Eid-ul-Fitr 2023 Date: आज पूरे देश में धूमधाम के साथ ईद का पर्व मनाया जा रहा है। ईद मुस्लिम समुदाय का प्रमुख पर्व है। इस्लाम धर्म को मानने वाले माह ए रमजान में रोजा रखते हैं। पूरे एक महीने रोजा रखने के बाद उन्हें ईद का चांद का दीदार होता है। चांद देखने के बाद ही ईद पर्व की शुरुआत होती है। आपको बता दें कि पहले अरब देशों में ईद के चांद का दीदार होता है। अरब देशों में ईद मनाने के एक दिन बाद ही भारत में ईद मनाई जाती है।
ईद उल फितर का महत्व
ईद को भाईचारे का पर्व माना जाता है। ईद के दिन मुस्लिम समाज के सभी लोग मस्जिद में सामूहिक रूप से नमाज अदा करने जाते हैं। इसके बाद सभी एक-दूसरे को गले लगाकर ईद की मुबारकबाद देते हैं। वहीं ईद के दिन हर मुस्लिम घर में कई तरह के पकवान बनाए जाते हैं, जिसमें मीठी सेवई खासतौर से बनाई जाती है। वहीं ईद के दिन नए कपड़े पहनने की भी परंपरा है। ईद के दिन मुस्लिम समुदाय के लोग मस्जिद में जुटते हैं और नमाज पढ़कर अल्लाह से अमन-चैन की दुआ मांगते हैं। ईद के दिन अपने से छोटे लोगों को ईदी देने का भी रिवाज है।
ईद क्यों मनाई जाती है?
इस्लामिक मान्यता के अनुसार,पैगंबर हजरत मुहम्मद ने बद्र की लड़ाई में जीत हासिल की थी। इस जीत की खुशी में उन्होंने सबका मुंह मीठा करवाया गया था। कहते हैं किइसी दिन को मीठी ईद या ईद उल फितर के रूप में मनाया जाता है। इसके अलावा ये भी मान्यता है कि रमजान महीने के अंत में ही पहली बार कुरान आई थी। कहते हैं कि मक्का से मोहम्मद पैगंबर के प्रवास के बाद पवित्र शहर मदीना में ईद उल फितरका पर्व शुरू हुआ।
रमजान में रोजे क्यों रखे जाते हैं
इस्लामिक मान्यताओं के मुताबिक, माह ए रमजान में रोजा रखने से अल्लाह खुश होते हैं और सभी दुआएं कुबूल होती हैं। रोजे के दौरान पूरे दिन बिना अन्न और पानी के रहना पड़ता है। इतना ही नहीं रोजा रखने वाले को और भी कई बातों का ध्यान रखना पड़ता है। जैसे- रोजा में बुरा देखना, सुनना और बोलने से बचना होता। रोजा सूरज ढलने के बाद शाम के वक्त ही इफ्तार के दौरान खोला जाता है और फिर सहरी खा कर रोजा रखा जाता है। सूरज निकलने से पहले खाए गए खाने को सहरी कहते हैं।
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं। इंडिया टीवी इस बारे में किसी तरह की कोई पुष्टि नहीं करता है। इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है।)
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