेत्र में विजय मिलती है, लिहाजा उसे कभी भी हार का सामना नहीं करना पड़ता है। 

आमलकी एकादशी

वहीं फाल्गुन महीने के शुक्ल पक्ष में पड़ने वाली एकादशी आमलकी एकादशी होती है। यह एकादशी 10 मार्च, दिन सोमवार को पड़ रही है। काशी में इसे रंगभरी एकादशी भी कहते हैं। इस दिन से काशी में होली का पर्वकाल आरंभ हो जाता है। इस दिन भगवान विष्णु के साथ आंवले के वृक्ष की पूजा का विधान है। आपको बता दूं कि आंवले के मूल, यानि जड़ में श्री विष्णु जी, तने में शिव जी और ऊपर के हिस्से में ब्रहमा जी का वास माना जाता है। 

पापमोचनी एकादशी 

चैत्र महीने के कृष्ण पक्ष में पड़ने वाली पापमोचनी एकादशी की- इस वर्ष यह एकादशी 25 मार्च, दिन मंगलवार को पड़ रही है। इस दिन उपवास रखकर श्रीहरि भगवान विष्णु के चतुर्भुज स्वरूप की पूजा की जाती है। इस एकादशी के प्रभाव से भूल-वश हुई गलतियों के अशुभ परिणाम से बचा जा सकता है। 

कामदा एकादशी

वहीं चैत्र महीने के शुक्ल पक्ष की कामदा एकादशी 8 अप्रैल, दिन मंगलवार को पड़ रही है। कहते हैं कामदा एकादशी का व्रत रखने वाले की सभी इच्छाएं पूरी होती हैं।

वरूथिनी एकादशी 

वैशाख महीने के कृष्ण पक्ष में पड़ने वाली वरूथिनी एकादशी इस वर्ष 24 अप्रैल, दिन गुरुवार को पड़ रही है। माना जाता है कि वरूथिनी एकादशी का व्रत करने से सुख-सौभाग्य की प्राप्ति होती है साथ ही भगवान विष्णु उसकी हर संकट से रक्षा करते हैं। 

मोहिनी एकादशी

वहीं वैशाख महीने के शुक्ल पक्ष में मनायी जाने वाली मोहिनी एकादशी 8 मई, दिन गुरुवार को पड़ रही है। कहते हैं समुद्र मंथन के बाद जब देव-दानवों में अमृत से भरा कलश पाने के लिए विवाद हो गया था, तब वैशाख शुक्ल पक्ष की एकादशी को भगवान विष्णु ने मोहिनी नामक स्त्री का रूप धारण करके दानवों को मोहित कर लिया था और उनसे अमृत भरा कलश लेकर देवताओं के हवाले कर दिया था। मोहिनी एकादशी का व्रत रखने से व्यक्ति को समस्त मोह से मुक्ति मिलती है और वह जीवन में एक के बाद एक तरक्की करता चला जाता है। 

अचला एकादशी

ज्येष्ठ कृष्ण पक्ष की अचला एकादशी 23 मई को पड़ेगी। अचला एकादशी को अपरा एकादशी के नाम से भी जाना जाता है। वहीं ज्येष्ठ शुक्ल पक्ष की निर्जला एकादशी 6 जून, दिन शुक्रवार को पड़ रही है। इसे भीमसेनी एकादशी भी कहा जाता है। कहते हैं इस दिन निर्जला रहकर उपवास करने से व्रती के जीवन में खुशियों की बरसात होती है।

योगिनी एकादशी

आषाढ़ महीने में पड़ने वाली एकादशी की बता दें कि इस वर्ष आषाढ़ कृष्ण पक्ष की योगिनी एकादशी 21 जून, दिन शनिवार को पड़ रही है। योगिनी एकादशी का व्रत रखने वाले व्यक्ति को हजारों ब्राह्मणों को
भोजन कराने के बराबर फल प्राप्त होता है। 

हरिशयनी एकादशी

आषाढ़ शुक्ल पक्ष की हरिशयनी एकादशी 6 जुलाई को पड़ेगी। इस दिन से भगवान श्री विष्णु विश्राम के लिए क्षीर सागर में चले जाएंगे और पूरे चार महीनों तक वहीं पर रहेंगे।

कामदा एकादशी

इसके साथ ही श्रावण कृष्ण पक्ष की कामदा एकादशी 21 जुलाई, दिन सोमवार को पड़ रही है। पुराणों के अनुसार कामदा एकादशी को उपवास करने से श्रेष्ठ संतान प्राप्त होती है। वहीं श्रावण शुक्ल पक्ष की पुत्रदा एकादशी 5 अगस्त, दिन मंगलवार को पड़ रही है। 

जया एकादशी

भाद्रपद कृष्ण पक्ष की जया एकादशी इस वर्ष 19 अगस्त को पड़ेगी। शास्त्रों में यह एकादशी आपके जीवन से सभी प्रकार के समस्याओं को हरने वाली बताई गई है। 

पद्मा एकादशी

भाद्रपद शुक्ल पक्ष की पद्मा एकादशी का व्रत 3 सितंबर, दिन बुधवार को किया जाएगा। धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक, इस दिन भगवान श्री विष्णु शयन शैय्या पर सोते हुए करवट लेते हैं, इसलिए इसे परिवर्तिनी एकादशी भी कहते हैं। इस दिन भगवान श्री विष्णु के वामन स्वरूप की पूजा की जाती है। 

इंदिरा एकादशी 

आश्विन कृष्ण पक्ष की इंदिरा एकादशी 17 सितंबर, दिन बुधवार को मनाई जाएगी। इस एकादशी की खास बात यह है कि यह पितृपक्ष में आती है, जिस कारण इसका महत्व बहुत अधिक हो जाता है। मान्यता है कि यदि कोई पूर्वज़ जाने-अंजाने हुए अपने कर्मों के कारण यमराज के पास अपने कर्मों का दंड भोग रहे हैं तो इस एकादशी पर विधिपूर्वक व्रत कर इसके पुण्य को उनके नाम पर दान कर दिया जाए तो उन्हें मोक्ष मिल जाता है। 

पापांकुशा एकादशी

वहीं शुक्ल पक्ष की पापांकुशा एकादशी का व्रत 3 अक्टूबर, दिन शुक्रवार को किया जाएगा। इस एकादशी का व्रत कर भगवान विष्णु की उपासना करने से आपके सुख सौभाग्य में वृद्धि होगी।

रमा एकादशी 

कार्तिक कृष्ण पक्ष की रमा एकादशी का व्रत 17 अक्टूबर, दिन शुक्रवार को किया जाएगा। कहते है रमा एकादशी का व्रत करने से भगवान विष्णु का आशीर्वाद आपके ऊपर बना रहता है।

प्रबोधिनी एकादशी

वहीं कार्तिक शुक्ल पक्ष की प्रबोधिनी एकादशी का व्रत 1 नवंबर, दिन शनिवार को किया जाएगा। बता दें कि इस दिन चातुर्मास समाप्त हो जाएंगे। 

उत्पन्ना एकादशी

इसके बाद मार्गशीर्ष महीने में पड़ने वाली एकादशी की बात करें तो, 15 नवंबर को उत्पन्ना एकादशी का व्रत किया जाएगा। जो लोग पूरे साल की एकादशी का व्रत रखना चाहते हैं उन्हें उत्पन्ना एकादशी से अपना व्रत शुरू करना चाहिए। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार,  उत्पन्ना एकादशी से ही एकादशी व्रत की शुरुआत हुई थी।

मोक्षदा एकादशी

वहीं शुक्ल पक्ष की मोक्षदा एकादशी का व्रत 1 दिसम्बर, दिन सोमवार को किया जाएगा। इसे वैकुंठ एकादशी के नाम से भी जाना जाता है। कहते हैं मार्गशीर्ष महीने के शुक्ल पक्ष की एकादशी के दिन ही कुरुक्षेत्र की भूमि पर भगवान श्री कृष्ण ने अर्जुन को गीता का उपदेश दिया था। इसी कारण इस दिन गीता जयंती भी मनायी जाती है। 

सफला एकादशी

इस वर्ष पौष कृष्ण पक्ष की सफला एकादशी का व्रत 15 दिसंबर, दिन सोमवार को किया जाएगा। सफला एकादशी का व्रत करने से जातक को सभी कष्टों से छुटकारा मिलता है। इसके साथ ही व्यक्ति को हर क्षेत्र में सफलता मिलती है। 

पुत्रदा एकादशी

वहीं पौष कृष्ण पक्ष की पुत्रदा एकादशी का व्रत भी वर्ष 2025 में ही 30 दिसंबर, दिन मंगलवार को किया जाएगा। 

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं। इसका कोई भी वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है। इंडिया टीवी एक भी बात की सत्यता का प्रमाण नहीं देता है।)

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