Friday, November 22, 2024
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Eid-Ul-Adha 2024: बकरीद कब मनाई जाएगी? जानें इस दिन कुर्बानी क्यों दी जाती है और क्या है इसका धार्मिक महत्व

Bakrid 2024: मुस्लिम धर्म में बकरीद का खास महत्व है। इस दिन बकरे की कुर्बानी दी जाती है और इसका तीन हिस्सा कर के दोस्तों, जरूरतमंदों और परिवार में बांटा जाता है। बकरीद को कुर्बानी का प्रतीक माना गया है।

Written By: Vineeta Mandal
Updated on: June 10, 2024 12:01 IST
Eid Ul Adha 2024 - India TV Hindi
Image Source : INDIA TV Eid Ul Adha 2024

Bakrid 2024: बकरीद मुस्लिमों के सबसे बड़े त्यौहारों में से एक है। इस दिन बकरे की कुर्बानी दी जाती है। इस्लाम धर्म में बकरीद के दिन को बलिदान का प्रतीक माना जाता है। बकरीद को  ईद-उल-अजहा के नाम से भी जाना जाता है। बकरीद के दिन सबसे पहले ईद-उल-अजहा की नमाज की अदा की जाती है उसके बाद बकरे की कुर्बादी दी जाती है। कुर्बानी के बकरे को तीन  अलग-अलग हिस्सों में बांटा जाता है। पहले भाग रिश्तेदारों और दोस्तों के लिए होता है, वहीं दूसरा हिस्सा गरीब, जरूरतमंदों को दिया जाता है जबकि तीसरा हिस्सा परिवार के लिए होता है। तो आइए अब जानते हैं कि इस साल बकरीद कब मनाई जाएगी।

बकरीद पर कुर्बानी क्यों दी जाती है?

इस्लामिक मान्यताओं के अनुसार, पैगंबर हजरत इब्राहिम ने अल्लाह की इबादत में खुद को समर्पित कर दिया था। एक बार अल्लाह ने हजरत इब्राहिम की परीक्षा ली और उनसे उनकी कीमती चीज की कुर्बानी मांगी। तब उन्होंने अपने बेटे हजरत इस्माइल को कुर्बानी देनी चाही। लेकिन तब अल्लाह ने पैगंबर हजरत इब्राहिम के बेटे की जगह वहां एक बकरे की कुर्बानी दिलवा दी। कहा जाता है कि तब से ही मुसलमानों में बकरीद पर बकरे की कुर्बानी देनी की परंपरा शुरू हुई। तीन दिन चलने वाले इस त्यौहार में मुस्लिम समुदाय के लोग अपनी क्षमता के हिसाब से उन पशुओं की कुर्बानी देते हैं, जिन्हें भारतीय कानूनों के तहत प्रतिबंधित नहीं किया गया है। 

साल 2024 में बकरीद कब है?

इस साल बकरीद का त्यौहार 17 जून 2024 को मनाया जाएगा। चांदनी चौक स्थित फतेहपुरी मस्जिद के शाही इमाम मुफ्ती मुकर्रम अहमद ने शनिवार को भाषा से बताया,  दिल्ली के आसमान में शुक्रवार शाम बादल छाए रहने की वजह से चांद के दीदार नहीं हो सके। लेकिन देर रात गुजरात, तेलंगाना के हैदराबाद और तमिलनाडु के चेन्नई से इस्लामी कैलेंडर के आखिरी महीने 'ज़ुल हिज्जा' का चांद दिखने की पुष्टि हो गई। लिहाजा ईद-उल-अजहा का त्यौहार 17 जून को मनाया जाएगा। 

मुकर्रम अहमद ने कहा,  'ईद उल फित्र के विपरीत बकरीद का त्यौहार चांद दिखने के 10वें दिन मनाया जाता है, इसलिए फौरन ऐलान करने की कोई तात्कालिकता नहीं थी और अलग-अलग जगहों से चांद नजर आने की पुष्टि होने का इंतजार किया गया।' इस्लामी कैलेंडर में 29 या 30 दिन होते हैं जो चांद दिखने पर निर्भर करते हैं। ईद उल ज़ुहा या अजहा या बकरीद, ईद उल फित्र के दो महीने नौ दिन बाद मनाई जाती है। 

मुस्लिम संगठन इमारत-ए-शरिया हिंद ने कहा कि आठ जून को इस्लामी कैलेंडर के आखिरी महीने 'जिल हिज्जा 1445 की पहली तारीख है और ईद उल जुहा 17 जून बरोज सोमवार को होगी।' जमीयत उलेमा-ए-हिंद से जुड़े संगठन ने एक बयान में बताया कि गुजरात समेत देश के अलग-अलग हिस्सों में बकरीद का चांद देखा गया है। जामा मस्जिद के पूर्व शाही इमाम सैयद अहमद बुखारी ने भी 17 जून को बकरीद का त्यौहार मनाए जाने की घोषणा की।

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं। इसका कोई भी वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है। इंडिया टीवी एक भी बात की सत्यता का प्रमाण नहीं देता है।)

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